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आज (28 जुलाई) सावन का तीसरा सोमवार है और देशभर में भगवान शिव के भक्त महाकाल की भक्ति में लीन हैं। उज्जैन में, बाबा महाकाल की तीसरी शाही सवारी आज शाम 4 बजे धूमधाम से निकलेगी, जिसमें चंद्रमौलेश्वर और मनमहेश स्वरूप में भगवान महाकाल दर्शन देंगे।
यह सवारी भक्तों के लिए एक विशेष अवसर है, क्योंकि इस बार इसमें पुलिस, आर्मी, होमगार्ड और निजी बैंड की आकर्षक प्रस्तुतियां शामिल होंगी।
बाबा महाकाल का राजा स्वरूप श्रृंगार
आज सावन के तीसरे सोमवार पर सभा मंडप में वीरभद्र के कान में स्वस्ति वाचन कर भगवान से आज्ञा लेकर चांदी का पट खोला गया। इसके बाद कर्पूर आरती की गई। नंदी हॉल में नंदी का स्नान, ध्यान और पूजन किया गया।
भगवान महाकाल का जल से अभिषेक करने के बाद दूध, दही, घी, शक्कर, शहद और फलों के रस से बने पंचामृत से पूजन किया गया। उसके बाद भगवान महाकाल का विशेष राजा स्वरूप श्रृंगार किया गया, जिसमें उन्हें रजत चंद्र, त्रिशूल, मुकुट आभूषण के साथ भांग, चंदन, ड्रायफ्रूट से सजाकर भस्म चढ़ाई गई।
शेषनाग का रजत मुकुट, रजत की मुण्डमाल और रुद्राक्ष के साथ-साथ फूलों की माला भगवान महाकाल ने धारण की। अंत में, फल और मिष्ठान का भोग लगाया गया।
भस्म आरती के दौरान चलित दर्शन व्यवस्था में भक्तों ने बाबा महाकाल का आशीर्वाद लिया, जो उनके लिए एक अविस्मरणीय अनुभव था।
नाग पंचमी की विशेष तैयारी
जानकारी के मुताबिक, आज महाकाल मंदिर (उज्जैन महाकाल दर्शन) का गेट नंबर 4 सभी भक्तों के लिए बंद रहेगा। यह निर्णय मंगलवार को होने वाली नाग पंचमी के कारण लिया गया है।
नाग पंचमी पर भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए भक्तों को चारधाम से बड़े गणेश होते हुए गेट नंबर 4 से प्रवेश मिलेगा। इसी कारण बड़े गणेश मंदिर के पास बैरिकेडिंग की जा रही है ताकि भीड़ को नियंत्रित किया जा सके और दर्शनार्थियों को कोई असुविधा न हो। भक्तों को सलाह दी जाती है कि वे अन्य निर्धारित प्रवेश द्वारों का उपयोग करें।
सवारी भ्रमण मार्ग
बाबा महाकाल की तीसरी सवारी मंदिर प्रांगण से शाम 4 बजे निकलेगी। मंदिर के सभामंडप में भगवान श्री चंद्रमौलेश्वर का विधिवत पूजन-अर्चन होगा, जिसके बाद वे पालकी में विराजित होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे।
मंदिर के मुख्य द्वार पर सशस्त्र पुलिस बल के जवानों द्वारा पालकी में विराजित भगवान को सलामी दी जाएगी।
भक्तों के लिए विशेष दर्शन व्यवस्थाएं
कावड़ यात्रियों के लिए:
श्री महाकालेश्वर मंदिर में आने वाले कावड़ यात्री, पूर्व सूचना दिए जाने पर शनिवार, रविवार, सोमवार को छोड़कर द्वार नंबर 01 से प्रवेश करते हुए गणेश मंडपम से दर्शन कर सकेंगे।
यह व्यवस्था कावड़ यात्रियों की सुविधा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए की गई है।
जल चढ़ाने के लिए पात्र:
महाकाल मंदिर समिति ने भक्तों के लिए जल चढ़ाने के दो पात्र लगवाए हैं। पहला कार्तिकेय मंडपम के पास और दूसरा सभा मंडपम में स्थित है।
इन पात्रों में भक्त जल अर्पित कर सकेंगे और यहां से चढ़ाया गया जल सीधे बाबा महाकाल को अर्पित होगा।
यह भक्तों को सुगम तरीके से अपनी श्रद्धा व्यक्त करने का अवसर प्रदान करता है।
प्रवेश द्वार की जानकारी
सामान्य भक्तों के लिए प्रवेश:
त्रिवेणी संग्रहालय से: नंदी द्वार महाकाल महालोक से मानसरोवर भवन होते हुए फैसिलिटी सेंटर 01 टनल मंदिर परिसर से कार्तिक मण्डपम भगवान के दर्शन कर सकेंगे.
