BHOPAL. जल जीवन मिशन में देश का पहला जिला बनने वाले बुरहानपुर शहर के लोग पेयजल के लिए परेशान है। शुक्रवार को मध्यप्रदेश विधानसभा में क्षेत्रीय विधायक अर्चना चिटनीस ने 131 करोड़ की लागत वाले प्रोजेक्ट को लेकर एमपीयूडीसी को जमकर घेरा। सदन में चिटनीस का रुख सरकार की कंपनी MPUDC पर सख्त नजर आया। उन्होंने साल 2019 में पूरी होने वाली जल आवर्धन योजना के अब तक अधूरी होने पर सवाल उठाया।
विधायक अर्चना चिटनीस ने कहा सरकार की कंपनी 10 बार काम पूरा करने का भरोसा जनता को दे चुकी है। वहीं ठेकेदार अब 11वी बार फिर समय सीमा बढ़ाने की बात कर रहा है। अधिकारियों की ढील के कारण लोग परेशान हो रहे हैं। काम भी गुणवत्ताहीन हो रहा है। इसके कारण पिछले साल बना एनीकट भी क्षतिग्रस्त हो चुका है। विधायक ने एमपीयूडीसी के तहत कराए जा रहे काम की उच्चस्तरीय जांच की मांग भी गई है। वहीं वरिष्ठ बीजेपी विधायक की मांग को देखते हुए नगरीय विकास एवं आवास मंत्री ने जांच कराने के निर्देश दिए हैं।
5 साल बाद भी अधूरी जलावर्धन योजना
बुरहानपुर शहर में करीब साढ़े तीन लाख की आबादी है। इसे नगर निगम द्वारा जलप्रदाय किया जाता है। नियमित पेयजल उपलब्ध कराने सरकार द्वारा जलावर्धन योजना स्वीकृत की गई थी। इसके लिए विश्व बैंक से 131 करोड़ की मदद भी मिली है। यह काम मप्र अर्बन डेव्लपमेंट कंपनी लिमिटेड (MPUDC) के माध्यम से महाराष्ट्र की एक कंपनी को दिया गया था। एमपीयूडीसी की निगरानी में प्रोजेक्ट 2019 में पूरा होना था लेकिन पांच साल बाद भी काम आधा ही हो पाया है।
योजना में देरी के लिए MPUDC जिम्मेदार
विधायक अर्चना चिटनीस ने जलप्रदाय व्यवस्था गड़बड़ाने के लिए एमपीयूडीसी को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा इसकी निगरानी एमपीयूडीसी के अफसर कर रहे हैं। ठेकेदार बार-बार समय सीमा बढ़ाता रहा लेकिन उस पर कार्रवाई नहीं की गई। उन्होंने कहा योजना की प्रगति पर सरकार का जवाब सुनने में अच्छा लगता है, लेकिन हकीकत ऐसी नहीं है। कंपनी ने पाइप भी निर्धारित गहराई में नहीं बिछाए हैं जो आगे चलकर परेशानी खड़ी करेंगे। पिछले साल बनाया गया एनीकट टूट चुका है। कंपनी 10 बार काम जल्द पूरा करने का आश्वासन दे चुकी है, अब भी 11वी बार समय मांग रही है। कंपनी के कामों की अलग से जांच कराई जाए।
पहले कोविड, फिर धीमे काम से हुई देरी
ध्यानाकर्षण सूचना पर नगरीय विकास एवं आवास मंत्री कैलाश विजयवर्गीय ने योजना में विलम्ब की बात स्वीकार की। उन्होंने कहा काम 2019 में पूरा होना था लेकिन जमीन उपलब्ध कराने में देरी, कोविड 19 और निर्माण कार्य की धीमी गति के कारण विलम्ब हुआ है। एमपीयूडीसी ने निर्माण एजेंसी की राशि भी रोकी है। मंत्री ने आश्वस्त किया अब विलम्ब न हो यह सुनिश्चित करेंगे। शासकीय अधिकारियों की जांच पर शंका न हो इसके लिए आईआईटी इंदौर के एक्सपर्ट से इसकी जांच कराएंगे। जलावर्धन योजना की पाइप बिछाने के लिए खोदी गई सड़कों का निर्माण होगा। जरूरत पड़ी तो विभाग अलग से राशि भी उपलब्ध कराएगा।
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