रीवा में मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल, जो लगभग 48 घंटे से नजरबंद थे, गुरुवार रात को पुलिस से झड़प के बाद चले गए। वे अपने समर्थकों के साथ देवरा के महादेवन मंदिर के पास अतिक्रमण हटाने पहुंचे। पुलिस ने वहां उन्हें दोबारा हिरासत में ले लिया। पुलिस ने उन्हें फिर से हिरासत में ले लिया।
जमानत मिलने के बाद भी पुलिस ने नहीं छोड़ा
सूत्रों के मुताबिक, विधायक को गुरुवार दोपहर जमानत मिल गई थी। लेकिन पुलिस को आशंका थी कि बाहर निकलने पर विवाद की स्थिति बन सकती है, इसलिए उन्हें रिहा नहीं किया गया। विधायक को रीवा के पुलिस लाइन के सामुदायिक भवन में रखा गया था।
एसडीएम ने रोका, लेकिन विधायक नहीं माने
एसडीएम कमलेश पुरी ने विधायक प्रदीप पटेल को 15 दिन तक मंदिर और देवरा गांव न जाने का निर्देश दिया। इस पर विधायक नाराज हो गए और समर्थकों से कहा, चलो देवरा। पुलिस और अधिकारियों ने उन्हें रोकने की कोशिश की लेकिन सफल नहीं हुए।
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गेट खोलने के लिए पुलिस से झड़प
विधायक ने पुलिस से कहा, "जब मैं मुक्त हूं, तो मुझे क्यों रोका जा रहा है?" पुलिस ने गेट बंद कर दिया, लेकिन विधायक ने धक्का देकर गेट खुलवा लिया और कहा, "मैं स्वतंत्र हूं, जहां चाहूंगा, वहां जाऊंगा।"
मंदिर पहुंचने की कोशिश
रात 8 बजे विधायक समर्थकों के साथ महादेवन शिव मंदिर पहुंचे। मंदिर के पास पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी, जिससे वे मंदिर तक नहीं जा सके। पुलिस ने रात 9:30 बजे उन्हें वज्र वाहन में बैठाकर नईगढ़ी रेस्ट हाउस ले जाया। वहां भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
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तीन महीने से अतिक्रमण हटाने का इंतजार
विधायक ने प्रशासन पर आरोप लगाते हुए कहा कि तीन महीने पहले अतिक्रमण हटाने का आश्वासन दिया गया था। इसके बाद हिंदू समाज ने धरना और आमरण अनशन भी किया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई।
मुझे छोड़ोगे, तो मैं वादा पूरा करूंगा
विधायक ने कहा, "मुझे पहले रीवा में नजरबंद रखा गया और अब यहां लाया गया। मैंने कहा था कि मुझे छोड़ोगे, तो मैं अपने वादे को पूरा करूंगा। अतिक्रमण हटाने के लिए मैं फिर आया हूं, लेकिन धारा 163 के तहत मुझे फिर गिरफ्तार कर लिया गया।"
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मंदिर जमीन के विवाद की पूरी कहानी
मध्य प्रदेश के मऊगंज विधानसभा के खटखरी चौकी क्षेत्र में स्थित 9 एकड़ 27 डिसमिल भूमि को लेकर एक गंभीर विवाद खड़ा हो गया है। इस भूमि पर मुस्लिम समुदाय और दलित परिवारों के लगभग 70-80 घर बसे हैं, जिनका दावा है कि यह भूमि उनके पूर्वजों की है और वे इसे छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इस विवाद को लेकर मुस्लिम समुदाय ने जबलपुर हाईकोर्ट में पिटीशन भी दायर की है। हालांकि, इस मामले पर हाईकोर्ट में सुनवाई चल रही है, बावजूद इसके भाजपा विधायक प्रदीप पटेल ने अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई शुरू कर दी, जिससे स्थिति और बिगड़ गई।
दरअसल, हिंदू नेता संतोष तिवारी ने प्रशासन से अतिक्रमण हटाने की मांग की थी, लेकिन प्रशासन की निष्क्रियता के चलते भाजपा कार्यकर्ताओं ने खुद ही जेसीबी लेकर कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया। विधायक पटेल भी मौके पर पहुंचे और प्रशासन की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए खुद अतिक्रमण हटाने की घोषणा की। विधायक पटेल का कहना था कि चार महीने पहले उन्होंने इस मुद्दे को उठाया था, लेकिन प्रशासन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया था।
विधायक की जिद और दोनों पक्षों के बीच हिंसा का कारण बनी। मुस्लिम समुदाय ने विरोध शुरू कर दिया, जिससे पथराव और नारेबाजी हुई। इस दौरान तीन लोग घायल हो गए। कलेक्टर और एसपी ने स्थिति को नियंत्रित करने के प्रयास किए, लेकिन विधायक पटेल अपनी जिद पर अड़े रहे। प्रशासन के प्रयास विफल होने के बाद, विधायक को जबरन मऊगंज भेजा गया और वहां एक सामुदायिक भवन में ठहराया गया।
जेसीबी से बाउंड्री वॉल गिराने के दौरान मुस्लिम और दलित परिवारों ने विरोध किया, जिससे स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई। पथराव के दौरान कई लोग घायल हुए। पुलिस ने भारी बल के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर स्थिति को नियंत्रित किया और विधायक पटेल को हिरासत में लिया। खबर लिखे जाने तक यह साफ नहीं हो पाया था कि उन्हें कहां ले जाया गया। प्रशासन इस पूरे घटनाक्रम पर चुप्पी साधे हुए है, और अतिक्रमण स्थल पर भारी पुलिस बल तैनात किया गया है।
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