भारत माता मंदिर की ओर से आने वाले भक्त: प्रशासनिक कार्यालय के पास से शंख द्वार मानसरोवर भवन में टनल मंदिर परिसर से प्रवेश कर फैसिलिटी सेंटर 01 कार्तिक मण्डपम गणेश मण्डपम से दर्शन के बाद निर्गम द्वार या आपातकालीन निर्गम द्वार से सीधे बाहर की ओर प्रस्थान करेंगे।
भस्म आरती और शीघ्र दर्शन के लिए
नागपंचमी पर आने वाली भीड़ के कारण इस बार व्यवस्था में बदलाव हुआ है।
शीघ्र दर्शन की टिकट लेकर दर्शन करने वाले श्रद्धालु गेट नंबर 01 फेसेलिटी सेन्टर से टनल और मंदिर परिसर होते हुए कार्तिक मंडपम - गणेश मंडपम् से भगवान श्री महाकालेश्वर के दर्शन करेंगे।
दर्शन के बाद नवीन आपातकालीन निर्गम द्वार से मंदिर से बाहर की ओर प्रस्थान करेंगे।
इन व्यवस्थाओं का उद्देश्य भक्तों के लिए सुगम और सुरक्षित दर्शन सुनिश्चित करना है।
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भक्तों का उमड़ा जनसैलाब
सावन के पहले सोमवार को जहां लगभग 2.5 लाख भक्तों ने बाबा महाकाल के दर्शन किए थे, वहीं दूसरे सोमवार को यह संख्या 3 लाख से भी अधिक पहुंच गई। इस बार तीसरे सोमवार को श्रद्धालुओं की संख्या में और वृद्धि होने का अनुमान है।
भस्म आरती के लिए तड़के 2:30 बजे मंदिर के पट खुलते ही भक्तों का तांता लगना शुरू हो गया था और यह सिलसिला शयन आरती यानी रात 10 बजे तक जारी रहेगा।
भक्तों की सुविधा के लिए मंदिर प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं, ताकि सभी को सुचारु रूप से दर्शन हो सकें। इस वर्ष सावन के तीसरे सोमवार पर भक्तों का उत्साह देखते ही बन रहा है, जो भगवान महाकाल के प्रति उनकी अटूट श्रद्धा को दर्शाता है।
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सवारी की थीम और विशेष आकर्षणइस साल की तीसरी सवारी (उज्जैन शाही सवारी) की मुख्य थीम बैंड पर आधारित है। इसमें भारतीय सेना, पुलिस, होमगार्ड और विभिन्न निजी बैंड अपनी मनमोहक प्रस्तुतियां देंगे, जिससे सवारी का माहौल और भी भक्तिमय और भव्य हो जाएगा। भगवान महाकाल पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर स्वरूप में विराजित होंगे, जबकि हाथी पर श्री मनमहेश और गरुड़ रथ पर श्री शिव तांडव प्रतिमा शामिल होंगी। यह अद्वितीय संयोजन भक्तों के लिए एक अद्भुत दृश्य होगा। सवारी में गूंजते जयकारे और बैंड की धुनें पूरे उज्जैन को भक्ति के रंग में रंग देंगी। |
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महाकाल का लड्डू प्रसाद
महाकाल मंदिर में मिलने वाला लड्डू प्रसाद भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय है। बता दें कि, पहले सोमवार को 2.5 लाख भक्तों ने दर्शन किए थे और उस दिन 54.48 क्विंटल लड्डू प्रसाद की बिक्री हुई थी, जिसकी कुल कीमत लगभग 26 लाख रुपए थी।
इसे देखते हुए महाकाल मंदिर समिति ने दूसरे सोमवार को 80 क्विंटल लड्डू प्रसाद बनवाया था। तीसरी सवारी में भक्तों की संख्या बढ़ने का अनुमान है, जिसे देखते हुए मंदिर समिति लड्डू प्रसाद का ज्यादा स्टॉक बनाकर रख रही है।
महाकाल का लड्डू कैसे तैयार होता है
उज्जैन के बाबा महाकाल में लड्डू प्रसाद बनाने के लिए आवश्यक सामग्री (देसी घी, चने की दाल, रवा और ड्रायफ्रूट) टेंडर प्रक्रिया से खरीदी जाती है। हर सामग्री की गुणवत्ता खाद्य विभाग की टीम द्वारा जांची जाती है।
खराब या मानक से कम सामग्री को तुरंत लौटा दिया जाता है। महाकाल मंदिर देश का पहला ऐसा मंदिर है जिसे फाइव स्टार हाइजीन रेटिंग मिली है। यहां लड्डू बनाने का पूरा काम पूरी साफ-सफाई और गुणवत्ता के साथ होता है।
लड्डू प्रसाद की विशेषताएं
प्रतिदिन 50-60 क्विंटल लड्डू बनाए जाते हैं
50 से ज्यादा कर्मचारी रोजाना 10 घंटे तक काम करते हैं
लड्डू शुद्ध घी और बेसन से बनाए जाते हैं
यह 100 ग्राम, 200 ग्राम, 500 ग्राम और 1 किलो के पैक में उपलब्ध रहते हैं
इनकी कीमत 400 रुपए प्रति किलो है
यह लड्डू प्रसाद भगवान महाकाल को अर्पित करने के बाद भक्तों को वितरित किया जाता है, जो इसे प्रसाद के रूप में ग्रहण कर धन्य महसूस करते हैं।
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