कौन हैं साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, जानें मालेगांव ब्लास्ट से लोकसभा तक का उनका संघर्ष

जानिए साध्वी प्रज्ञा ठाकुर के मालेगांव ब्लास्ट केस से लेकर राजनीति में आने तक के सफर के बारे में। उनका संघर्ष, विवादित बयान और बीजेपी में योगदान सभी के बारे में...

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Amresh Kushwaha
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साध्वी प्रज्ञा ठाकुर, एक नाम जो भारतीय राजनीति और मालेगांव बम विस्फोट मामले के कारण सुर्खियों में बना रहा है। साल 2008 में मालेगांव धमाके ने प्रज्ञा ठाकुर को विवादों के केंद्र में ला खड़ा किया, और वह भारतीय जनता पार्टी (BJP) की एक प्रमुख नेता के तौर पर जानी जाने लगी। आइए जानते हैं, साध्वी प्रज्ञा ठाकुर की यात्रा के बारे में, उनके संघर्षों से लेकर राजनीतिक सफलता तक की कहानी।

मालेगांव ब्लास्ट केस में साध्वी प्रज्ञा का नाम कैसे आया?

2008 में महाराष्ट्र के मालेगांव में हुए बम धमाके में छह लोग मारे गए थे और सैकड़ों लोग घायल हुए थे। यह धमाका एक मोटरसाइकिल में लगाए गए बम से हुआ था। इस हमले के लिए अभिनव भारत नामक एक दक्षिणपंथी संगठन का नाम सामने आया था। इसमें साध्वी प्रज्ञा का भी नाम आया था। इससे उनका जीवन एक विवादों से घिर गया।

उन पर आरोप था कि मालेगांव धमाके में उनका हाथ था और उन्होंने इसे हिंदू आतंकवाद के रूप में स्थापित करने की कोशिश की थी। हालांकि, 31 जुलाई 2025 को अदालत ने प्रज्ञा ठाकुर और अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया। साध्वी प्रज्ञा ने अदालत में कहा था कि उनके खिलाफ सभी आरोप झूठे थे और उन्होंने जानबूझकर उन्हें फंसाया था।

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एमपी की बेटी है साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर

साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर का जन्म 2 फरवरी 1970 को मध्य प्रदेश के भिंड जिले में हुआ था। उनके पिता चंद्रपाल सिंह भिंड में आयुर्वेदाचार्य थे और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के सदस्य थे। साध्वी प्रज्ञा का स्वभाव बचपन से ही टॉमबॉय था, वे छोटे बाल रखती थीं, लड़कों जैसे कपड़े पहनती थीं और बाइक चलाने का शौक था। उन्होंने 1996 में एम.जे.एस. कॉलेज, भिंड से जीवाजी विश्वविद्यालय से एम.ए. की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद 1997 में विद्यानिकेतन कॉलेज ऑफ फिजिकल एजुकेशन, भोपाल से बरकतउल्ला विश्वविद्यालय से बी.पी.एड. की डिग्री ली।

प्रज्ञा ठाकुर का विवादित बयान

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर ने कई बार विवादित बयान दिए, जिनके कारण उनका नाम सुर्खियों में रहा-

  • हेमंत करकरे पर बयान: 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने कहा था कि मुंबई के एटीएस प्रमुख हेमंत करकरे की मौत उनके श्राप के कारण हुई थी, जिसे लेकर विवाद हुआ।

  • नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहना: उन्होंने नाथूराम गोडसे को देशभक्त कहा, जिसे लेकर बीजेपी ने भी उनकी आलोचना की थी।

  • बाबरी मस्जिद विवाद: बाबरी मस्जिद के विध्वंस के मामले में भी उन्होंने अपने बयान दिए थे, जिनकी वजह से चुनाव आयोग ने उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाई थी।

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साध्वी प्रज्ञा सिंह ने राजनीति में कदम कैसे रखा?

प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने अपने कॉलेज के समय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से जुड़कर छात्र राजनीति की शुरुआत की और धीरे-धीरे राज्य सचिव के पद तक पहुंची। वे बचपन से ही दक्षिणपंथी विचारधारा की अनुयायी रही हैं।

1997 में ABVP छोड़ने के बाद, प्रज्ञा ने राष्ट्रवादी सेना और हिन्दू जागरण मंच के लिए कार्य किया और बजरंग दल की महिला शाखा दुर्गा वाहिनी की सदस्य भी बनीं। इसके अतिरिक्त, वे संघ परिवार से संबंधित वंदे मातरम् जन कल्याण समिति की संस्थापक सदस्य भी हैं।

साध्वी प्रज्ञा साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो गई। उन्होंने बीजेपी में शामिल होकर मध्य प्रदेश की भोपाल सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह को भारी मतों से हराया। उन्होंने 3 लाख 64 हजार 822 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की। ऐसे में साध्वी भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम बन गई।

21 नवंबर 2019 को साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर को रक्षा मंत्रालय के अधीन बनाई गई 21 सदस्यीय संसदीय सलाहकार समिति का सदस्य नियुक्त किया गया था। इसकी अध्यक्षता रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह कर रहे थे। हालांकि, नाथूराम गोडसे को "देशभक्त" कहने वाले उनके बयान पर विपक्षी दलों ने तीखी आलोचना की। इसके कारण 28 नवंबर को उन्हें रक्षा मामलों की समिति से हटा दिया गया और भाजपा की संसदीय दल की बैठकों से भी बाहर कर दिया गया।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर को हुआ था कैंसर

साध्वी प्रज्ञा ने 2023 में बताया कि जेल में प्रताड़ना के कारण उनकी सेहत में काफी गिरावट आई थी। उन्होंने कहा कि उनके शरीर में कैंसर, रीढ़ की हड्डी की समस्या और अन्य न्यूरोलॉजिकल समस्याएं बढ़ गई थीं। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस सरकार और एटीएस के जरिए उन्हें प्रताड़ित किया गया था। इसकी वजह से उनका स्वास्थ्य बिगड़ा।

साध्वी को ब्रेस्ट कैंसर भी हुआ था और इसके इलाज के लिए उन्होंने कई सर्जरी करवाईं। हालांकि, उन्होंने दावा किया था कि उनका कैंसर गोमूत्र और पंचगव्य से ठीक हुआ थ। इसके कारण उन्हें आलोचनाओं का सामना भी करना पड़ा।

जानें कितनी है साध्वी प्रज्ञा की संपत्ति...

2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान साध्वी प्रज्ञा ने हलफनामे में अपनी संपत्ति 4.4 लाख रुपए बताई थी। उनके पास 90 हजार रुपए नकद और 2 लाख रुपए के गहने थे। साध्वी के पास खुद का घर और गाड़ी नहीं है। हालांकि, 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।

FAQ

साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मालेगांव बम विस्फोट केस में बरी क्यों किया गया?
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को मालेगांव बम विस्फोट केस में 31 जुलाई 2025 को अदालत ने सबूतों की कमी के कारण बरी कर दिया। कोर्ट ने यह पाया कि आरोपियों के खिलाफ पर्याप्त प्रमाण नहीं थे, जिससे उन्हें आरोप मुक्त कर दिया गया।
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का राजनीतिक करियर कैसे शुरू हुआ था?
साध्वी प्रज्ञा ठाकुर का राजनीतिक करियर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) से शुरू हुआ था। इसके बाद, उन्होंने बजरंग दल, दुर्गा वाहिनी, और अन्य संघ परिवार से जुड़े संगठनों में कार्य किया और अंततः 2019 में भाजपा के सदस्य बनकर भोपाल से लोकसभा चुनाव लड़ा।

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