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भोपाल।
केंद्र सरकार की बहुप्रचारित " मिशन शक्ति" योजना मध्यप्रदेश में अपनी विधिवत लांचिंग से पहले ही विवादों के घेरे में आ गई है। महिला सशक्तिकरण के उद्देश्य से लाई गई इस योजना को प्रदेश में लागू करने से पहले ही इसमें भर्ती घोटाले का खुलासा हुआ है। भर्ती में हुई अनियमितताओं की शिकायतों के बाद महिला एवं बाल विकास विभाग ने इस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाते हुए जांच शुरू कर दी है।
महिलाओं के समग्र विकास व कल्याण के लिए मिशन शक्ति की शुरुआत साल 2021-22 में हुई। 15वें वित्त आयोग से मंजूरी के बाद इसे फरवरी 2022 में देशभर में लागू कर दिया गया। दरअसल,इसके लिए 40 प्रतिशत राशि राज्य को भी खर्च करना है। इसके चलते मिशन को मध्य प्रदेश में मौजूदा वित्तीय वर्ष में ही मंजूरी मिली। साल 2023-24 में विधानसभा व लोकसभा के चुनाव भी इसकी वजह कहे जा सकते हैं।
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बिना टेंडर 367 पदों पर भर्ती का काम सौंपा
बहरहाल,मिशन महिलाओं से जुड़ा है,लिहाजा इसे जमीन पर उतारने का काम प्रदेश के महिला एवं बाल विकास विभाग को मिला। इसके लिए प्रदेश के 52 जिलों में आठ अधिकारी,कर्मचारियों की नियुक्ति का ठेका दहीसार ईस्ट मुंबई की एक निजी कंपनी टी एंड एम को दिया गया। कंपनी कंसलटेंसी के अलावा मेन पॉवर सप्लाई का भी काम करती है।मप्र के महिला एवं बाल विकास विभाग में आईसीडीएस प्रोजेक्ट अंतर्गत भर्ती के लिए साल 2022 में इस कंपनी को कथित तौर पर टेंडर के जरिए चुना गया।
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नाता पुराना,नए मिशन का काम भी मिला
मप्र के महिला एवं बाल विकास विभाग में आईसीडीएस प्रोजेक्ट अंतर्गत भर्ती के लिए साल 2022 में इस कंपनी को कथित तौर पर टेंडर के जरिए चुना गया। कंपनी से विभाग का नाता पुराना है,लिहाजा नए टेंडर की आवश्यकता महसूस न करते हुए टी एंड एम को ही मिशन शक्ति के लिए भी भर्ती का जिम्मा सौंप दिया गया। मिशन के लिए कंपनी को अंतर्गत प्रदेश के 52 जिलों में विभिन्न श्रेणी के 416 पद भरे जाने थे,लेकिन कुछ पद भरे होने से कंपनी को 367पदों पर भर्ती का दायित्व सौंपा गया।
मप्र में नहीं दफ्तर,सरकारी लोगो का इस्तेमाल
सूत्रों के मुताबिक,मप्र में टी एंड एम का कोई कार्यालय नहीं है। मिशन शक्ति में भर्ती के लिए कंपनी की ओर से यहां विज्ञापन जारी किया गया। हैरानी की बात यह कि कंपनी ने खुलेआम महिला एवं बाल विकास विभाग के नाम और उसके प्रतीक चिन्ह का प्रयोग किया। इससे उम्मीदवारों में यह भरोसा पैदा हुआ कि भर्ती प्रक्रिया वैध और सरकारी है। विभाग की ओर से इस अनधिकृत उपयोग पर कोई कार्रवाई नहीं की ।
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भर्ती को लेकर शिकायतें ये भी हैं
सूत्रों के अनुसार,भर्ती में आरक्षण प्रक्रिया का पालन तो हुआ नहीं। उल्टे महिलाओं से जुड़े इस मिशन में भर्ती के लिए पुरुषों को प्राथमिकता में रखा गया। यही नहीं,संबंधित लिखित परीक्षा की भाषा भी अंग्रेजी रखी गई। इसके चलते अंग्रेजी में तंग हाथ वाले कई उम्मीदवार भर्ती से बाहर हो गए। बताया जाता है कि कंपनी ने भोपाल सहित कई शहरों में परीक्षा और दस्तावेज़ सत्यापन के नाम पर प्रति उम्मीदवार 13सौ रुपए वसूले। आवेदन के बाद कई उम्मीदवारों को बिना परीक्षा के ही चयन पत्र दे दिए गए।
गत 19 मई को भोपाल में दस्तावेज़ सत्यापन का आयोजन किया गया, जिसमें बड़ी संख्या में अभ्यर्थियों को बुलाया गया। उम्मीदवारों से लिए गए अनुभव पत्रों का भी कोई ठोस सत्यापन नहीं किया गया। बताया जाता है कि कुछ उम्मीदवारों ने इस सौदेबाजी के आडियो भी वायरल किए। इसके बाद,विभाग ने आनन-फानन में भर्ती स्थगित कर दी है। जिम्मेदार अब जांच की बात कह रहे हैं।
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सीजीएसटी भी महाराष्ट्र सरकार के खाते में!
सूत्रों के अनुसार,आउस सोर्स भर्ती का यह ठेका करीब सौ करोड़ सलाना का है। इसमें भी तीन प्रतिशत अतिरिक्त कमीशन भी कंपनी को दिया जाना था। कंपनी महाराष्ट्र वेस्ड है। मप्र में उसका कोई कार्यालय नहीं है,लिहाजा राज्य के हिस्से का सेवा कर यानी एसजीएसटी भी महाराष्ट्र सरकार के खाते में ही जाता रहा है।
एक-दूसरे पर टाल रहे हैं अफसर
भर्ती घोटाला से जुड़े इस मामले को लेकर जिम्मेदार अफसर जवाब देने से बच रहे हैं। विभाग की प्रभारी आयुक्त आईएएस निधि निवेदिता से संपर्क किए जाने पर उन्होंने एक उप संचालक योगेंद्र यादव को इसके लिए पाबंद कर दिया। वहीं यादव,इस बात को लेकर आश्वस्त नहीं है कि आउट सोर्स भर्ती करने वाली फर्म, सीजीएसटी का भुगतान किस राज्य को करेगी। मप्र में उसका दफ्तर है या नहीं। वह कहते हैं-कंपनी विभाग के लिए पहले से भर्ती करती आ रही है,इसलिए यह काम भी उसे ही सौंप दिया गया। शिकायतें आईं थी,इसके चलते भर्ती फिलहाल रोक दी गई है। इसकी जांच की जाएगी। जांच कौन करेगा,इसको लेकर भी वे आश्वस्त नहीं हैं।