पूर्व मंत्री का बड़ा खेल : 700 करोड़ के MIMS मेडिकल कॉलेज पर किया कब्जा!

महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर (MIMS) में 700 करोड़ रुपए के घपले का मामला सामने आया है। पूर्व मंत्री जयंत मलैया पर आरोप हैं कि उन्होंने नियमों का उल्लंघन कर जबरन अध्यक्ष पद पर कब्जा कर लिया।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (thesootr)

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रामानंद तिवारी@BHOPAL 

जैन सर्वोदय विद्या ज्ञानपीठ समिति द्वारा संचालित महावीर इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेस एंड रिसर्च सेंटर लंबे समय से राजनीतिक अखाड़ा बना हुआ है। MIMS मेडिकल कॉलेज के भवन, उपकरण से लेकर इन्कम सहित वर्तमान में वैल्यूएशन तकरीबन 700 करोड़ है।

पूर्व मंत्री जंयत मलैया पर मेडिकल कॉलेज में जबरन, नियम विरूद्ध अध्यक्ष बनने और उक्त संपत्ति को खुर्द-बुर्द करने के आरोप लगाए जा रहे हैं। बैंक ने 5 अगस्त 2025 को अखबारों में मेडिकल कॉलेज के लिए एआरसी और एनबीएफसी के लिए नोटिस जारी कर दिया है।

कांग्रेस और भाजपा दोनों ने किया उपकृत

दरअसल, 2005 में आचार्य विघासागर महाराज की मंशानुसार सोसायटी का गठन किया गया। उक्त 11 सदस्यीय सोसायटी में रसूखदार आईएएस और आईपीएस अफसर भी पदाधिकारी थे।

सोसायटी के गठन के बाद कांग्रेस सरकार में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विय सिंह ने 25 एकड़ जमीन सोसायटी को दिए जाने की घोषणा की। जिसमें से संस्था को 3 एकड़ जमीन मिल गई, चूंकि जगह के अभाव में मेडिकल कॉलेज मूर्त रूप नहीं ले पा रहा था। इसके बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने संस्था को 22 एकड़ जमीन का आवंटन किया।

2005 में संस्था के संचालन से लेकर 2020 तक सब कुछ ठीक-ठाक चला, लेकिन राजनीतिक वरदहस्त के चलते 9 अगस्त 2021 से संस्थान राजनीतिक अखाड़े में तब्दील हो गया और वर्तमान में आपसी रस्साकशी के चलते संस्थान बंद होने की कगार पर है। 

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पूर्व मंत्री के रसूख के चलते नहीं मिल सका न्याय

संस्था के पूर्व सचिव डॉ. राजेश जैन ने संस्था में होने वाली अनियमितताओं को लेकर मुख्यमंत्री मोहन यादव से 30 जनवरी 2024 को 700 करोड़ के घपले के मामले की शिकायत करते हुए मिलने के लिए समय की मांग की। इसके अलावा 17 दिसंबर को तत्कालीन प्रमुख सचिव संजय शुक्ला उघोग, रजिस्ट्रार, फर्म्स और संस्थाओं को ओम पाटीदार अधिवक्ता के माध्यम से नोटिस भी दिया, लेकिन नतीजा सिफर रहा।  

पूर्व मंत्री मलैया का जबरन अध्यक्ष बनने का आरोप

संस्था के तत्कालीन सचिव डॉ. राजेश जैन ने शिकायत में रजिस्ट्रार फर्म्स और संस्थाओं को दिए गए अपने बयान में आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि जयंत मलैया और सनद जैन को 16 अगस्त 2006 को नोमिनेटेड मेंबर के रूप में मनोनीत किया गया था। इसके अलावा 2021 में अपात्र होते हुए भी सुनील जैन आरएमजे मोटर्स सचिव बन बैठे।

