MP के इस गांव में अनूठी होली, एक दिन पहले होलिका दहन और रंगोत्सव, जानें खास वजह

मध्य प्रदेश के मंडला के धनगांव में होली का त्योहार एक दिन पहले मनाया गया। यहां बुधवार को होलिका दहन किया गया और गुरुवार को रंगों से भरा उत्सव मनाया गया। साथ ही आदिवासी नृत्य भी किया जानें, जानें इस गांव की परंपरा...

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Vikram Jain
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mandla dhangav village holi celebration one day before madhya pradesh
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दीपक जाट@mandla

पूरे देश में होली का त्योहार को धूमधाम से मनाया जा रहा है, लेकिन मध्य प्रदेश का एक गांव ऐसा भी जहां एक दिन पहले ही होलिका दहन हो चुका है, इस गांव में होली जमकर मनाया जा रहा है। पूरा गांव रंगों में सराबोर हो गया है।

मध्य प्रदेश के मंडला जिले के धनगांव गांव में होली का त्योहार एक दिन पहले मनाने की परंपरा को लेकर खास पहचान बनी हुई है। इस गांव में होलिका दहन बुधवार (12 मार्च) को हुआ और गुरुवार से पूरे गांव में रंगों से सराबोर होकर त्योहार की खुशी मनाई जा रही  है। आदिवासी नृत्य "शैला" की धुन पर युवा, बुजुर्ग और बच्चे झूमते नजर आए। हर गली और चौक रंग-बिरंगे गुलाल से सराबोर हो गया। यहां के ग्रामीणों का मानना है कि नियत तिथि से एक दिन पहले त्योहार मनाने से गांव में सुख-समृद्धि रहती है और विपत्तियां दूर रहती हैं। यह परंपरा गांव की सांस्कृतिक धरोहर बन चुकी है।

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मान्यता के अनुसार जलाई गई होली

धनगांव गांव में होली का त्योहार एक दिन पहले मनाने की परंपरा वर्षों से निभाई जा रही है। यह परंपरा गांव के लोगों के बीच बहुत महत्व रखती है, और इसे लेकर ग्रामीणों का मानना है कि यदि होली को नियत तिथि से एक दिन पहले मनाया जाए, तो गांव में खुशहाली और समृद्धि बनी रहती है। वे मानते हैं कि इस परंपरा का पालन करने से किसी भी प्रकार की विपत्तियां नहीं आतीं।

होलिका दहन और रंगोत्सव का धूमधाम

गांव के लोग हर साल इस परंपरा को बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इस साल भी बुधवार, 12 मार्च की शाम को करीब 7 बजे गांव के सभी लोग एकजुट हुए और विधि-विधान से होलिका दहन किया। इसके बाद, पूरे गांव में गुलाल की बारिश हुई और लोग एक-दूसरे को रंगों के साथ शुभकामनाएं देने लगे। गांव में जगह-जगह आदिवासी नृत्य "शैला" की धुन पर लोग झूमते नजर आए। यह दृश्य सच में एक जश्न था, जहां बड़े और छोटे सभी लोग इस उत्सव का हिस्सा बने।

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धनगांव की परंपरा और लोगों का विश्वास

धनगांव में सिर्फ होली ही नहीं, बल्कि दीवाली और हरियाली अमावस्या जैसे प्रमुख त्योहार भी नियत तिथि से एक दिन पहले मनाए जाते हैं। यहां के लोग मानते हैं कि ऐसा करने से उनके गांव के देवता प्रसन्न रहते हैं और गांव में सुख-समृद्धि बनी रहती है। अतीत में जब इस परंपरा को तोड़ने की कोशिश की गई, तो गांव में बीमारियों का प्रकोप देखने को मिला, जिससे ग्रामीणों का विश्वास और भी मजबूत हो गया कि उन्हें अपने पूर्वजों की परंपरा का पालन करना ही होगा।

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सामूहिक उत्सव की भावना

धनगांव की यह परंपरा इसे जिले के अन्य गांवों से अलग बनाती है। यहां हर त्योहार सामूहिक रूप से मनाया जाता है, जिसमें न केवल उत्सव का आनंद लिया जाता है बल्कि यह एकता और सामूहिक भावना को भी बढ़ावा देता है। यहां के लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर त्योहारों का आयोजन करते हैं, जिससे गांव में भाईचारे और सामूहिक खुशी का माहौल बना रहता है।

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उत्सव का महत्व

धनगांव के इस अद्भुत उत्सव से न केवल धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई हैं, बल्कि यह गांव की सांस्कृतिक धरोहर का हिस्सा भी है। यह उत्सव गांव के हर नागरिक के लिए एक सुखद और आनंदमय अनुभव बनता है, जो सामूहिक रूप से आयोजित किए जाने वाले आयोजनों से उनकी जिंदगी में खुशियां लाता है।

5 मुख्य बिंदुओं से समझें पूरा मामला 

✅ धनगांव में एक दिन पहले मनाई जाती है होली: यहां परंपरा के अनुसार, होली का त्योहार नियत तिथि से एक दिन पहले मनाया जाता है।
✅ होलिका दहन और रंगोत्सव: गांव में बुधवार को होलिका दहन किया गया और गुरुवार को रंगों की मस्ती में लोग डूब गए।
✅ पारंपरिक विश्वास और महत्व: गांव के लोग मानते हैं कि इस परंपरा से गांव में सुख-समृद्धि रहती है और विपत्तियां दूर रहती हैं।
✅ सामूहिक उत्सव का आयोजन: धनगांव में हर त्योहार सामूहिक रूप से मनाया जाता है, जो गांव में सामूहिक एकता और खुशी का माहौल बनाता है।
✅ धनगांव की परंपरा और सांस्कृतिक धरोहर: यह परंपरा गांव की सांस्कृतिक पहचान बन चुकी है और हर साल इसका उल्लास बढ़ता जा रहा है।

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