इंदौर में नगर निगम संपत्तिकर वृद्धि पर हाइकोर्ट का आदेश, पीएस करें सुनवाई

इंदौर नगर निगम द्वारा संपत्तिकर वृद्धि पर हाईकोर्ट ने नगर निगम को झटका दिया। कोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को सुनवाई के आदेश दिए, जिससे 7.30 लाख खातेदारों को राहत मिल सकती है।

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Sanjay Gupta
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Photograph: (The Sootr)

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INDORE. इंदौर नगर निगम द्वारा स्लैब और रेट जोन बदलकर की गई संपत्तिकर बढ़ोतरी पर हाईकोर्ट से झटका लगा है। बेंच ने इसमें नगरीय प्रशासन विभाग प्रमुख सचिव को सुनवाई के लिए कहा है। इससे शहर के 7.30 लाख संपत्तिकर खातेदारों को राहत की उम्मीद बंधी है। प्रमुख सचिव नगरीय प्रशासन विभाग मंत्रालय को सुनवाई कर निर्णय लेने के लिए कहा गया है। हालांकि औपचारिक आदेश आना बाकी है।

इन्होंने यह लगाई थी याचिका

कांग्रेस के पूर्व पार्षद दिलीप कौशल द्वारा संपत्तिकर को हटाने की याचिका लगाई गई थी। अभिभाषक विभोर खंडेलवाल एवं जयेश गुरनानी के माध्यम से दायर याचिका में उच्च न्यायलय ने राज्य सरकार को निर्णय लेने के आदेश दिए हैं।

बढ़ोतरी को निरस्त करने की मांग

पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने बताया कि नगर निगम द्वारा संपत्तिकर वृद्धि के प्रस्ताव के विभिन्न तथ्यों को जनविरोधी बताकर निरस्त करने की मांग राज्य शासन से की थी। इसकी सुनवाई किए बिना नगर निगम द्वारा सभी 7.30 लाख खाते में 20% से 50% तक कर बढ़ा दिया था। जस्टिस प्रणय वर्मा ने तथ्यों को सुनकर नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को सुनवाई के लिए कहा।  

कौशल ने बताया कि राज्य सरकार ने वर्ष 2020 में संपत्तिकर के लिए नए नियम बनाए थे। इसके अनुसार नगर निगम को शहर के नागरिक से कलेक्टर द्वारा निर्धारित संपत्ति के मूल्यांकन (गाइडलाइन) अनुसार संपत्तिकर लेना था। लेकिन, नगर निगम ने पूर्व से निर्धारित करों में वृद्धि करने के साथ-साथ संपत्तिकर के निर्धारित स्लैब भी कम कर दिए थे।

इसके कारण नागरिकों को लगभग 20% से 50% तक करों का अतिरिक्त भार पड़ा। नगर निगम द्वारा करों की वृद्धि एवं स्लैब कम करने से सैकड़ों कॉलोनियां प्रभावित हो गई हैं क्योंकि कलेक्टर द्वारा निर्धारित संपत्ति गाइडलाइन में जमीन-आसमान का फर्क है। दूसरी ओर नगर निगम द्वारा रेट झोन के मुताबिक समान संपत्तिकर लिए जा रहा है।

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5 पॉइंट्स में समझें पूरी खबर... 

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संपत्ति कर वृद्धि पर हाईकोर्ट का आदेश: इंदौर नगर निगम द्वारा संपत्तिकर में बढ़ोतरी को लेकर हाईकोर्ट ने नगरीय प्रशासन विभाग के प्रमुख सचिव को सुनवाई के लिए कहा है, जिससे शहर के 7.30 लाख संपत्तिकर खातेदारों को राहत की उम्मीद है।

याचिका दायर करने वाले: कांग्रेस के पूर्व पार्षद दिलीप कौशल ने नगर निगम की संपत्तिकर वृद्धि के खिलाफ याचिका दायर की थी। उनकी शिकायत थी कि नगर निगम ने बिना सुनवाई किए करों को 20% से 50% तक बढ़ा दिया।

नियमों का उल्लंघन: दिलीप कौशल ने आरोप लगाया कि नगर निगम ने 2020 में राज्य सरकार द्वारा निर्धारित नियमों का पालन नहीं किया और गाइडलाइन के अनुसार कर नहीं लिया, जिससे नागरिकों पर अतिरिक्त कर का बोझ पड़ा।

संपत्ति मूल्य निर्धारण में असमानता: याचिका में यह भी बताया गया कि विभिन्न क्षेत्रों में संपत्ति मूल्य निर्धारण (गाइडलाइन) में भारी अंतर था, फिर भी सभी क्षेत्रों को एक ही रेट झोन में रखा गया, जिससे करों में असमानता आई।

हाईकोर्ट आदेश: उच्च न्यायालय ने इस मामले में राज्य सरकार को निर्णय लेने के आदेश दिए हैं, साथ ही यह भी कहा है कि नगर निगम द्वारा किए गए कर निर्धारण और वृद्धि की प्रक्रिया की समीक्षा की जाए।

इस तरह हाईकोर्ट में दिए गए उदाहरण 

कौशल के अनुसार संपत्तिकर वार्षिक भाड़ा मूल्य रेट झोन - 01 में आने वाले अपोलो टावर MG रोड की कलेक्टर गाइडलाइन 109800/- (आवासीय) तथा 110400/- (व्यवसायिक) है। वहीं अनूप नगर, सांघी कॉलोनी, पलासिया मेन रोड की दरें 143600/- (R) 143800/- (C) हैं तथा जानकी नगर में 56600/- (R) 56200/- (C) परंतु संपत्तिकार सभी को रेट झोन 1 का लग रहा है।

इसी प्रकार रेट झोन 2 में आने वाली रामचंद्र नगर की कलेक्टर गाइडलाइन 37000/- (R) 75000/- (C) है और जयरामपुर कालोनी की गाइडलाइन 25000/- (R) 50000/- (C) है। रेट झोन - 3 में वेअर हाउस रोड की कलक्टर गाइडलाइन 35000/- (R), 62000/- (C) है। वहीं रेट झोन 3 में ही हाईलिंक गंगा विहार की कलक्टर गाइडलाइन 14000/- (R) तथा 28000/- (C) है।

रेट झोन 4 में स्कीम 140 की कलेक्टर गाइडलाइन 38500/- (R) तथा 77000/- (C) है। वहीं अहिल्यापुरी कालोनी में 18400/- (R) तथा 36500/- (C) है।

रेट झोन 5 में तुलसी नगर की कलेक्टर गाइडलाइन 12800 /- (R) 25600 /- (C) है। वहीं लसूड़िया मोरी की 30000/- (R) 60000/- (C) है।

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निगर निगम नहीं कर रहा नियमों का पालन

अभिभाषक जयेश गुरनानी ने बताया कि राज्य सरकार द्वारा संपत्तिकर को लेकर बनाए गए नियमों का स्वयं नगर निगम ही पालन नहीं कर रहा है। शहर के नागरिकों पर संपत्तिकर थोपना निगम अधिनियम तथा भारतीय संविधान के विपरीत है।

इसको लेकर माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष दायर याचिका में तर्क रखे गए। इनसे सहमत होकर न्यायालय ने संपत्तिकर वृद्धि को लेकर लंबित अभ्यावेदन पर सुनवाई कर निर्णय लेने के आदेश प्रमुख सचिव, नगरीय आवास मंत्रालय मध्यप्रदेश शासन को दिए हैं।

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