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BHOPAL. मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के सागर ऑफिस के दो इंजीनियर और एक बिचौलिए को सीबीआई ने गिरफ्तार किया है। सीबीआई की टीम ने सागर स्थित गैरीसन इंजीनियर ऑफिस से उस समय पकड़ा जब वे बिचौलिए की मदद से ठेकेदार से रिश्वत ले रहे थे।
छापेमारी के दौरान सीबीआई की टीम आठ घंटे तक गैरीसन इंजीनियर ऑफिस की तलाशी और दस्तावेजी कार्रवाई करती रही। देर रात एमईएस के तीनों अधिकारियों को लेकर जबलपुर रवाना हो गई जहां उन्हें कोर्ट में पेश किया गया। विशेष न्यायाधीश आर.के. गुप्ता की अदालत ने सभी आरोपियों को 15 सितंबर तक सीबीआई रिमांड पर भेज दिया।
ठेकेदार से रिश्वत ले रहे थे एमईएस अफसर
मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विस के सागर स्थित गैरीसन इंजीनियर ऑफिस से झांसी की फर्म बालाजी एसोसिएट्स ने रिपेयरिंग और मेंटेनेस वर्क का ठेका लिया था। ठेके के तहत कराए जाने वाले काम की साइट का स्थानांतरण एमईएस के अधिकारी अटकाए हुए थे। कई बार कहने पर भी जब अधिकारियों ने क्लीयरेंस नहीं दिया।
इस दौरान एमईएस के लिए पूर्व में काम करने वाले राजेश मिश्रा ने अधिकारियों से बात कर साइट दिलाने का भरोसा दिलाया। उसके द्वारा अधिकारियों को इसके बदले में 2 प्रतिशत राशि देने का दबाव भी बनाया जा रहा था। काम नहीं होने और 2 प्रतिशत राशि के दबाव से परेशान फर्म के कर्मचारी अजय कुमार मिश्रा ने इसकी शिकायत सीबीआई के जबलपुर कार्यालय में की थी।
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रिश्वत लेते ही सीबीआई ने हिरासत में लिया
सीबीआई की टीम ने शिकायत मिलने के बाद टीम तैयार की और फर्म के कर्मचारी अजय कुमार को गैरीसन इंजीनियर ऑफिस भेजा। गुरुवार दोपहर जैसे ही अजय कुमार 80 हजार रुपए लेकर पहुंचा और यह राशि अधिकारियों को दी सीबीआई की टीम वहां पहुंच गई।
सीबीआई की टीम ने मौके से एमईएस के गैरीसन इंजीनियर नीतेश कुमार सिंह, असिस्टेंट गैरीसन इंजीनियर राकेश साहू और उन्हें रिश्वत की राशि दिलाने का दबाव बनाने वाले राजेश मिश्रा को दबोच लिया। सीबीआई को देख अधिकारियों के चेहरे पर हवाइयां उड़ने लगी और ऑफिस में सन्नाटा पसर गया।
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जीई ऑफिस में आठ घंटे चली कार्रवाई
गैरीसन इंजीनियर और उसके असिस्टेंट के साथ बिचौलिए को रिश्वत की राशि के साथ पकड़ने के बाद सीबीआई के अधिकारी सात से आठ घंटे तक वहां रुककर पूछताछ और दस्तावेजी कार्रवाई करते रहे। सीबीआई की टीम को रिश्वत की राशि जब्त करने के लिए भी काफी मशक्कत करती पड़ी।
ऐसा इसलिए क्योंकि गैरीसन इंजीनियर और उसके असिस्टेंट ने यह राशि बिचौलिए राजेश मिश्रा के जरिए ली थी और उसे अलग जगह रखवाया था। एमईएस सेना के लिए काम करने वाला केंद्र सरकार का संस्थान इसे इसी कारण सीबीआई ने यहां कार्रवाई की है। इसी वजह से रिश्वत में लिए गए नोट पर लगा कैमिकल उनके हाथों पर नहीं लगा।
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