एमपी के निजी विश्वविद्यालयों की जवाबदेही पर सवाल, सरकार के 6 पत्र और सीएमओ के आदेश भी बेअसर

मध्य प्रदेश में निजी यूनिवर्सिटीज की मनमानी बढ़ती जा रही है। महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय पर सरकारी आदेशों को अनदेखा करने के गंभीर आरोप लगे हैं। उच्च शिक्षा विभाग ने दो साल में कई पत्र भेजे, लेकिन यूनिवर्सिटी ने कोई जवाब नहीं दिया है।

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Ravi Awasthi
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BHOPAL. मध्य प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी अब अपवाद नहीं,बल्कि चलन बनती जा रही है। वीआईटी कॉलेज सीहोर में दूषित भोजन-पानी से छात्रा की मौत और हिंसा के बाद मप्र की जो देशव्यापी किरकिरी हुई।

इससे सबक लेने के बजाय प्रदेश का पहला निजी विश्वविद्यालय महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय भी उसी राह पर चलता दिख रहा है। जहां सरकारी पत्रों और निर्देशों को तवज्जो देना जरूरी नहीं समझा जाता।

वीआईटी के बाद दूसरी मिसाल

वीआईटी विश्वविद्यालय (VIT University) में छात्रा की मौत के बाद उपजे आक्रोश, आगजनी और हिंसा ने पूरे सिस्टम की पोल खोल दी थी। जांच, नोटिस और चेतावनियों के बावजूद विश्वविद्यालय प्रबंधन का रवैया जस का तस बना हुआ है। ठीक इसी अंदाज में महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय भी राज्य शासन के नियंत्रण को ठेंगा दिखा रहा है।

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दो साल में आधा दर्जन पत्र, जवाब शून्य

बढ़ती शिकायतों के बीच उच्च शिक्षा विभाग ने बीते दो वर्षों में विश्वविद्यालय प्रबंधन को कम से कम छह पत्र भेजे। हैरत की बात यह कि पहले पत्र का जवाब नहीं आया, तो रिमाइंडर भी भेजे गए, लेकिन विभाग को एक भी जवाब नसीब नहीं हुआ।

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जवाब की आस में विभाग, बेबसी में अफसर

विश्वविद्यालय की इस खुली अवहेलना के बावजूद MP उच्च शिक्षा विभाग खामोश है। पत्रों की अनदेखी पर न तो कोई कार्रवाई,न ही कोई सख्त संदेश। मानो विभाग खुद को बेबस और असहाय मान चुका हो।

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कुलाधिपति नियुक्ति पर भी टकराव

विश्वविद्यालय प्रबंधन ने गिरीश वर्मा को कुलाधिपति नियुक्त कर इसकी सूचना विभाग को दी। विभाग ने नियुक्ति को अमान्य बताते हुए तीन नामों की पैनल भेजने को कहा। गत 28 फरवरी को भेजे गए इस पत्र का आज तक कोई जवाब नहीं आया। उलटे विश्वविद्यालय अपने पहले फैसले पर अड़ा हुआ है।

निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी और सरकारी लाचारी

👉 महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय सरकारी नियमों और आदेशों को लगातार नजरअंदाज कर रहा है।

👉 उच्च शिक्षा विभाग द्वारा पिछले 2 साल में भेजे गए 6 पत्रों का विश्वविद्यालय ने कोई जवाब नहीं दिया।

👉 कुलाधिपति की नियुक्ति को लेकर सरकार और यूनिवर्सिटी प्रबंधन के बीच सीधा टकराव चल रहा है।

👉 मुख्यमंत्री कार्यालय के आदेश के बावजूद जांच रिपोर्ट समय पर नहीं मिली और मामला अधर में लटका है।

👉 सरकारी अफसर इस अनदेखी पर बेबस हैं, जबकि यूनिवर्सिटी प्रबंधन सभी जवाब देने का दावा कर रहा है।

सीएमओ के आदेश,जांच अधर में

25 नवंबर 2024 को कांग्रेस विधायक विवेक विक्की पटेल ने मुख्यमंत्री सचिवालय में विश्वविद्यालय के खिलाफ गंभीर शिकायत की। सीएमओ के अवर सचिव टी. इलैया राजा ने 15 दिन में जांच रिपोर्ट देने के निर्देश दिए थे। खानापूर्ति के तौर पर जबलपुर की तत्कालीन संयुक्त संचालक डॉ. संतोष जाटव से 7 दिन में रिपोर्ट मांगी गई थी। वहीं, आज तक सीएमओ को रिपोर्ट नहीं मिली। 

जाटव यह तक स्पष्ट नहीं कर सकीं कि जांच हुई भी या नहीं। उन्होंने कहा कि मैं सेवानिवृत हो चुकी हूं। शिकायत शाखा से पूछ कर बताती हूं,लेकिन उनका कॉल नहीं आया।

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विधानसभा में भी नहीं दे पाए जवाब

विधानसभा के पिछले सत्र में लिखित सवाल के जवाब में उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार  ने भी स्वीकार किया कि जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। वहीं, चौंकाने वाली बात यह रही कि मंत्री भी यह नहीं बता सके कि जांच कब तक पूरी होगी।

आरोपी से ही कराई जांच!

12 अगस्त को विश्वविद्यालय प्रबंधन के खिलाफ एक और गंभीर शिकायत विभाग को मिली थी। करीब 17 दिन बाद, 29 अगस्त को विभाग ने शिकायत की जांच के लिए खुद विश्वविद्यालय के कुलसचिव को ही पत्र लिख दिया और 7 दिन में रिपोर्ट मांगी। नतीजा वही, कोई जवाब नहीं।

उच्चस्तरीय जांच पर भी ब्रेक

सूत्रों के मुताबिक,एक अन्य शिकायत पर विभाग ने उच्चस्तरीय जांच की अनुमति मांगी। फाइल मंत्री के पास गई, लेकिन न अनुमति मिली, न नस्ती वापस आई।

विभागीय अवर सचिव का बेबस बयान

पत्र लिखने वाले अवर सचिव वीरेन सिंह भलावी ने स्वीकार किया कि विश्वविद्यालयसे उन्हें उनके पत्रों के जवाब नहीं मिल रहे हैं। इस पर विभागीय एक्शन को लेकर वह सिर्फ इतना कह सके, अब क्या बताएं?

विवि कुलगुरु का दावा, दिए गए सभी जवाब 

इन तमाम आरोपों के बीच विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रमोद वर्मा ने हैरानी जताई। उनका दावा है कि सरकार के हर पत्र का जवाब क्षेत्रीय अतिरिक्त संचालक कार्यालय के माध्यम से समय पर भेजा गया था। उनके अनुसार यह कहना कि पत्र अनुत्तरित हैं,अविश्वसनीय है। हालांकि सदन में आया मंत्री का जवाब उनके दावे को खारिज करता है। MP Private University Defaulter 

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