महर्षि विवि का नया कारनामा: यूजीसी को भी गलत जानकारी देकर किया गुमराह

महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय की एक और करतूत सामने आई है। इस बार विश्वविद्यालय ने यूजीसी को गलत जानकारी भेजकर खुद को डिफॉल्टर की सूची से बाहर करने की कोशिश की है।

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Ravi Awasthi
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Maharishi Mahesh Yogi Vedic Vishwavidyalaya Misleads UGC with False Information
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भोपाल. महर्षि महेश योगी वैदिक यूनिवर्सिटी अब विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की आंखों में भी धूल झोंकने का काम कर रही है। विश्वविद्यालय ने खुद को डिफॉल्टर की लिस्ट से बाहर करवाने के लिए आयोग को झूठी जानकारी भेज दी।

डॉ. गिरीश वर्मा को बताया कुलाधिपति

सूत्रों के अनुसार, University Grants Commission, UGC को जो जानकारी भेजी गई है, उसमें विवि का कुलाधिपति डॉ. गिरीश चंद वर्मा बताया गया है। बता दें कि राज्य शासन की ओर से वर्मा की इस पद पर नियुक्ति के प्रस्ताव को पहले ही खारिज किया जा चुका है।

जो एमपी में, वही छत्तीसगढ़ में भी कुलाधिपति-कुलगुरु

मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में महर्षि नाम से दो अलग-अलग विश्वविद्यालय चल रहे हैं। एक है महर्षि महेश योगी वैदिक विश्वविद्यालय और दूसरा महर्षि यूनिवर्सिटी ऑफ मैनेजमेंट एंड टेक्नोलॉजी।

इन दोनों ही विश्वविद्यालयों में डॉ. गिरीश वर्मा को कुलाधिपति और डॉ. प्रमोद वर्मा को कुलगुरु बताया गया है। बता दें कि मध्य प्रदेश उच्च शिक्षा विभाग के मुताबिक, एक आदमी दो अलग-अलग संस्थानों में एक साथ पद नहीं संभाल सकता।

कुल सचिव पद भी सवालों के दायरे में

महर्षि महेश योगी वैदिक विवि में कुल सचिव यानी रजिस्ट्रार का पद भी सवालों के घेरे में है। विवि ने जो जानकारी आयोग को भेजी, वो रजिस्ट्रार संदीप शर्मा के हस्ताक्षर से भेजी गई है।

वहीं, मप्र विधानसभा के पिछले मानसून सत्र में विवि ने कहा था कि संदीप शर्मा प्रभारी कुल सचिव हैं। और तो और, विवि ने उन्हें 15 मई 2007 से प्रभारी रजिस्ट्रार भी बताया था।

पीठम गठन का दिया हवाला

विवि ने आयोग को जो जानकारी भेजी, उसमें अपनी शिक्षण संस्था का नाम महर्षि वेद विज्ञान विश्व विद्यापीठम बताया है। वहीं, उच्च शिक्षा विभाग के रिकॉर्ड के मुताबिक, इस “पीठम” का गठन अब तक पूर्ण नहीं माना गया है।

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शिकायतों की लंबी फेहरिस्त, इससे भी इनकार

आयोग को भेजी गई जानकारी में विवि ने अपने खिलाफ लंबित शिकायतों का इनकार किया है। वहीं यूजीसी को भेजी गई एक शिकायत में सागर के सुधाकर सिंह राजपूत ने लंबित शिकायतों की पूरी लिस्ट दी है।

वेबसाइट पर भी गलत जानकारी की भरमार

राजपूत खुद को विवि का निदेशक बताते हैं। द सूत्र से बातचीत में राजपूत ने बताया कि विवि ने न सिर्फ आयोग से कई बातें छिपाई हैं, बल्कि उसकी वेबसाइट भी ऐसी जानकारी से भरी पड़ी है जो भ्रमित करती है। यूजीसी ने इस मामले में पूरी पारदर्शिता रखने की सख्त हिदायत दी है ताकि छात्रों को कोई गड़बड़ी न हो।

नियुक्तियों व अंकसूचियों को लेकर भी भ्रम

राजपूत ने अपनी शिकायत में कहा कि विवि में ज्यादातर नियुक्तियां शक के घेरे में हैं। यहां तक कि प्रभारी रजिस्ट्रार की पहली नियुक्ति और उसकी योग्यता पर भी जांच उच्च शिक्षा विभाग में पेंडिंग है।

इसके अलावा, विवि द्वारा जारी कई अंकसूचियों में भी परीक्षा केंद्र और प्रवेशित संस्था का नाम नहीं दिया गया है।

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विवि कुलगुरु ने साधी चुप्पी

इन सभी मुद्दों पर शिक्षण संस्थान का पक्ष जानने के लिए द सूत्र ने विवि के कुलगुरु डॉ. प्रमोद वर्मा से कई बार संपर्क किया गया। यहां तक कि व्हाट्सएप पर दो बार मेसेज भी भेजे गए, लेकिन कुलगुरु इन सब मामलों में चुप्पी साध गए।

वहीं, उच्च शिक्षा विभाग के ओएसडी डॉ. अनिल पाठक ने कहा कि महर्षि महेश योगी वैदिक विवि में अभी तक कुलाधिपति की नियुक्ति नहीं की गई है।

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