मध्य प्रदेश में 4 हजार बेटियां लापता, पुलिस खोजने में नाकाम
मध्य प्रदेश में बेटियों के गायब होने की घटनाएं हर साल बढ़ रही हैं। जनवरी 2021 से दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, 4,000 से अधिक बेटियों का कोई सुराग नहीं है। पुलिस की लापरवाही और मानव तस्करी की आशंका चिंता का विषय है।
मध्य प्रदेश में बेटियों के गायब होने की घटनाएं हर साल बढ़ रही हैं। जनवरी 2021 से दिसंबर 2024 तक के आंकड़ों के अनुसार, 4,000 से अधिक बेटियों का कोई सुराग नहीं है। यह आंकड़े न केवल पुलिस प्रशासन की अक्षमता को उजागर करते हैं, बल्कि मानव तस्करी जैसे गंभीर अपराधों की ओर भी इशारा करते हैं।
विशेषज्ञों का मानना है कि लापता बेटियों में से कई मानव तस्करी का शिकार हो सकती हैं। 2024 में, बालिकाओं और महिलाओं के अपहरण के 10,400 मामले दर्ज किए गए। इनमें लैंगिक शोषण के लिए 630, बंधुआ मजदूरी के लिए 17, और नौकरी के लिए 12 बेटियों को जबरदस्ती ले जाया गया।
पुलिस ने 2021 से 2024 के बीच ऑपरेशन 'मुस्कान' के तहत 12,567 बेटियों को खोजा, जिनमें से 659 बेटियों को जबरदस्ती पकड़कर ले जाया गया था। हालांकि, 4,000 से अधिक बेटियों का अभी भी पता नहीं है।
पुलिस की लापरवाही और बल की कमी इन घटनाओं की एक बड़ी वजह है। सेवानिवृत्त डीजी अरुण गुर्टू के अनुसार, अपराध रोकने के लिए पुलिस की सड़क पर उपस्थिति और सक्रियता बढ़ाना आवश्यक है। साथ ही, दोषी अधिकारियों को सेवा से हटाने जैसे कड़े कदम उठाने की जरूरत है।
मध्य प्रदेश सरकार "लाड़ली लक्ष्मी योजना" और "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" जैसी योजनाएं चला रही है। लेकिन, बेटियों के गुम होने की बढ़ती घटनाएं इन योजनाओं की सफलता पर सवाल खड़े करती हैं।
FAQ
2021 से 2024 के बीच कितनी बेटियां लापता हुईं?
लगभग 4,000 बेटियां लापता हुईं, जिनका अब तक कोई सुराग नहीं है।
ऑपरेशन 'मुस्कान' का क्या उद्देश्य है?
ऑपरेशन मुस्कान का उद्देश्य लापता बेटियों को खोजकर सुरक्षित वापस लाना है।
मानव तस्करी के कितने मामले सामने आए?
लैंगिक शोषण, बंधुआ मजदूरी, और नौकरी के लिए कई बेटियों को जबरदस्ती ले जाया गया।
पुलिस बल की कमी का इस समस्या पर क्या असर है?
पुलिस बल की कमी और लापरवाही के कारण लापता बेटियों को खोजने में समस्या बढ़ रही है।
सरकार की कौन-कौन सी योजनाएं बेटियों के लिए हैं?
"लाड़ली लक्ष्मी योजना" और "बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ" जैसी योजनाएं बेटियों को सशक्त बनाने के लिए चलाई जा रही हैं।