धनतेरस के स्वागत में दीपों से जगमगाया बाबा महाकाल का आंगन, राजा स्वरूप में सजे बाबा

विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार को महाकाल का राजा स्वरूप में अद्भुत श्रृंगार हुआ। बिलपत्र, भांग और चंदन से सजे महाकाल के आंगन में दीपोत्सव की शुरुआत हुई।

author-image
Kaushiki
New Update
mahakal-bhasma-aarti-shringar-deepotsav-ujjain
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

बाबा महाकालभस्म आरती: मध्य प्रदेश के उज्जैन स्थित विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में शनिवार की सुबह भक्तों के लिए दिव्य और यादगार रही। कार्तिक मास में दीपोत्सव पर्व की शुरुआत के साथ ही, आज तड़के हुई भस्म आरती ने पूरे वातावरण को भक्तिमय बना दिया।

शनिवार को ब्रह्म मुहूर्त में मंदिर के कपाट खुलते ही सबसे पहले जल से भगवान महाकाल का अभिषेक किया गया। सभा मंडप में वैदिक मंत्रोच्चार के साथ वीरभद्र जी के कान में स्वस्ति वाचन कर भगवान से पूजा की आज्ञा ली गई। इसके बाद गर्भगृह के चांदी के पट खोल दिए गए।

ये खबर भी पढ़ें...

कब है नरक चतुर्दशी 2025, इस दिन क्यों जरूरी है सूर्योदय से पहले तेल लगाना?

राजा महाकाल का अद्भुत श्रृंगार

अभिषेक के बाद भगवान को दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बने पंचामृत से स्नान कराया गया। इसके बाद महाकाल का सबसे मनमोहक और विशेष राजा स्वरूप श्रृंगार किया गया। महाकाल को ताजे बिलपत्र, सुगंधित चंदन, और विशेष रूप से तैयार की गई भांग से सजाया गया। बाबा को रजत का चंद्र त्रिशूल, एक भव्य मुकुट और रजत मुण्डमाल अर्पित की गई।

इसके अलावा, रुद्राक्ष और सुगंधित फूलों की माला भी पहनाई गई। त्रिनेत्रधारी भगवान महाकाल के मस्तक पर चंदन से उनका तीसरा नेत्र बनाया गया, जिससे उनका स्वरूप और भी ज्यादा भव्य लगने लगा। नंदी जी का भी विधि-विधान से स्नान, ध्यान और पूजन किया गया।

भस्म आरती के दौरान झांझ, मंजीरे और डमरू की ध्वनि के बीच 'महा निर्वाणी अखाड़े' की ओर से भगवान को भस्म अर्पित की गई। मान्यता है कि भस्म धारण करने के बाद ही भगवान महाकाल निराकार से साकार रूप में भक्तों को दर्शन देते हैं।

ये खबर भी पढ़ें...

धनतेरस 2025 पर शनि का साया, लक्ष्मी की कृपा चाहिए तो गलती से भी घर न लाएं ये 6 चीजें

महाकाल के आंगन से हुई दीपोत्सव की शुरुआत

बता दें कि, महाकालेश्वर मंदिर (धनतेरस आज) में यह एक पुरानी और खास परंपरा है। देश में कोई भी त्योहार मनाने से पहले, उसे उज्जैन के राजा महाकाल के आंगन में मनाया जाता है।

इसी परंपरा को निभाते हुए, शुक्रवार शाम को संध्या आरती के दौरान ही दीपोत्सव पर्व की विधिवत शुरुआत कर दी गई। संध्या आरती के समय बाबा महाकाल के समक्ष दीपों के साथ-साथ फूलझड़ी भी जलाई गईं। 

रंग-बिरंगी रोशनी में नहाया महाकाल का आंगन

इस शुभ अवसर पर मंदिर परिसर और शिखर को बेहद आकर्षक विद्युत रोशनी से सजाया गया है। पूरा मंदिर रंग-बिरंगी रोशनी में नहाया हुआ दिखाई दिया, जो आने वाले महापर्व की खुशी को दर्शा रहा है।

मंदिर के आशीष पुजारी ने बताया कि दीपोत्सव की शुरुआत हो चुकी है। अब सभी आरतियों के दौरान फूलझड़ी जलाई जाएंगी। बड़ी संख्या में भक्तों ने इस दिव्य भस्म आरती और विशेष राजसी श्रृंगार के दर्शन कर भगवान महाकाल का आशीर्वाद लिया।

ये खबर भी पढ़ें...

धनतेरस की शाम क्यों जलाया जाता है यम दीपक, जानें दीपक जलाने के पीछे छिपा गहरा रहस्य

आज है धनतेरस 2025 का पर्व, यहां नोट करें पूजा और खरीदारी के सभी शुभ मुहूर्त

बाबा महाकाल बाबा महाकालभस्म आरती धनतेरस आज उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर
Advertisment