एमपी में कुपोषण की मार, योजनाओं के बावजूद 44 लाख बौने और कम वजन वाले 17 लाख बच्चे

एमपी में कम वजन वाले बच्चों की संख्या में 3% की वृद्धि हुई है। मई में यह संख्या 24% थी, जो जून में बढ़कर 27% हो गई है। इस वृद्धि के कारण मध्यप्रदेश 35वें स्थान पर आ गया।

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Deeksha Nandini Mehra
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एमपी में कुपोषण
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Malnutrition increased in MP : मध्य प्रदेश सरकार कुपोषण को दूर करने के लिए तरह-तरह की योजनाएं लेकर आ रही है, लेकिन फिर भी बच्चों का कुपोषण दूर नहीं हो रहा है। केंद्र सरकार के पोषण ट्रैकर जून 2024 की रिपोर्ट के अनुसार मध्य प्रदेश में 3 प्रतिशत कुपोषण बढ़ा है।

मध्य प्रदेश में 97 हजार 135 आंगनबाड़ी रजिस्टर्ड हैं, जिसमें 6 साल तक के 65 लाख 99 हजार बच्चों पंजीकृत है। पंजीकृत बच्चों में से 44 लाख बच्चे बौने और 17 लाख बच्चे कम वजन वाले है। 

बच्चों के कम वजन में वृद्धि

रिपोर्ट में बताया गया है कि मध्यप्रदेश में कम वजन वाले बच्चों की संख्या में 3% की वृद्धि हुई है। मई में यह संख्या 24% थी, जो जून में बढ़कर 27% हो गई है। इस वृद्धि के कारण मध्यप्रदेश 35वें स्थान पर आ गया है, और इससे नीचे केवल चंडीगढ़ है, जहां 4% की गिरावट दर्ज की गई है। दूसरी ओर, छत्तीसगढ़ ने 2% सुधार किया है और वह दूसरे स्थान पर है।

शिवपुरी जिले के डौंडियाई गांव के डेढ़ साल के राहुल आदिवासी का वजन 9 किलो होना चाहिए, लेकिन उसका वजन केवल 5 किलो 900 ग्राम है। ऐसे ही कई बच्चे हैं जो सही पोषण नहीं मिलने से कुपोषित हैं। 

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महिला एवं बाल विकास विभाग की प्रतिक्रिया

महिला एवं बाल विकास विभाग के अधिकारियों का कहना है कि पिछले तीन महीनों से इस डाटा को ट्रैक किया जा रहा है और जिन जिलों में स्थिति गंभीर है, वहां संसाधन बढ़ाए जा रहे हैं। 

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नए आहार की योजना

आंगनबाड़ियों के बच्चों की सेहत सुधारने के लिए विभाग ने भोजन में बदलाव करने की योजना बनाई है। अब बच्चों को सप्ताह में एक बार मोटे अनाज से बनी चीजें और सोयाबीन की बर्फी दी जाएगी। अभी तक सोयाबीन से बनी बर्फी केवल गर्भवती महिलाओं और किशोरी बालिकाओं को दी जाती थी।

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आंगनबाड़ियों की बुनियादी समस्याएं

केंद्र की रिपोर्ट के अनुसार 77 हजार 120 आंगनबाड़ी केंद्रों में पीने के पानी का इंतजाम है, जबकि 20 हजार 210 केंद्रों में पेयजल की दिक्कत है। इसके अलावा, 42 हजार 313 आंगनबाड़ियों के पास खुद का भवन नहीं है और 20 हजार 993 आंगनबाड़ियां या तो हैं ही नहीं, और यदि हैं तो वे इस्तेमाल योग्य नहीं हैं।

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