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2008 में हुए चर्चित मालेगांव बम ब्लास्ट मामले में आज विशेष एनआईए कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया। इस फैसले के बाद जहां पूरे देश में इस पर तीखी बहस और चर्चाएं शुरू हो गई हैं, वहीं इंदौर निवासी और इसी मामले में सह आरोपी रहे श्याम साहू के घर खुशी और राहत का माहौल देखने को मिला।
परिजनों ने बांटी मिठाइयां, की आतिशबाजी
कोर्ट के फैसले की जानकारी मिलते ही श्याम साहू के परिजनों और परिचितों ने उनके इंदौर स्थित निवास पर एकत्र होकर जश्न मनाया। मिठाइयां बांटी गईं, आतिशबाजी की गई, और पूरे माहौल में राहत की भावना दिखाई दी। परिजनों ने इसे "न्याय की जीत" बताते हुए कहा कि यह फैसला सत्य और विश्वास की ताकत का प्रमाण है।
केवल परिवार नहीं, संघर्ष का जश्न
इंदौर में श्याम साहू के घर जो जश्न दिखा। इस दौरान परिवार व मित्रों ने कहा कि यह केवल एकव्यक्ति या परिवार की राहत नहीं थी, बल्कि सालों के संघर्ष, अपमान और मानसिक पीड़ा का परिणाम था। यह न्याय की उस उम्मीद की जीत है, जो सालों से एक जवाब का इंतजार कर रही थी।
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पहले ही बरी हो चुके थे श्याम साहू
मालेगांव विस्फोट मामले में श्याम साहू पर आरोप था कि उन्होंने केस की मुख्य अभियुक्त साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मोबाइल, सिम कार्ड और रिचार्ज कूपन उपलब्ध कराए थे। हालांकि, 2017 में ही कोर्ट ने उन्हें साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया था। अब जब सभी आरोपियों को भी कोर्ट ने दोषमुक्त करार दिया, तो श्याम साहू और उनके परिवार ने इसे पूर्ण न्याय की दिशा में एक निर्णायक मोड़ बताया।
झूठे आरोपों से बहुत कुछ खोया
मीडिया से चर्चा करते हुए श्याम साहू ने कहा,“मैं और मेरा परिवार वर्षों तक मानसिक, सामाजिक और आर्थिक यातनाएं झेलता रहा। झूठे आरोपों ने हमें समाज में कठघरे में खड़ा कर दिया। लेकिन आज सच्चाई जीत गई। यह फैसला उन सभी के लिए सबक है जो बिना ठोस प्रमाण किसी को दोषी ठहरा देते हैं।”
पत्नी की आंखों में आंसू, बेटे के चेहरे पर खुशी
इस मौके पर श्याम साहू की पत्नी सीमा साहू भावुक हो गईं। उन्होंने कहा,“हर दिन डर और अपमान में बिताया। रिश्तेदारों ने दूरी बना ली, लेकिन मैंने कभी अपने पति की बेगुनाही पर शक नहीं किया।” वहीं उनका बेटा और अन्य परिजन भी इस क्षण पर बेहद खुश दिखे और एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर बधाइयां दीं।
मालेगांव ब्लास्ट 2008 मामला
गौरतलब है कि 2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाकों में कई लोगों की जान गई थी। इस मामले में साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, कर्नल पुरोहित सहित कई लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था। जांच के बाद मामला राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपा गया। लंबी सुनवाई और जांच के बाद कोर्ट ने सभी को बरी कर दिया।
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