मध्य प्रदेश में कहां गुम हो रही लाड़ली बेटियां? क्यों बढ़ रहे गायब होने के मामले?

मध्य प्रदेश में साल दर साल बढ़ रहे महिलाओं और लड़कियों के लापता होने के मामले चिंताजनक हैं। सुरक्षा में सुधार के लिए क्या कदम जरूरी हैं? इस गंभीर मामले पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने पुलिस प्रमुख से रिपोर्ट मांगी है।

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Jitendra Shrivastava
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Photograph: (THESOOTR)

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मध्य प्रदेश (Madhya Pradesh) में महिलाओं और लड़कियों के लापता होने के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। हाल ही में भोपाल में अंडरब्रिज के नीचे से एक लड़की का 18 दिन तक कोई सुराग नहीं मिला है, जबकि आगर मालवा जिले के वन स्टॉप सेंटर से भी एक नाबालिग बच्ची गायब हुई है।
राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग (NHRC) ने इस गंभीर स्थिति को लेकर राज्य सरकार और पुलिस प्रमुख से रिपोर्ट मांगी है। यह स्थिति प्रदेश के सामाजिक ताने-बाने और सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल खड़े करती है।

कितनी महिलाएं और लड़कियां गायब हुईं?

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) की रिपोर्ट के मुताबिक पिछले तीन सालों में मध्य प्रदेश से 3,400 से अधिक महिलाएं और लड़कियां गायब हो चुकी हैं।

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पेश रिपोर्ट के आंकड़ों में बड़ा अंतर

2019 से 2021 के बीच 1,60,180 महिलाएं और 38,234 लड़कियां लापता हुईं, जो मध्य प्रदेश को देश के शीर्ष राज्यों में शामिल करता है। इसके बाद पश्चिम बंगाल और महाराष्ट्र आते हैं।
साल 2024 में विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट के अनुसार, अकेले मध्य प्रदेश से 12,017 लड़कियां लापता हुईं, जो बच्चों के कुल लापता मामलों से चार गुना ज्यादा है। इनमें से हजारों अभी भी गुमशुदा हैं।

ग्वालियर-चंबल क्षेत्र में लापता बच्चों के मामले

ग्वालियर-चंबल इलाके में नाबालिग बच्चों के गायब होने की घटनाएं बढ़ी हैं। यहां 2024 में 436 बच्चे लापता हुए, जिनमें से अधिकांश के अपहरण के मामले दर्ज हैं।

जनवरी-फरवरी 2025 में 62 बच्चे लापता हुए, जिनमें से पुलिस ने 58 को रिकवर किया है। ऑपरेशन मुस्कान के तहत फरवरी में 72 बच्चों को बचाया गया, जिनमें पिछले वर्षों में लापता हुए बच्चे भी शामिल थे।

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बच्चों के घर से भागने के कारण

लक्ष्मीनारायण आनंदम संस्था के संचालक मनोज सोनी ने बताया कि लड़कियां कई बार माता-पिता से नाराज होकर या प्रेम प्रसंग के कारण घर छोड़ देती हैं। कई बार ये बच्चे मानव तस्करों के जाल में फंस जाते हैं, जिससे वापस लौटना मुश्किल हो जाता है।

रेलवे स्टेशन: भागे हुए बच्चों का ठिकाना

अधिकांश लापता बच्चे रेलवे स्टेशनों पर पाए जाते हैं। भोपाल, जबलपुर, बैतूल जैसे शहरों से कई बच्चे ट्रेन पकड़कर भाग जाते हैं।
पिछले एक साल में जबलपुर रेलवे स्टेशन से 56 बच्चों का रेस्क्यू किया गया, जबकि पश्चिम मध्य रेलवे ने 2024 में 428 और 2025 में 595 बच्चों को बचाया। ऑपरेशन मुस्कान की मदद से भी कई बच्चों को घर पहुंचाया गया।

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बेटियों के लापता होने के पीछे की वजह

मध्य प्रदेश को “लाड़ली बेटी” और “लाड़ली लक्ष्मी” जैसी योजनाओं के लिए जाना जाता है। फिर भी, लड़कियों के गायब होने के मामले चौगुने हैं।

संभावित कारण...

  • पारिवारिक तनाव और घरेलू हिंसा
  • शैक्षिक और आर्थिक अवसरों की कमी
  • प्रेम प्रसंग और सामाजिक दबाव
  • मानव तस्करी का बढ़ता खतरा

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राज्य सरकार और प्रशासन की भूमिका

राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने मध्य प्रदेश सरकार से 2 सप्ताह में रिपोर्ट मांगी है। प्रशासन को न केवल बचाव में तेज़ी लानी है बल्कि सुरक्षा, जागरूकता और समन्वय को बेहतर बनाना है।

ऑपरेशन मुस्कान की भूमिका

ऑपरेशन मुस्कान एक सरकारी पहल है जो लापता बच्चों की खोज और बचाव के लिए काम कर रही है। फरवरी 2025 में 72 बच्चों को ऑपरेशन मुस्कान के तहत खोजा गया। यह अभियान बच्चों को सुरक्षित घर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।

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