महाकाल की पांचवीं सवारी: लोक और शक्तिपीठों की झांकियों ने बढ़ाई भक्तों की आस्था

महाकालेश्वर भगवान की भादौ माह की सवारी 7 अगस्त को शुरू हुई। यह सवारी पांचवे स्वरूप में निकाली जा रही है, जिसमें विभिन्न जनजातीय नृत्य और धार्मिक स्थलों की झांकियां शामिल हैं।

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Sandeep Kumar
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MP News: सावन माह के समापन के बाद महाकालेश्वर भगवान की भादौ माह में महाकाल की सवारी सोमवार को निकली। इस सवारी में श्री राजाराम लोक ओरछा, मां बगलामुखी माता मंदिर और मां शारदा शक्तिपीठ की झांकियां भी शामिल की गईं। पांच स्वरूपों में भगवान महाकाल के दर्शन कर भक्तों ने आस्था का अनुभव किया।

भगवान महाकाल के पांच स्वरूप

इस सवारी में भगवान महाकाल पांच स्वरूपों में भक्तों को दर्शन दे रहे हैं। ये पांच स्वरूप अलग-अलग रथों पर विराजमान हैं:

  • पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर
  • गजराज पर श्री मनमहेश
  • गरुड़ रथ पर श्री शिवतांडव
  • नंदी रथ पर श्री उमा-महेश
  • डोल रथ पर श्री होल्कर स्टेट के मुखारविंद

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जनजातीय नृत्य कलाकारों की प्रस्तुति

सवारी में चार जनजातीय और लोक नृत्य कलाकारों के दल भी अपनी प्रस्तुतियां दे रहे हैं, जो सवारी का प्रमुख आकर्षण बने हुए हैं:

  • बैतूल से गौंड जनजातीय ठाट्या नृत्य
  • खजुराहो से कछियाई लोक नृत्य
  • दमोह से बधाई लोक नृत्य
  • डिंडोरी के गेड़ी जनजातीय नृत्य

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धार्मिक स्थल और झांकियां

सवारी के साथ मध्यप्रदेश के विभिन्न धार्मिक पर्यटन स्थलों की झांकियां भी शामिल हो रही हैं, जैसे:

  • श्री राजाराम लोक ओरछा
  • मां बगलामुखी माता मंदिर
  • मां शारदा शक्तिपीठ मैहर
  • देवीलोक मां श्री बिजासन माता धाम सलकनपुर

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लाइव प्रसारण की व्यवस्था

श्रद्धालुओं को भगवान के दर्शन और सवारी के अनुभव को और सुलभ बनाने के लिए श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति ने चलित रथ की व्यवस्था की है। दोनों ओर एलईडी स्क्रीन के माध्यम से सवारी का लाइव प्रसारण किया जा रहा है। श्रद्धालु इसे उज्जैन के विभिन्न क्षेत्रों, जैसे फ्रीगंज, नानाखेड़ा और दत्त अखाड़ा से भी देख सकते हैं।

सवारी का मार्ग

सवारी परंपरागत मार्ग से होते हुए महाकाल चौराहा, गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार और कहारवाड़ी से होकर रामघाट पहुंचेगी। शिप्रा घाट पर नदी के जल से भगवान का अभिषेक और पूजन किया जाएगा। इसके बाद सवारी रामानुजकोट, मोढ़ की धर्मशाला, कार्तिक चौक, खाती का मंदिर, सत्यनारायण मंदिर, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार और गुदरी बाजार से होते हुए पुनः श्री महाकालेश्वर मंदिर लौटेगी।

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