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Photograph: (the sootr)
धर्मेंद्र योगी@देवास
मध्यप्रदेश के देवास जिले में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां नाबालिग चचेरे भाइयों ने मिलकर 13 वर्षीय 7वीं कक्षा के छात्र वेदांश की हत्या कर दी। इस हत्या का कारण आपसी विवाद था, जो कि कुछ महीनों से चल रहा था। नाबालिग आरोपियों ने वेदांश को पहले बुरी तरह से पीटा और फिर चाकू से ताबड़तोड़ वार कर उसकी हत्या कर दी।
दो नाबालिगों द्वारा की गई इस जघन्य हत्या ने पूरे इलाके में सनसनी का माहौल निर्मित कर दिया। लोग भरोसा ही नहीं कर पा रहे है कि दो मासूम से दिखने वाले बच्चों ने अपने ही एक साथी की निर्मम हत्या कर दी है। यह घटना देवास जिला सोनकच्छ तहसील के कराड़ियापरी गांव की बताई जा रही है।
पिटाई से नाराज था 11 वर्षीय आरोपी
इस जघन्य हत्याकांड को अंजाम देने वाले 11 वर्षीय बाल आरोपी ने पुलिस को बताया कि मार्च महीने में उसका वेदांश से विवाद हुआ था; इस विवाद में वेदांश ने उसकी पिटाई कर दी थी। पिटाई के साथ ही वेदांश के कहने पर अन्य बच्चों ने भी उससे बात करना बंद कर दिया था, जिससे 11 वर्षीय आरोपी काफी नाराज था और बदला लेने के लिए मौके की तलाश में था।
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चचेरे भाई के साथ मिलकर उतारा मौत के घाट
देवास पुलिस के अनुसार, शनिवार की रात जब वेदांश गणेश जी देखने के लिए घर से निकला था, तब 11 वर्षीय आरोपी ने अपने 13 साल के चचेरे भाई को साथ लेकर वेदांश को रास्ते में रोक लिया।
ये लोग उसे गोदाम में ले गए, जहां 11 वर्षीय नाबालिग ने वेदांश के हाथ पीछे से पकड़ लिए, वहीं 13 वर्षीय चचेरे भाई ने उस पर ताबड़तोड़ सब्जी काटने वाले चाकू से वार किए। चाकू के वार से वेदांश गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें यह लोग हार्वेस्टर के नीचे पटककर मौके से भाग गए।
खोजबीन के दौरान हार्वेस्टर के नीचे मिला शव
बताया जा रहा है कि शनिवार शाम को घर से निकला 11 वर्षीय वेदांश जब काफी देर तक घर नहीं पहुंचा, तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरू की। काफी तलाश करने के बाद भी वेदांश का कहीं कोई सुराग नहीं मिल रहा था। इसके बाद ग्रामीणों ने भी उसकी तलाश में मदद की। काफी तलाश के बाद रात 11 बजे वेदांश का गोदाम के पास खड़े हार्वेस्टर के नीचे बोरे से दबा हुआ शव मिला; जिसके बाद पुलिस को भी सूचना दी गई।
नाबालिगों द्वारा अंजाम दिए गए इस जघन्य हत्याकांड को ऐसे समझेंहत्या की घटना: देवास जिले के कराड़ियापरी गांव में 11 और 13 साल के चचेरे भाइयों ने मिलकर 7वीं कक्षा के छात्र वेदांश झाला की हत्या कर दी। हत्या का कारण: वेदांश और 11 साल के आरोपी के बीच पुराना विवाद था, जब वेदांश ने आरोपी की पिटाई की थी और उसे दोस्तों से बात न करने को कहा था। हत्या का तरीका: आरोपियों ने वेदांश को गोदाम में ले जाकर चाकू से 20 बार वार किया, फिर शव को हार्वेस्टर के नीचे छिपा दिया। आरोपियों की गिरफ्तारी: हत्या के बाद आरोपियों ने सबूत छिपाने की कोशिश की, लेकिन पुलिस ने दोनों को गिरफ्तार कर लिया और उन्हें बाल सुधार गृह भेज दिया। पुलिस जांच और खुलासा: पुलिस ने सख्ती से पूछताछ करने पर आरोपियों से हत्या की पूरी सच्चाई उगलवायी और हत्या का कारण बदला निकला। |
ऐसे पकड़े गए दोनों नाबालिग आरोपी
पुलिस के अनुसार, गांव के लोगों ने आखिरी बार वेदांश के साथ इन दोनों नाबालिगों को ही देखा था। शुरुआती पूछताछ में दोनों चचेरे भाई पुलिस को अलग-अलग कहानी सुना रहे थे। जब पुलिस ने दोनों से अलग-अलग सख्ती से पूछताछ की, तो दोनों ने वेदांश की हत्या करना स्वीकार कर लिया। इन बाल आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने वारदात में उपयोग किया गया चाकू और खून लगे कपड़े बरामद कर लिए हैं। दोनों आरोपियों को बाल सुधार गृह उज्जैन भेजा गया है।
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वेदांश के परिजन बोले, और भी होंगे मददगार
इस मामले में मृतक वेदांश के परिजनों ने आरोप लगाए हैं कि दोनों बच्चों द्वारा अकेले इस हत्याकांड को अंजाम देना मुश्किल है, इसमें किसी वयस्क व्यक्ति का भी शामिल होना संभव है। फिलहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है। एएसपी जयवीर सिंह भदौरिया, एसडीओपी दीपा मांडवे, थाना प्रभारी आशीष राजपूत घटना स्थल पर मौजूद थे। दोनों बाल अपराधियों को सोमवार को बाल न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था, जहां से उन्हें बाल सुधार गृह उज्जैन भेजा गया है।
ऐसे अपराधों में यह है सजा का प्रावधान
भारत में हत्या जैसे जघन्य अपराध के लिए 16 साल से कम उम्र के किशोरों पर बालिगों के तौर पर मुकदमा चलाने की अनुमति नहीं है और उन्हें मृत्युदंड या आजीवन कारावास भी नहीं दिया जा सकता है। अपराध की गंभीरता और परिस्थितियों के आधार पर, 12 से 18 साल तक के किशोरों के मामले में किशोर न्याय बोर्ड 16 से 18 साल के किशोरों पर वयस्क के तौर पर मुकदमा चलाने का आदेश दे सकता है। ऐसे बच्चों को सुधार गृह में रखा जाता है और उन्हें सुधारने का अवसर दिया जाता है।
यदि अपराध बहुत गंभीर है (जैसे हत्या) और अपराधी की आयु 16 से 18 वर्ष के बीच है:
- जिला मजिस्ट्रेट को अपराध की गंभीरता को देखते हुए, किशोर पर वयस्क के रूप में मुकदमा चलाने का आदेश देने का अधिकार है।
- यदि बच्चे पर वयस्क के तौर पर मुकदमा चलाया जाता है, तो उसे वयस्क के समान दंड मिल सकता है, लेकिन मृत्युदंड या आजीवन कारावास से वंचित रखा जाएगा।
- हालांकि, 12 से 15 साल की उम्र के किशोरों के लिए, उन्हें सीधे वयस्क के रूप में दंडित नहीं किया जा सकता है, भले ही अपराध जघन्य हो।
11 और 13 साल के बच्चों के लिए:
- दोनों ही मामलों में, किशोर न्याय बोर्ड ही मामले की सुनवाई करता है और बच्चे को सुधार गृह भेजा जा सकता है।
- कानून बच्चों के विकास और सुधार पर अधिक केंद्रित है, और उनकी उम्र और परिस्थितियों के अनुसार ही दंड निर्धारित किया जाता है।
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