उज्जैन में हूबहू बना दिया महाकाल विग्रह, पुजारियों ने जताई नाराजगी
उज्जैन में मूर्तिकार सतीश सक्सेना द्वारा भगवान महाकाल के विग्रह बनाने और यात्रा कराने पर विवाद गहरा गया है। पुजारियों ने इसे मंदिर की परंपराओं के विपरीत बताते हुए ऐसे कृत्यों पर कार्रवाई की मांग की है।
उज्जैन के मूर्तिकार सतीश सक्सेना ने मिट्टी से भगवान महाकाल (Lord Mahakal) के उमा-महेश, चंद्रमौलेश्वर, और होलकर मुखारविंद के हूबहू स्वरूप बनाए हैं। सतीश न केवल इन विग्रहों को अपने साथ रखते हैं, बल्कि इन्हें यात्राओं में भी साथ ले जाते हैं। उन्होंने भगवान चंद्रमौलेश्वर (Chandramouleshwara) के स्वरूप को हवाई यात्रा भी कराई है।
हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में, सतीश को चंद्रमौलेश्वर विग्रह के साथ प्लेन में देखा गया। इस घटना ने महाकाल मंदिर (Mahakal Temple) के पुजारियों की नाराजगी को बढ़ा दिया। पुजारियों का कहना है कि इस तरह के कृत्य मंदिर की परंपराओं और भक्तों की आस्थाओं के साथ धोखा हैं।
महाकाल मंदिर के पुजारी महेश शर्मा ने कहा कि भगवान महाकाल के विग्रह केवल सावन मास, कार्तिक मास, दशहरा, और हरिहर मिलन की सवारी में परंपरानुसार निकलते हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के डुप्लिकेट विग्रह बनाकर प्रचार करना गलत है। मंदिर समिति और शासन से मांग की गई है कि महाकाल के सभी स्वरूपों का पेटेंट (Patent) कराया जाए, ताकि इनका दुरुपयोग न हो।
सतीश सक्सेना ने अपनी सफाई में कहा, "मैंने भगवान के विग्रह को केवल श्रद्धा और भक्ति से बनाया है। मैंने कभी किसी से धन नहीं लिया। मेरे माता-पिता नहीं हैं, और महाकाल ही मेरे सब कुछ हैं।"
पुजारियों का कहना है कि ऐसे लोग बाबा महाकाल (Baba Mahakal) के भक्तों को भ्रमित कर रहे हैं। उनका कहना है कि इन विग्रहों को देशभर में ले जाने और प्रचारित करने से मंदिर की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचती है।
पुजारी आशीष शर्मा ने कहा कि महाकालेश्वर मंदिर (Mahakaleshwar Temple) के सभी स्वरूप अनादि काल की धरोहर हैं। यदि इनका पेटेंट नहीं किया गया, तो इस तरह के कृत्य बढ़ सकते हैं। उन्होंने सरकार और मंदिर समिति से अपील की कि मूर्तियों का पेटेंट कराकर इसे रोकने के लिए कठोर कदम उठाए जाएं।
FAQ
महाकाल के विग्रह का पेटेंट क्यों आवश्यक है?
महाकाल के विग्रह का पेटेंट करने से उनकी नकल और दुरुपयोग रोका जा सकेगा।
सतीश सक्सेना कौन हैं?
सतीश सक्सेना उज्जैन के मूर्तिकार हैं, जिन्होंने भगवान महाकाल के विग्रह बनाए हैं।
मंदिर समिति ने क्या कार्रवाई की मांग की है?
मंदिर समिति ने विग्रह का पेटेंट कराने और इस तरह के कृत्यों पर रोक लगाने की मांग की है।
चंद्रमोलेश्वर विग्रह क्या है?
चंद्रमोलेश्वर विग्रह भगवान महाकाल का एक प्रमुख स्वरूप है, जिसे मंदिर की सवारी में शामिल किया जाता है।
पुजारियों की क्या प्रतिक्रिया रही?
पुजारियों ने इस कृत्य को मंदिर की परंपराओं और आस्थाओं के विपरीत बताते हुए नाराजगी जताई।