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बाबा महाकालभस्म आरती:उज्जैन के विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में अश्विन माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि मंगलवार (9 सितंबर) की सुबह 4 बजे मंदिर के कपाट खोले गए। इस पावन अवसर पर भगवान महाकाल के भक्तों का सैलाब उमड़ पड़ा।
सबसे पहले भगवान महाकाल का जल से अभिषेक किया गया। इसके बाद दूध, दही, घी, शहद, और फलों के रस से बने पंचामृत से विधि-विधान से अभिषेक पूजन किया गया।
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महाकाल का विशेष श्रृंगार
मंगलवार को भगवान महाकाल (baba mahakaal) का श्रृंगार विशेष रूप से किया गया जिसमें चंदन का लेप, फूलों की माला और आभूषणों का उपयोग किया गया। बाबा को भस्म चढ़ाने के बाद, उन्हें शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष की माला धारण कराई गई।
साथ ही, सुगंधित पुष्पों से बनी एक सुंदर फूलों की माला भी पहनाई गई। बाबा को फल और विभिन्न प्रकार के मिष्ठान का भोग लगाया गया, जिससे भक्तों को प्रसाद पाने का सौभाग्य मिला। भोले बाबा का यह आकर्षक श्रृंगार भक्तों के लिए एक दिव्य अनुभव था, जिसने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।
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महाकाल की भस्म आरती
मंगलवार को बाबा महाकाल का श्रृंगार विशेष रूप से किया गया। त्रिनेत्रधारी भगवान महाकाल को चंदन का त्रिपुण्ड, रुद्राक्ष की माला और रजत मुकुट अर्पित किया गया। इस दिव्य श्रृंगार ने भगवान के रूप को और भी अलौकिक बना दिया।
इसके बाद, झांझ-मंजीरे और डमरू की ध्वनि के बीच भस्म आरती की गई। महानिर्वाणी अखाड़े की ओर से भगवान महाकाल को भस्म अर्पित की गई, जो इस आरती का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है।
इस दौरान, नंदी हॉल में भी विशेष पूजन हुआ। नंदी जी का स्नान, ध्यान और पूजन किया गया। भस्म आरती में शामिल होने के लिए दूर-दूर से आए सैकड़ों श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया। पूरा मंदिर "जय श्री महाकाल" के जयकारों से गूंज उठा, जिससे वातावरण भक्तिमय हो गया।
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