भोपाल से बड़वानी तक प्रदर्शन, कांग्रेस बोली-राम से नहीं, गांधी का नाम हटाने से आपत्ति

कांग्रेस ने केंद्र सरकार के मनरेगा योजना के नाम बदलाव पर विरोध जताया है, कहां की महात्मा गांधी का नाम हटाना अस्वीकार्य है। कांग्रेस के नेताओं ने इसे गरीबों के अधिकारों पर हमला और गांधी की विचारधारा से छेड़छाड़ बताया है।

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Ramanand Tiwari
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Congress protest against ram g schme

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. केंद्र सरकार द्वारा मनरेगा का नाम बदलकर ‘जी राम जी योजना’ किए जाने के बाद देशभर में सियासी माहौल गरमा गया है। विपक्ष ने संसद के भीतर विरोध दर्ज कराया और अब सड़कों पर उतरकर भी आपत्ति जता रहा है।

मध्य प्रदेश में कांग्रेस का प्रदर्शन

इसी कड़ी में मध्य प्रदेश कांग्रेस ने विरोध तेज किया। भोपाल में जिला और शहर कांग्रेस कमेटी ने गांधी प्रतिमा के सामने धरना दिया। नेताओं ने इसे सिर्फ नाम बदलने का मामला नहीं, बल्कि विचारधारा से जुड़ा सवाल बताया।

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कांग्रेस की आपत्ति क्या है?

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि उन्हें ‘राम’ नाम से कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन महात्मा गांधी का नाम हटाना अस्वीकार्य है। उनका तर्क है कि अगर योजना में ‘राम’ जोड़ा जाना था, तो इसे ‘महात्मा गांधी राम योजना’ नाम दिया जा सकता था।

‘काम के कानूनी अधिकार’ पर खतरे का आरोप

बड़वानी में जिला कांग्रेस कमेटी ने पुराने कलेक्टर कार्यालय पर धरना दिया। जिला अध्यक्ष नानेश चौधरी ने कहा कि मनरेगा से गांधी का नाम हटाना एक सुनियोजित राजनीतिक साजिश है। उन्होंने इसे गरीबों के ‘काम के कानूनी अधिकार’ को कमजोर करने का प्रयास बताया।

भाजपा पर जिम्मेदारी से भागने का आरोप

नानेश चौधरी ने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार महापुरुषों के नाम मिटाने के साथ-साथ राज्यों पर वित्तीय बोझ डालकर अपनी जिम्मेदारियों से भी बच रही है। उनके मुताबिक, इससे सबसे ज्यादा नुकसान गरीब और मजदूर वर्ग को होगा।

‘गांधी को देश की चेतना से अलग नहीं किया जा सकता’

विधायक राजन मंडलोई ने कहा कि गांधी जी को किसी योजना से नाम हटाकर देश की चेतना से अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा गांधी की स्मृति को कमजोर करने की राजनीति कर रही है।

मनरेगा के मूल सिद्धांतों की याद दिलाई

राजन मंडलोई ने कहा कि मनरेगा ‘हर हाथ को काम दो, काम का पूरा दाम दो’ के सिद्धांत पर आधारित रही है। इस योजना ने ग्रामीण भारत को काम मांगने का कानूनी अधिकार, 100 दिनों के रोजगार की गारंटी और महिलाओं व भूमिहीनों को सशक्तकिया।                              

विकेंद्रीकरण और आत्मनिर्भर गांवों की बुनियाद

कांग्रेस नेताओं के अनुसार, मनरेगा ने विकेंद्रीकृत शासन को मजबूत किया और गांवों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाई। इसे सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि सामाजिक सुरक्षा का मजबूत ढांचा बताया गया।

नए कानून पर गंभीर आशंका

कांग्रेस का दावा है कि नया विधेयक रोजगार की कानूनी गारंटी को कमजोर करता है। मांग आधारित अधिकार की जगह इसे केंद्र नियंत्रित योजना में बदलने का प्रयास किया जा रहा है।

संकट के समय रोजगार सुरक्षा पर सवाल

कांग्रेस नेताओं का कहना है कि बदलाव के बाद समय पर भुगतान, आपदा या आर्थिक संकट के दौरान रोजगार की सुरक्षा पर असर पड़ेगा। इससे ग्रामीण मजदूर सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे।

11 साल में बजट घटाने का आरोप

विधायक मंडलोई ने आरोप लगाया कि मोदी सरकार ने पिछले 11 वर्षों में मनरेगा के बजट में लगातार कटौती की है। उनके मुताबिक, अब नाम बदलकर योजना की मूल भावना से भी छेड़छाड़ की जा रही है।

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विरोध आगे भी जारी रहने के संकेत

कांग्रेस ने साफ किया है कि मनरेगा के नाम और स्वरूप में बदलाव के खिलाफ उसका आंदोलन जारी रहेगा। पार्टी का कहना है कि यह लड़ाई सिर्फ नाम की नहीं, बल्कि गरीबों के अधिकार और गांधी के विचारों की रक्षा की है

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