हालांकि, इन सदस्यों से नियमित सदस्यता शुल्क जमा करने के लिए कहा, लेकिन नहीं कराया गया। पूर्व मंत्री जयंत मलैया ने 29 जनवरी 2014 को सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। जबकि संस्था के नियमानुसार फाउंडर मेंबर ही अध्यक्ष, सचिव और कोषाध्यक्ष बन सकता है। 

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विवाद की जड़ बनी करोड़ों रुपए की आय

शिकायतकर्ता डॉ. राजेश जैन के मुताबिक 2020-2021 में जब मेडिकल कॉलेज की परमिशन आई तब करोड़ों रुपए की आय शुरू हुई और इसके बाद ही विवाद शुरू हो गया। जिसमें 9 अक्टूबर 2021 को षड़यंत्रपूर्वक मेरे बगैर इस्तीफे के मुझे पद से हटाकर सुनील जैन आरएमजे मोटर्स को सचिव बना दिया गया। 

2022 में जब मामला डॉ. राजेश जैन के संज्ञान में आया कि पूर्व मंत्री जयंत मलैया अध्यक्ष बन गए हैं, तो उन्होंने आपत्ति जताई। जब पूर्व मंत्री जयंत मलैया ने 2014 में प्राथमिक सदस्यता और अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था। अचानक बगैर सदस्यता लिए अध्यक्ष कैसे बन गए, लेकिन कोई संतोषजनक जबाव नहीं मिला। 

डॉ. जैन ने राज्य सरकार से कई बार लिखित में शिकायत भी की। उनकी शिकायत के बाद रजिस्ट्रार फर्म एवं सोसायटी नर्मदापुरम ने जांच की। सोसायटी ने जांच प्रतिवेदन में कॉलेज संचालित करने वाली वर्तमान समिति को अवैध बताया। संस्था द्वारा जांच में वित्तीय रिकार्ड भी प्रस्तुत नहीं किया गया। उसका जांच अधिकारी ने अपने प्रतिवेदन में उल्लेख किया है। 

शिकायतकर्ता डॉ. राजेश जैन के मुताबिक 21 सितंबर 2021 के जांच प्रतिवेदन पर असिस्टेंट रजिस्ट्रार ने सभी पक्षों को एक सप्ताह का समय मय प्रमाण स्पष्टीकरण देने के लिए दिया था। किंतु किसी भी पक्ष ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं करवाई। जब 6 से 8 माह तक कोई सूचना आदेश जारी नहीं हुआ तो मुझे हाईकोर्ट में न्याय की गुहार लगाने जाना पड़ा।

हाईकोर्ट ने सरकार तथा समिति के वर्तमान अध्यक्ष और सचिव को पार्टी बनाकर नोटिस जारी किया। हालांकि, रजिस्ट्रार फर्म्स एवं संस्थाएं भोपाल ने 30 अगस्त 2024 को राजनीतिक रसूख के चलते पुनः जांच के आदेश कर दिए। जो कि पूर्णतः नियम विरुद्ध था, उक्त मामले को जब न्यायालय में चैलेंज किया गया तब हाईकोर्ट जबलपुर ने स्टे दे दिया। 

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संस्था पर करोड़ों का कर्ज, प्रॉपर्टी हथियाने की साजिश

शिकायतकर्ता डॉ. राजेश जैन का आरोप है कि संस्था में बंदरबांट को लेकर खींचतान मची हुई है। एआरसी के माध्यम से 700 करोड़ों की प्रॉपर्टी हथियाने की साजिश संस्था के “कथित” पदाधिकारियों द्वारा रची जा रही है। बैंकों से लिया गया कर्ज अस्पताल से मिलने के बाद भी नहीं चुकाया जा रहा है। लिहाजा, बैंक ने संस्था के एकाउंट को एनपीए कर दिया है।

बैंक ने 2024 में 100 करोड़ का ओटीएस करते हुए स्वीकृति दी थी, तब संस्था ने कुल 34 करोड़ जमा किए थे। उसके बाद से राशि बैंक में जमा नही की गई, जिसकी वजह से बैंक ने 5 अगस्त 2025 को अखबारों में मेडिकल कॉलेज के लिए एआरसी और एनबीएफसी के लिए नोटिस जारी कर दिया है।  

