नवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल का देवी स्वरूप में विशेष श्रृंगार, भस्म आरती में उमड़ी भक्तों की भीड़

नवरात्रि के दूसरे दिन उज्जैन के महाकालेश्वर मंदिर में भस्म आरती के दौरान भगवान महाकाल का देवी स्वरूप में विशेष श्रृंगार किया गया। इस दौरान, भक्तों ने पंचामृत अभिषेक और फूलों, चंदन व रजत मुकुट से सजे बाबा महाकाल के दिव्य रूप के दर्शन किए..

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Kaushiki
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मध्यप्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में नवरात्रि का उत्साह चरम पर है। आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को, मंगलवार की सुबह तड़के 4 बजे मंदिर के कपाट खोले गए।

नवरात्रि के दूसरे दिन, महाकाल भस्म आरती का आयोजन विशेष श्रृंगार के साथ किया गया, जिसने भक्तों को मंत्रमुग्ध कर दिया। इस अवसर पर भगवान महाकाल को एक अनूठे और आकर्षक देवी स्वरूप में श्रृंगार में सजाया गया। यह विशेष श्रृंगार न केवल धार्मिक महत्व रखता है।

पंचामृत अभिषेक और विशेष पूजन

मंदिर के पट खुलते ही पुजारियों ने गर्भगृह में स्थापित सभी देवी-देवताओं का पारंपरिक पूजन किया। इसके बाद भगवान महाकाल का जलाभिषेक किया गया।

बाबा का अभिषेक दूध, दही, घी, शहद, और फलों के रस से बने पंचामृत से किया गया, जो पूजन का एक अनिवार्य हिस्सा है। इस पवित्र अनुष्ठान के दौरान, नंदी हॉल में स्थित नंदी जी का भी स्नान और पूजन किया गया, जो महाकाल मंदिर में एक महत्वपूर्ण परंपरा है।

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देवी स्वरूप में महाकाल का श्रृंगार

मंगलवार तड़के हुई भस्म आरती के लिए, त्रिनेत्रधारी भगवान महाकाल को एक अद्भुत रूप में सजाया गया। पुजारियों ने भगवान का श्रृंगार उतारने के बाद पंचामृत पूजन और कपूर आरती की। इसके बाद, बाबा महाकाल को चंदन का त्रिपुण्ड, रुद्राक्ष की माला और रजत मुकुट अर्पित किया गया।

भगवान को रजत का चंद्र, त्रिशूल और भांग भी चढ़ाई गई जो उनके स्वरूप का अभिन्न अंग है। विशेष रूप से नवरात्रि के दूसरे दिन बाबा महाकाल का देवी स्वरूप में श्रृंगार किया गया, जो भक्तों के लिए एक विशेष आकर्षण था।

उन्हें शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुंडमाला और रुद्राक्ष की माला के साथ सुगंधित फूलों की माला भी पहनाई गई। यह विशेष श्रृंगार भक्तों के बीच उत्साह और श्रद्धा का संचार करता है और वे इस अद्वितीय रूप के दर्शन के लिए बड़ी संख्या में आते हैं।

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भस्म आरती और भक्तों की उमड़ी भीड़

जब भगवान महाकाल का श्रृंगार पूरा हो गया, तब झाल-मंजीरे और डमरू की ध्वनि के साथ महाकाल भस्म आरती शुरू हुई। इस दौरान, महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई।

यह भस्म अर्पित करने के बाद, भगवान अपने निराकार रूप से साकार रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं। इस दिव्य क्षण को देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु मंदिर में पहुंचे और बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया।

फल और मिष्ठान का भोग भी लगाया गया, जिससे यह पूरा आयोजन और भी शुभ हो गया। महाकाल भस्म आरती एक ऐसा अनुभव है जो भक्तों को आध्यात्मिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है।

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