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इंदौर आबकारी विभाग में 2017 में हुए 71 करोड़ रुपए के घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने 28 अप्रैल को इंदौर, भोपाल और जबलुपर में छापे मारे थे। यह कार्रवाई ठेकेदारों के यहां थी।
अब इस मामले में ठेकेदारों के बाद ईडी का रूख अधिकारियों की ओर हो गया है। इसमें मंदसौर जिले में बुधवार सुबह ईडी की टीम ने जिला आबकारी अधिकारी बीएल दांगी के घर पर दबिश दी। यह छापेमारी सुबह लगभग 4 बजे यश नगर स्थित उनके आवास पर की गई। हाल ही में बीएल दांगी का मंदसौर से दतिया तबादला हुआ है, लेकिन वे अभी रिलीव नहीं हुए हैं।
दांगी के करीबी के राजू दशवंत से संबंध
इंदौर में जब आबकारी का सबसे बड़ा 71 करोड़ का घोटाला (पहले 42 करोड़ ही अनुमानित था) सामने आया था, तब इसके दर्जन भर आरोपियों में एक नाम ठेकेदार राजू दशवंत का भी था।
जानकारी मिली ही कि अप्रैल माह में जब ईडी ने छापे मारे थे तब इसमें दशवंत के साथ दांगी के एक करीबी परिजन के कारोबारी संबंधों का भी खुलासा हुआ। इसी खुलासे के बाद ईडी ने अब दांगी के यहां छापा मारा है। इस घोटाले में उनकी भी लिंक जुड़ रही है।
दशवंत घोटाले में केस दर्ज होने के बाद फरार हुआ था और फिर तीन माह बाद पुलिस के हत्थे चढ़ा था। छापेमारी के दौरान ईडी की टीम ने बीएल दांगी के आवास पर धाबा बोला। वहां मौजूद दस्तावेजों और संपत्तियों की गहनता से जांच की। अभी पूरे मामले पर जांच जारी है।
28 अप्रैल को ईडी ने पूरे प्रदेश में मारे थे छापे
इसी घोटाले को लेकर ईडी ने 28 अप्रैल को प्रदेशव्यापी छापे मारे थे। इंदौर में 18 टीम अलग-अलग जगह पर पहुंची थी। वहीं, भोपाल और जबलपुर में भी टीम गई। करीब आठ साल पहले घोटाला उजागर होने पर विभाग ने तत्कालीन उपायुक्त विनोद रघुवंशी को ट्रासंफर कर दिया था।
साथ ही, सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे, लसूड़िया आबकारी वेयरहाउस के प्रभारी डीएस सिसोदिया, महू वेयर हाउस के प्रभारी सुखनंदन पाठक, सब इंस्पेक्टर कौशल्या सबवानी, हेड क्लर्क धनराज सिंह परमार और अनमोल गुप्ता को सस्पेंड किया था। साथ ही, इंदौर में 3 साल से अधिक समय से जमे 20 अधिकारियों और बाबुओं का ट्रांसफर कर दिया था। हालांकि सभी अधिकारी बहाल हो गए हैं और इन सभी की विभागीय जांच जारी है।
ईडी घोटाले में अभी यह कर रहा है-
ईडी ने जून 2024 में यह जांच हाथ में लेने के बाद जांच शुरू करते हुए सबसे पहले ग्वालियर आबकारी आयुक्त से केस से जुड़ी कई जानकारियां मांगी थी। रावजी बाजार पुलिस स्टेशन में केस नंबर 172/2017 के तहत 11 अगस्त 2017 को यह केस दर्ज हुआ है। ईडी ने मांगा था कि
- सभी ठेकेदारों की जानकारी जिनके कारण मप्र शासन को नुकसान हुआ
- अभी तक किस आरोपी से कितनी राशि रिकवर हुई इसकी जानकारी
- इन सभी ठेकेदारों के खातों की जानकारी
- अभी तक केस की स्थिति की अपडेट
- विभाग की आंतरिक जांच रिपोर्ट जो अधिकारियों को लेकर की गई है
घोटाले में केवल 22 करोड़ की राशि ही वसूल कर सका था विभाग
इस मामले में घोटाले सामने आने के बाद विभाग ने ठेकेदारों से वसूली की कार्रवाई शुरू की थी लेकिन आबकारी विभाग सब प्रयासों के बाद भी केवल 22 करोड़ के करीब ही राशि वसूल कर सका था। इसमें आरोप लगे थे कि विभाग के अधिकारियों ने मिलीभगत कर ठेकेदारों को इसमें लाभ पहुंचाया है। इसमें 14 शराब ठेकेदार भी आरोपी बने थे।
इस तरह किया गया 71 करोड़ का खेल
इस खेल में चालानों में राशि का हेरफेर कर घोटाला किया गया। यह साल 2014 से 2017 के बीच हुआ। यदि चालान एक हजार का है तो इसे एक लाख बताकर दिखाया गया और शराब उठाई गई। इस तरह सैंकड़ों चालानों के जरिए यह फर्जीवाडा किया गया और नीचे से लेकर ऊपर तक आबकारी अधिकारियों ने कभी चालानों को चेक तक नहीं कि इंदौर में हुए 42 करोड़ के आबकारी घोटाले में विभाग ने करीब डेढ़ साल बाद यहां पदस्थ 11 सहायक आबकारी अधिकारी और आठ आबकारी उप निरीक्षक की विभागीय जांच शुरू की है। घोटाले के दौरान सभी अफसर इंदौर में पदस्थ थे। विभाग ने माना, इन लोगों की लापरवाही के कारण ही इतना बड़ा घोटाला हुआ, इसलिए इनकी भी विभागीय जांच होनी चाहिए।
6 को सस्पेंड किया था
घोटाला उजागर होने पर छह अफसरों को सस्पेंड किया गया था, अब सभी बहाल हो चुके हैं। हालांंकि, विभाग काफी हाथ-पैर मारने के बाद भी अब तक 42 करोड़ में से सिर्फ 21.86 करोड़ ही वसूल पाया है। अगस्त 2017 में आबकारी विभाग में आबकारी घोटाला सामने आया था। सहायक आबकारी आयुक्त संजीव दुबे के कार्यकाल के दौरान फर्जी रसीदों के माध्यम से घोटाला हुआ था। पहले करीब 15-16 करोड़ का घोटाला सामने आया, जब उपायुक्त ने जांच की तो पता चला कि 3 साल में विभाग को 42 करोड़ का चूना लगा है। विभाग ने आनन-फानन में रावजीबाजार थाने में 14 लोगों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई थी। इसमें से 12 शराब ठेकेदार के साथ राजू दशवंत व अंश षड्यंत्रकारी माने गए थे।
ईडी ने अप्रैल में इनके यहां मारे थे छापे
ईडी की टीम शराब ठेकेदार एमजी रोड समूह के अविनाश और विजय श्रीवास्तव, जीपीओ चौराहा ग्रुप के राकेश जायसवाल, तोपखाना समूह के योगेंद्र जायसवाल, बायपास चौराहा देवगुराड़िया समूह राहुल चौकसे, गवली पलासिया समूह सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर पहुंची थी।
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