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जबलपुर हाईकोर्ट में सागर जिले की एक आदिवासी महिला की याचिका पर सुनवाई हुई, जिसने अपने पति की रहस्यमय मौत की जांच सीबीआई से कराए जाने की मांग की है। महिला का आरोप है कि यह मौत एक गहरी साजिश का हिस्सा है, जिसमें स्थानीय विधायक भूपेंद्र सिंह का नाम सामने आ रहा है। अदालत ने सरकार को जवाब पेश करने के लिए मोहलत दी है और मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को तय की है।
जवाब देने सरकार ने मांगा समय
मामले पर हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता रेवा आदिवासी की ओर से अधिवक्ता अमित दवे ने पैरवी की। वहीं डीजीपी की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता मनीष दत्त और अधिवक्ता एमके शर्मा ने पक्ष रखा। राज्य सरकार की ओर से शासकीय अधिवक्ता एएस बघेल ने अदालत को जानकारी दी कि इस मामले पर जवाब तैयार हो चुका है और इसे शीघ्र ही पेश किया जाएगा। अदालत ने इस बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए सुनवाई की अगली तारीख बढ़ा दी।
याचिका में विधायक पर गंभीर आरोप
याचिकाकर्ता महिला ने अदालत को बताया था कि उसके पति नीलेश उर्फ नत्थू आदिवासी को विधायक भूपेंद्र सिंह के इशारे पर पहले झूठी एफआईआर में फंसाया गया। जब नीलेश ने इस साजिश का खुलासा करते हुए शपथ पत्र और वीडियो सार्वजनिक किया, तब से उस पर लगातार दबाव और धमकियां बढ़ने लगीं। महिला का आरोप है कि इस दौरान उसके पति का अपहरण किया गया और प्रताड़ना दी गई।
जमीन विवाद और फर्जी FIR से जुड़ा पूरा मामला
रेवा आदिवासी का कहना है कि कुछ माह पहले नितिन जैन, राघवेंद्र परिहार और अजीत राय उसके घर आए और नीलेश से कहा कि किसने तुम्हारी जमीन पर कब्जा कर रखा है। जब नीलेश ने मनोज जैन का नाम बताया तो वे लोग उसे साथ ले जाकर कार्रवाई का भरोसा दिलाने लगे।
नीलेश उस रात राघवेंद्र परिहार के घर पर ही रहा। अगले दिन राघवेंद्र ने रेवा को समझाया कि वह पति के साथ कहीं बाहर चली जाए। जब उसने मना किया, तो अजीत राय ने उसे ढाबे से पांच हजार रुपए देकर बस में बैठाकर इंदौर भेज दिया, जबकि नीलेश को सागर ले जाया गया।
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नत्थू आदिवासी को दिया था 10 लाख रुपए का लालच
महिला का कहना है कि सागर ले जाकर उसके पति पर दबाव बनाया गया कि वह स्थानीय नेता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराए और इसके बदले उसे 10 लाख रुपए दिए जाएंगे। लेकिन नीलेश ने साफ मना करते हुए कहा कि उसे केवल अपनी जमीन वापस चाहिए, किसी पर झूठा मुकदमा नहीं करेंगे। दबाव बढ़ने पर उसने यहां तक कहा था कि अगर मुझ पर ज्यादा दबाव डाला गया तो मैं आत्महत्या कर लूंगा।
रहस्यमय परिस्थितियों में मौत और पुलिस पर सवाल
रेवा आदिवासी का आरोप है कि दबाव और साजिश के बीच 25 जुलाई 2025 को उसके पति की संदिग्ध मौत हो गई। महिला का कहना है कि पर्याप्त साक्ष्य और बयान उपलब्ध होने के बावजूद पुलिस ने केवल मर्ग दर्ज कर मामले को दबा दिया, जबकि वास्तविकता में एफआईआर दर्ज कर निष्पक्ष जांच होनी चाहिए थी।
इसी वजह से उसने हाईकोर्ट से गुहार लगाई है कि मामला सीबीआई को सौंपा जाए, ताकि सच सामने आ सके। अल्लाह किसी मामले की पिछली सुनवाई में सरकार की ओर से यह बताया गया था कि मामले में FIR दर्ज की कर ली गई है और कुछ लोगों के बयान भी हो चुके हैं, अब इस मामले की अगली सुनवाई 8 सितंबर को तय की गई है जब सरकार की ओर से जवाब सामने आने के बाद कोर्ट इसपर फैसला लेगा।
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