हर साल 25 मई से 2 जून तक की अवधि को नवतपा कहा जाता है, जिसे आमतौर पर सबसे गर्म दिनों के रूप में देखा जाता है। लेकिन यह केवल मौसम से जुड़ी बात नहीं है, बल्कि पृथ्वी और सूर्य की स्थिति पर आधारित एक खगोलीय घटना है। पर्यावरणविद् सारिका घारू बताती हैं कि इस दौरान पृथ्वी ऐसी स्थिति में होती है कि सूर्य के पीछे रोहिणी नक्षत्र दिखाई देता है।
इस खगोलीय बदलाव को नवतपा कहा जाता है। दिलचस्प यह है कि इस बार नवतपा की शुरुआत मानसून के समय से पहले प्रवेश के साथ हो रही है। जलवायु परिवर्तन के चलते अब नवतपा और अधिकतम तापमान में स्पष्ट संबंध नहीं दिखता, फिर भी इस समय को गर्मी से सतर्क रहने की चेतावनी के तौर पर देखा जा सकता है। विज्ञान और परंपरा के इस मेल को समझना जरूरी है ताकि हम मौसम के साथ बेहतर तालमेल बना सकें।
ये खबर भी पढ़िए... भारत-पाक तनाव के बीच जबलपुर में धनुष और सारंग तोपों का निर्माण तेज
खगोल विज्ञान के नजरिए से समझिए
नवतपा केवल गर्मी का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह पृथ्वी की सूर्य के चारों ओर की गति से जुड़ी एक विशिष्ट खगोलीय स्थिति है। हर वर्ष 25 मई को पृथ्वी सूर्य के सामने ऐसे बिंदु पर पहुंच जाती है, जहां से देखने पर सूर्य के पीछे आकाश में रोहिणी नक्षत्र दिखाई देता है। इसी घटना को सूर्य का रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश कहा जाता है। इस दिन से नवतपा की शुरुआत मानी जाती है।
ये खबर भी पढ़िए... Weather Forecast : दिल्ली-राजस्थान में 42 डिग्री रहेगा पारा, एमपी में गर्मी-बारिश का मिलाजुला असर
हर साल एक ही तारीख क्यों आती है नवतपा
सारिका घारू बताती हैं कि जैसा हम अपना जन्मदिन हर साल एक तय तारीख को मनाते हैं, ठीक उसी तरह नवतपा भी हर साल 25 मई से 2 जून तक रहता है। इसकी तिथि सूर्य-पृथ्वी की खगोलीय स्थिति पर आधारित होती है, इसलिए यह अंग्रेजी कैलेंडर में तय रहती है। हिन्दू पंचांग पर आधारित त्योहारों की तारीखें हर वर्ष बदलती रहती हैं।
ये खबर भी पढ़िए... एमपी के सात प्रमुख शहरों के बीच बनाए जाएंगे ऑक्सीजन पार्क, सरकार ने बनाया प्लान
नवतपा और गर्मी का संबंध
पारंपरिक रूप से नवतपा को भीषण गर्मी के दिनों के रूप में देखा जाता रहा है। मई का महीना भारत में गर्मी का चरम होता है। इसी कारण प्राचीन समय में यह अवधारणा बनी कि सूर्य जब रोहिणी में आता है।
ये खबर भी पढ़िए... मध्य प्रदेश सहकारी समितियों के चुनाव टाले जाने पर गहराया विवाद, कांग्रेस ने लगाए गंभीर आरोप
जलवायु परिवर्तन के दौर में नवतपा
आज के समय में जब मौसम और जलवायु तेजी से बदल रही है, तब Navatapa और वास्तविक तापमान में हमेशा स्पष्ट मेल नहीं बैठता। कई बार नवतपा की अवधि में बारिश हो जाती है, या मानसून जल्दी आ जाता है। इस बार भी ऐसी ही स्थिति है, जहां 25 मई से नवतपा शुरू हो रहा है, लेकिन साथ ही मानसून के तय समय से आठ दिन पहले प्रवेश की सूचना भी सामने आ गई है।
अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢🔃
🤝💬👩👦👨👩👧👧
देश दुनिया न्यूज | hindi news