महाकाल लोक की शोभा बढ़ाएंगी 88 नई कांसे और सैंडस्टोन की मूर्तियां, बढ़ेगी लोक की भव्यता

उज्जैन के महाकाल लोक में सप्त ऋषि की पुरानी मूर्तियां टूटने के बाद 88 नई कांसे और सैंडस्टोन की मूर्तियां लगाई जाएंगी। ये नई मूर्तियां हजारों साल तक टिकाऊ और सुरक्षित रहेंगी।

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Kaushiki
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उज्जैन के महाकाल लोक में कुछ समय पहले सप्त ऋषि की मूर्ति टूट गई थी। इसे देखते हुए सरकार ने मूर्तियों को ठीक करने और सुरक्षित रखने के लिए बड़ा कदम उठाया है।

पर्यटन विकास निगम ने 75 करोड़ रुपए के बजट से कांसे और सैंडस्टोन की कुल 88 नई मूर्तियां बनाने का प्रस्ताव रखा। पर्यवेक्षण समिति ने इस प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। इन नई मूर्तियों को अगले 6 महीने से 1 साल के अंदर तैयार करके महाकाल लोक में लगाना है।

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कांसे और सैंडस्टोन का महत्व

गुजरात के स्टैच्यू ऑफ यूनिटी और ओंकारेश्वर के स्टैच्यू ऑफ वननेस की तरह, महाकाल लोक की नई मूर्तियां भी कांसे से बनाई जाएंगी। कांसे पर स्थायी पतीना कोटिंग की जाएगी जिससे धातु लंबे समय तक सुरक्षित रहे।

अधिकारी बताते हैं कि कांसे की मूर्तियां 2 हजार साल तक और सैंडस्टोन की मूर्तियां लगभग 1 हजार साल तक टिकाऊ रहेंगी। सैंडस्टोन का उपयोग पहले राम मंदिर, अक्षरधाम और काशी कॉरिडोर जैसी ऐतिहासिक जगहों पर भी हुआ है।

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पिछली मूर्तियों का नुकसान

बता दें कि, 2022 में तेज हवा और आंधी के कारण फाइबर रीइंफोर्स्ड प्लास्टिक से बनी सप्तऋषि की मूर्तियां टूट गई थीं। अगस्त 2022 में उन्हें बदला गया था।

पुराने 10 फीट ऊंचे मूर्तियों की जगह अब 15 फीट ऊंची नई मूर्तियां स्थापित की जाएंगी। नई मूर्तियों में सप्तऋषि समेत कई महत्वपूर्ण देवताओं की आकृतियां शामिल होंगी, जो सैंडस्टोन और धातु से बनी होंगी।

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क्या-क्या खास होगा

महाकाल लोक में शिव के पावन प्रसंग दर्शाए जाएंगे। इसमें शिव बारात, समुद्र मंथन, शिव के विषपान, यम संहार, वीरभद्र और शरभ अवतार जैसे प्रसिद्ध धार्मिक प्रसंगों को मूर्तियों के माध्यम से प्रदर्शित किया जाएगा।

शिव के यम संहार की 32 फीट ऊंची मूर्ति सबसे भव्य होगी, साथ ही परिसर में दो द्वारपाल भी होंगे। इसके अलावा, पंचमुखी हनुमान, मणिभद्र, अष्टभैरव, जल कुंड में चार शेरों की मूर्तियां और श्रीकृष्ण के योगेश्वर तथा सुदर्शन अवतार भी यहां स्थापित किए जाएंगे।

यह सभी मूर्तियां श्रद्धालुओं को गहरे धार्मिक अनुभव से जोड़ेंगी। इस परियोजना से महाकाल लोक की भव्यता और धार्मिक महत्व और बढ़ेगा, साथ ही यह श्रद्धालुओं के लिए एक खास धार्मिक अनुभव साबित होगा।

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