संजय गुप्ता. INDORE. नगर निगम के चर्चित हो चुके बिल घोटाले में अभी तक निगम के कुल 9 किरदार सामने आ चुके हैं। लेकिन महापौर पुष्यमित्र भार्गव ( Mayor Pushyamitra Bhargava ) हो या एमआईसी के वरिष्ठ सदस्य राजेंद्र राठौर दोनों इसे काफी नहीं मान रहे हैं। दोनों ही चाहते हैं कि इस मामले में पूर्व निगमायुक्तों से लेकर अपर आयुक्तों व अन्य अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो। बताया जा रहा है कि शुक्रवार शाम तक हाई लेवल यानी उच्च स्तरीय जांच कमेटी नगरी प्रशासन मंत्रालय द्वारा गठित हो जाएगी। जिसमें आला अफसरों को शामिल किया जाएगा।
नेता अब पुरानी ब्यूरोक्रेसी का करना चाहते हैं हिसाब-किताब पूरा
नगर निगम की नई परिषद जुलाई 2022 में गठित होने के बाद से ही निगम में नेता VS ब्यूरोक्रैसी जमकर चल रहा है। महापौर और एमआईसी की तत्कालीन निगमायुक्त प्रतिभा पाल से जरा भी नहीं पटी। इसे लेकर लगातार नेताओं के बयान आते रहे। तत्कालीन सीएम शिवराज सिंह चौहान से दूरियां होने के चलते महापौर भार्गव पर ब्यूरोक्रैसी हावी रही। उनके बाद हर्षिका सिंह आई, लेकिन दोनों के बीच दूरियां जारी रही। फिर सीएम बदले और मंत्री भी कैलाश विजयवर्गीय ( Kailash Vijayvargiya ) आए, इसके बाद सिंह की विदाई हो गई और मार्च में शिवम वर्मा आ गए। फिलहाल उनकी कार्यशैली से नेता और ब्यूरोक्रैसी के बीच की तनातनी थमी है। लेकिन अब सामने आए इस बिल घोटाले के जरिए नेता, जनप्रतिनिधि पुराने निगायुक्त के साथ ही अधिकारियों (ब्यूरोक्रेसी) से सभी पुराने हिसाब-किताब बराबर करना चाहते हैं। ऐसे में उच्च स्तरीय जांच के जरिए उच्च स्तरीय नामों को सामने लाकर बताना चाहते हैं कि नगर निगम में नेता नहीं अधिकारी ही सबसे ज्यादा भ्रष्ट है।
महापौर पुष्यमित्र भार्गव क्या मान रहे हैं
महापौर भार्गव ने इस घोटाले के सामने आने के बाद ही सीएम डॉ. मोहन यादव ( Mohan Yadav ) के साथ ही नगरीय प्रशासन मंत्री कैलाश विजयवर्गीय को पत्र लिखा और पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की। जब सोमवार को सीएम रात को इंदौर आए तो फिर महापौर ने बात की और मंगलवार को ही कैलाश विजयवर्गीय ने निगम के तीन अधिकारियों पर कार्रवाई की जानकारी दे दी। भार्गव का साफ कहना है कि इस मामले में सभी आरोपी सामने आने चाहिए और अधिकारियों की भूमिक की जांच हो।
राजेंद्र राठौर खुलकर बोल रहे निगमायुक्त, अपर आयुक्त की जांच हो
उधर एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर का कहना है कि यह घोटाला 2022 और इसके पहले का है (इंदौर में निगम चुनाव जुलाई 2022 में हुए और परिषद बनी)। इसमें सभी निगमायुक्त और अपर आयुक्तों और लेखा शाखा व ड्रेनेज शाखा की पूरी जांच होन चाहिए।
फरार इंजीनियर राठौर की बीवी भी बोली अकेले एक व्यक्ति नही कर सकता
