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भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन बनाने की योजना पर काम हो रहा है। इंदौर में सिंहस्थ 2028 के चलते विकास कार्य तेज हो गए हैं। इंदौर के लिए कंसल्टेंट नियुक्त हो चुका है, जबकि भोपाल में प्रक्रिया भी शुरू नहीं हुई। इससे भोपाल का विकास धीमा पड़ गया है। बता दें कि योजना से बुनियादी ढांचे, उद्योगों, रोजगार और रियल एस्टेट को फायदा मिलेगा।
भोपाल के मुकाबले इंदौर में तेज गति से काम शुरू
भोपाल और इंदौर को मेट्रोपॉलिटन रीजन बनाने की योजना 2006 से चल रही है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने गणतंत्र दिवस पर इस योजना को गति देने की घोषणा की। इसके बाद इंदौर में तेजी से काम शुरू हुआ, मगर भोपाल अभी भी पिछड़ा हुआ है। इंदौर में कंसल्टेंट नियुक्त हो चुका है और प्रारंभिक ड्राफ्ट तैयार है। सिंहस्थ 2028 के कारण इंदौर के मेट्रोपॉलिटन रीजन की योजना में तेजी आई।
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भोपाल का प्लान अब तक अधूरा
सितंबर 2023 में मुख्यमंत्री ने भोपाल जिले के विकास कार्यों की समीक्षा की थी। हाउसिंग बोर्ड, भोपाल विकास प्राधिकरण और स्मार्ट सिटी एजेंसी को योजना बनाने के निर्देश दिए थे। भोपाल को झुग्गी मुक्त बनाने पर भी चर्चा हुई थी। अब तक कोई कंसल्टेंट नियुक्त नहीं हुआ और न ही योजना का ड्राफ्ट तैयार है। भोपाल मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र का प्रस्ताव भी अधर में लटका हुआ है।
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इंदौर में तेजी की वजह
इंदौर के मेट्रोपॉलिटन क्षेत्र में दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (DMIC) जोड़ा गया है। इससे देवास, पीथमपुर, उज्जैन और बदनावर में औद्योगिक निवेश बढ़ेगा। सिंहस्थ 2028 के लिए इंदौर, देवास और अन्य शहरों में कनेक्टिविटी सुधारने का प्रयास है। रेल, सड़क और हवाई मार्गों को विकसित किया जा रहा है।
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मेट्रोपॉलिटन रीजन बनने के 5 बड़े फायदे
1. स्मार्ट सिटी और बुनियादी ढांचा विकास:
नई टाउनशिप, सड़कें, लॉजिस्टिक पार्क, स्वच्छता और जल निकासी सुविधाएं बेहतर होंगी।
2. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे
नए उद्योगों के विस्तार से स्थानीय युवाओं को नौकरियां मिलेंगी।
3. पर्यावरण और जल संरक्षण
झीलों, नदियों और तालाबों का संरक्षण किया जाएगा।
4. रियल एस्टेट सेक्टर को बढ़ावा
भोपाल-इंदौर के शहरी क्षेत्रों में नए आवासीय और व्यावसायिक प्रोजेक्ट बनेंगे।
5. कृषि और ग्रामीण विकास
किसानों को आधुनिक तकनीक और बेहतर बाजार सुविधाएं मिलेंगी।
आगे की प्रक्रिया
सिचुएशन एनालिसिस का ड्राफ्ट बनेगा: क्षेत्रीय विशेषताओं, जनसंख्या और उद्योगों का अध्ययन किया जाएगा। धार्मिक, सामाजिक और आर्थिक स्थिति का विश्लेषण होगा।
मेट्रोपॉलिटन अथॉरिटी बनेगी
इसमें नगर निगम, नगर पालिका और पंचायत प्रतिनिधि शामिल होंगे। विकास योजनाओं को मंजूरी देकर सरकार को भेजा जाएगा।
राज्य और केंद्र सरकार के बीच एमओयू होगा: विकास कार्यों के लिए संयुक्त बैंक खाते में फंड ट्रांसफर किया जाएगा। शहरों के अनुपात में धनराशि आवंटित की जाएगी।