संजय गुप्ता, INDORE. नगर निगम की पूर्व निगमायुक्त प्रतिभा पाल के बाद वर्तमान आयुक्त हर्षिका सिंह के साथ भी महापौर व एमआईसी सदस्यों के बीच तालमेल नहीं बैठ रहे हैं। ताजा विवाद सराफा चौपाटी को लेकर बनी समिति का है। निगमायुक्त द्वारा बनाई समिति पर उठे विरोध के बाद महापौर ने समिति भंग कर दी है और नई समिति बना दी है, इसमें अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाते हुए पार्षदों को शामिल किया गया है।
महापौर ने निगमायुक्त व अफसरों को चेताया आगे से न करें ऐसा
महापौर भार्गव ने निगमायुक्त सहित अन्य अफसरों को चेताया है कि मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 47 के क्रम में महापौर की गठित समिति को आवश्यक सहयोग के लिए संबंधितों को दिशा निर्देश जारी करें। साथ ही भविष्य में कोई नीति निर्धारण से संबंधित विषयों पर कोई भी समिति का गठन अपनी ओर से नहीं करें। महापौर परिषद सदस्यों ने संज्ञान में लाया है कि आपके (निगमायुक्त) ने बगैर सूचना के उक्त समिति का गठन किया जो कि मध्यप्रदेश नगर पालिका अधिनियम 1956 की धारा 45, 46, 47 एवं 48 के विपरीत होकर निगम परिषद एवं महापौर परिषद के अधिकारों का हनन करता है। यह लोकतांत्रिक व्यवस्था की अवहेलना और आपत्तिजनक है। इसलिए भविष्य में ऐसा न हो।
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निगमायुक्त द्वारा गठित सात सदस्यीय समिति में यह थे शामिल
दरअसल निगमायुक्त हर्षिका सिंह ने आठ फरवरी को सराफा बाजार में रात्रिकालीन चाट चौपाटी के संचालन के लिए सात सदस्यीय समिति गठित की थी। इस समिति में महापौर परिषद सदस्य राजेंद्र राठौर, राकेश जैन, पार्षद मीता राठौर, अपर आयुक्त सिद्धार्थ जैन, भवन अधिकारी अनूप गोयल, सहायक यंत्री वैभव देवलासे और फायर अधिकारी विनोद मिश्रा को शामिल किया गया था। इस समिति गठन को महापौर परिषद के सदस्य व राजस्व विभाग प्रभारी निरंजन सिंह चौहान ने महापौर के अधिकार क्षेत्र में दखल बताते हुए मंत्री विजयवर्गीय को पत्र भेज दिया। साथ ही एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर ने भी आपत्ति ले ली और कहा कि मार्केट एवं स्वास्थ्य विभाग की राय और महापौर परिषद की जानकारी के बगैर इस समिति का गठन किया गया है। यह महापौर परिषद के अधिकारों का हनन है।
नई समिति में यह हैं शामिल
सराफा में चाट चौपाटी लगना चाहिए या नहीं इसको लेकर महापौर भार्गव ने जो नई समिति बनाई है, उसमें एमआइसी मेंबर राजेंद्र राठौर, अश्विनी शुक्ल, निरंजन सिंह चौहान, राकेश जैन और क्षेत्रीय पार्षद मीता राठौर को शामिल किया गया है। निगमायुक्त सिंह को अधिनियम की धारा बताकर महापौर भार्गव ने यह बदलाव किया है। इसमें सभी अधिकारी बाहर हो गए हैं।