समिति में यह आईएएस और आईपीएस रहे पदाधिकारी

संस्था की स्थापना के समय तत्कालीन जस्टिस निर्मल जैन, तत्कालीन आईएएस देवेन्द्र सिंघई, तत्कालीन आईपीएस आर के दिवाकर, तत्कालीन आईपीएस पवन जैन, तत्कालीन आईएएस राजेश जैन भी पदाधिकारी रहे हैं। इन सभी ने धीरे-धीरे उक्त संस्था से पल्ला झाड़ लिया।

हालांकि, तत्कालीन आईएएस राजेश जैन संस्था से हटने के बाद पुनः सदस्य बनने के बाद 2020 से 2024 तक प्रशासक का पद संभाल चुके हैं। उन्होंने जनवरी 2025 में आपसी रस्साकशी के चलते प्रशासक पद छोड़ दिया। 

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वर्तमान पदाधिकारियों ने नहीं किया लोन का पुर्नभुगतान 

जैन सर्वोदय विघा ज्ञानपीठ समिति, भोपाल के तत्कालीन सचिव डॉ. राजेश जैन ने बताया कि जब कॉलेज के पास पैसा नहीं था और न ही एडमिशन हुए थे उस दौरान अस्पताल और मेडिकल कॉलेज की सैलरी और अन्य आवश्यक कार्य समय-समय पर पूर्ण होते रहे हैं।

2020 के बाद जब कॉलेज की परमिशन आ गई और कॉलेज चल भी रहा है इसके बावजूद संस्था के वर्तमान पदाधिकारियों द्वारा बैंक के लोन का समय पर पुर्नभुगतान नहीं किया जा रहा है। इस वजह से आज संस्था को बैंक नीलाम करने के लिए खड़ा हो गया है। संस्था के पदाधिकारी संस्था को खर्द-बुर्द करने पर उतारू है। 

छह महीने पहले इस्तीफा दे चुका हूं: मलैया

Jayant malaiya

इस मामले में जैन सर्वोदय विघा ज्ञानपीठ समिति भोपाल के अध्यक्ष और बीजेपी विधायक और पूर्व मंत्री जंयत मलैया ने बताया कि मेरे पास कोई मामला नहीं है। ना मैं अंदर हूं ना बाहर। छह महीने पहले मैं इस्तीफा दे चुका हूं। सबको पता है ठीक है।

पहले भी जो अध्यक्ष बने थे वो भी संस्थापक नहीं थे

पूरे मामले में आरएमजे मोटर्स एवं जैन सर्वोदय विघा ज्ञानपीठ समिति भोपाल के सचिव सुनील जैन का कहना है कि यह डॉ. राजेश की हरकतें हैं। यह उन्हीं का फैलाया हुआ रायता है। इससे पहले भी जो अध्यक्ष बने बैठे थे वो भी संस्थापक नहीं थे। आठ साल बैठे रहे। कितने सज्जन पुरूष है मलैया जी, अभी बिल्कुल वे अध्यक्ष है। अपन मिलकर चर्चा कर लेंगे। 

मलैया जी ने इस्तीफा दिया है, लेकिन काम कर रहे हैं

वहीं, जैन सर्वोदय विघा ज्ञानपीठ समिति भोपाल के कोषाध्यक्ष मनोहर लाल टोंगिया ने बताया कि अध्यक्ष मलैया जी हैं, इस्तीफा दिया है, लेकिन काम कर रहे हैं। स्वीकार नहीं हुआ, वो बोलते हैं, लेकिन अभी कमेटी की मीटिंग में कोई इस्तीफा रखा नहीं है। वे अभी चैक पर दस्तखत तो कर रहे हैं।

जैन समाज | मेडिकल कॉलेज विवाद

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