उधर फरार इंजीनियर अभय राठौर की बीवी शालिनी राठौर के यहां जब पुलिस पहुंची तो उन्होंने उनसे भी कहा कि मेरे पति शनिवार को ही उज्जैन जाने का बोलकर गए थे और अभी नहीं आए हैं। लेकिन ऐसा घोटाला केवल व्यक्ति नहीं कर सकता है, जानबूझकर पूरा मामला मेरे पति पर डाला जा रहा है, इसमें कई लोग शामिल है, जिसे सामने नहीं लाया जा रहा है।
ये खबर भी पढ़िए...रायबरेली से राहुल गांधी और अमेठी से KL शर्मा होंगे कांग्रेस के उम्मीदवार
निगर निगम के यह नौ किरदार अभी तक आए सामने
पांचों फर्म के साथ ही इसमें अभी तक निगम के नौ किरदार सामने आ चुके हैं-
1- इंजीनयर अभय राठौर- फरार है, दस हजार का ईनाम घोषित, अभी तक की जांच में सबसे मुखय किरदार यही। पहले भी कई भ्रष्टाचार के आरोप रहे। ईओडब्ल्यू का छापा तक हुआ। कुल बिल भुगतान का 50 फीसदी तक यही रखता था। निगम ने सस्पेंड किया है।
2- सब इंजीनियर उदय भदौरिया- निगम घोटाले में राठौर का सहयोगी। उनका रिश्तेदार भी है, नौकरी पर भी उन्होंने ही लगवाया था। अभी पुलिस की गिरफ्तारी में होकर रिमांड पर है। निगम ने नौकरी से बाहर किया।
3- इंट्री ऑपरेटर चेतन भदौरिया- यह भी राठौर का करीबी और उनके गैंग में होकर फर्जी फाइल की इंट्री का काम करता था। पुलिस की गिरफ्तारी में होकर रिमांड पर। निगम ने बर्खास्त किया।
4- कैशियर राजकुमार साल्वी- यह भी इसी गैंग का मेंबर। इसने भी पत्नी और बच्चों के नाम पर गुरूकृपा इंटरप्राइजेस और निशान क्रिएशन फर्म बनाकर निगम से ठेके लिए। इस पर भी 2021 में ईओडब्ल्यू की कार्रवाई हो चुकी है। इसकी फर्म भी 4.50 करोड़ का भुगतान पा चुकी है। पुलिस की गिरफ्तारी में होकर रिमांड पर, निगम ने बर्खास्त किया।
5- डिप्टी डायरेक्टर समर सिंह परमार- ऑडिट विभाग के परमार की लापरवाही निगम ने मानी है और कार्रवाई के लिए वित्त विभाग को पत्र लिखा है। आडिट विभाग ने फाइलों को मंजूर किया। पुलिस की जांच में अभी नाम नहीं।
6- सीनियर ऑडिटर जगदीश अहरोलिया- इनकी भी ऑडिट सेक्शन में लापरवाही, निगम ने कार्रवाई के लिए पत्र भेजा। पुलिस जांच में अभी नाम नहीं।
7- असिस्टेंट आडिटर रामेशवर परमार- इनकी भी आडिट सेक्शन में लापरवाही, निगम ने कार्रवाई के लिए पत्र भेजा। पुलिस जांच में अभी नाम नहीं।
8 व 9- लेखा शाखा के भूपेंद्र सिंह और सुनील भंवर- इन्हें भी प्रारंभिक रूप से लापरवाह माना गया और सेवा से बाहर किया गया है। पुलिस जांच में अभी नाम नहीं।
इसके साथ यह 5 फर्म के ठेकेदार गिरफ्तार
- ग्रीन कंस्ट्रक्शन- मोहम्मद सिद्दीकी
- नींव कंस्ट्रक्शन- मोहम्मद साजिद
- किंग कंस्ट्रक्शन- मोहम्मद जाकिर
(साजिद और जाकिर सिद्दकी के बेटे हैं) - क्षितिज इंटरप्राइजेस- रेणु वढेरा
- जान्हवी इंटरप्राइजेस- राहुल वढेरा
(इन ठेकेदारों ने राठौर व भदौरिया की भूमिका के साथ पूछताछ में ईश्वर और क्रिस्टल दो फर्जी फर्म की जानकारी और दी है)