थानों में प्रतिनिधि नियुक्ति पर विवाद के बाद विधायक प्रीतम लोधी क्या बोले

बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी ने अपने पिछोर विधानसभा क्षेत्र में थानों और एसडीओपी कार्यालयों सहित 27 विभागों में विधायक प्रतिनिधियों की नियुक्ति की है। विधायक ने थानों और विभागों में 27 प्रतिनिधि नियुक्त किए।

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Sandeep Kumar
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बीजेपी विधायक प्रीतम लोधी ने अपने पिछोर विधानसभा क्षेत्र में थानों और एसडीओपी कार्यालयों सहित 27 विभागों में विधायक प्रतिनिधियों की नियुक्ति की है। इन नियुक्तियों ने प्रशासन और राजनीति दोनों में विवाद खड़ा कर दिया है। कांग्रेस ने इसे "थानों में दलाली का अड्डा" करार दिया और सरकार की नीयत पर सवाल उठाए हैं।

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विधायक की मंशा: हर नागरिक को 'विधायक' जैसा अनुभव दिलाना

प्रीतम लोधी का कहना है, "मैं चाहता हूं कि मेरे क्षेत्र का हर व्यक्ति खुद को विधायक महसूस करे। मैं खुद कभी अपनी विधायक कुर्सी पर नहीं बैठता। हर दिन किसी नए व्यक्ति को यह जिम्मेदारी देता हूं। इसी भावना से मैंने थानों और विभागों में प्रतिनिधि नियुक्त किए हैं।" अब वे कहते हैं कि मैं सभी विभागों में प्रतिनिधि बनाउंगा। 

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क्या कहता है कानून?

पूर्व डीजीपी एस.के. राउत ने इसे गैरकानूनी और अनावश्यक करार देते हुए कहा, पुलिस प्रशासन कानून के हिसाब से चलता है। विधायक प्रतिनिधि की किसी कानून की किताब में कोई जगह नहीं है। 35 वर्षों के अपने करियर में मैंने कभी ऐसा नहीं देखा।

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कानूनी मान्यता और वास्तविक प्रभाव

विधायक प्रतिनिधि की वैधानिक स्थिति पर कई सवाल उठते हैं।
इन नियुक्तियों का कोई कानूनी आधार नहीं है।
सरकारी बैठकों में इनकी भूमिका विधायक की मौजूदगी पर निर्भर करती है।
जिला योजना समिति जैसी बैठकों में इनका काम मैसेंजर या मध्यस्थ के रूप में होता है।
राजनीतिक संदर्भ: पहले भी विवादों में घिरे प्रतिनिधि
यह पहली बार नहीं है जब विधायक या सांसद द्वारा प्रतिनिधियों की नियुक्ति विवाद का कारण बनी हो।
केंद्रीय मंत्री वीरेंद्र खटीक ने 130 सांसद प्रतिनिधि नियुक्त किए थे, जिसके चलते उन्हें विवादों का सामना करना पड़ा। इस प्रकार की नियुक्तियां अक्सर प्रशासन और राजनीतिक पारदर्शिता पर सवाल उठाती हैं।

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FAQ

विधायक प्रतिनिधि नियुक्ति का कानूनी आधार क्या है?
इसका कोई कानूनी आधार नहीं है। यह केवल विधायक के व्यक्तिगत निर्णय और मंशा पर आधारित है।
विधायक प्रतिनिधि के क्या अधिकार होते हैं?
इन्हें कोई अधिकार नहीं होते। उनकी भूमिका सिर्फ सूचनाओं का आदान-प्रदान करना या विधायक की ओर से उपस्थित रहना होती है।
इस मामले में विवाद क्यों हो रहा है?
विपक्ष का आरोप है कि थानों और विभागों में प्रतिनिधियों की नियुक्ति से दलाली और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलेगा।
क्या पुलिस थानों में प्रतिनिधि नियुक्त हो सकते हैं?
पुलिस प्रशासन में प्रतिनिधियों की नियुक्ति का कोई प्रावधान नहीं है।
क्या ऐसी नियुक्तियां पहले भी हुई हैं?
हां, इससे पहले भी कई सांसद और विधायक ने प्रतिनिधियों की नियुक्ति की है, जो अक्सर विवादों में रही हैं।

 

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