BHOPAL. मध्यप्रदेश में मूंग की समर्थन मूल्य पर खरीदी की मांग को स्वीकार कर लिया है। किसान 19 जून से इसके लिए अपने पंजीयन करा सकेंगे लेकिन इस व्यवस्था में एक बदलाव ने किसानों के सामने मुश्किल खड़ी कर दी है।
समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी के लिए किसानों के पास राष्ट्रीयकृत या सहकारी बैंकों का खाता होना जरूरी है। निजी क्षेत्र के बैंकों के खातों पर यह सुविधा किसानों को नहीं मिल पाएगी। ऐसे में प्रदेश के हजारों किसान समर्थन मूल्य पर मूंग बेंचने के लिए रजिस्ट्रेशन कराने से वंचित रह सकते हैं।
किसानों के प्रदर्शन के बाद घोषणा
प्रदेश के किसान बीते कई दिनों से समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी की मांग कर रहे थे। इसको लेकर नर्मदांचल में तो आंदोलन भी शुरू हो गए थे। किसानों की इस मांग और प्रदर्शन की स्थिति को देखते हुए सीएम डॉ.मोहन यादव ने शुक्रवार को इस पर सहमति जताते हुए मूंग की खरीदी के लिए समर्थन मूल्य खरीदी केंद्र शुरू करने की घोषणा की थी। मूंग खरीदी के लिए पंजीयन 19 जून से शुरू होंगे लेकिन इसके लिए इस बार राष्ट्रीयकृत और सहकारी बैंक में खाते होना जरूरी होगा।
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रजिस्ट्रेशन की गाइडलाइन भी जारी
समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी के लिए सरकार ने प्रति क्विटंल 8,682 रुपए मूल्य तय किया है। जबकि उड़द की फसल 7400 रुपए क्विंटल की दर से खरीदी जाएगी। किसानों को रजिस्ट्रेशन के लिए फसल का नाम, आधार नंबर, बैंक खाता नंबर, आईएफसी कोड के साथ ही भूअधिकार ऋण पुस्तिका की स्व-प्रमाणित छायाप्रति भी देनी होगी।
किसानों को रजिस्ट्रेशन के लिए राष्ट्रीयकृत बैंक एवं सहकारी केन्द्रीय बैंक की शाखा में खाता होना जरूरी होगा। वहीं सिकमी/बटाई काश्तकार को पंजीयन के लिये आवेदन के साथ सिकमी के अनुबंध की स्व-प्रमाणित प्रति संलग्न करना आवश्यक होगा। रजिस्ट्रेशन के बाद किसानों को भुगतान के लिए केंद्र से कम्प्युटराइज्ड प्रिंटेड रसीद उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें किसान और बैंक का ब्यौरा दर्ज होगा।
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राष्ट्रीयकृत-सहकारी बैंक खातों की पाबंदी
समर्थन मूल्य पर खरीदी के पंजीयन के लिए सहकारी केंद्रीय या राष्ट्रीय बैंक में खाता होने की अनिवार्यता किसानों की परेशानी बन गई है। प्रदेश में हजारों मूंग उत्पादक किसान ऐसे हैं जो स्थानीय सुविधा के लिहाज से निजी क्षेत्र के बैंकों का उपयोग करते हैं।
कई डिफॉल्टर किसान भी हैं जिनके पास अब सहकारी बैंकों के खाते नहीं है और वे भी निजी क्षेत्र की बैंक के जरिए ही लेनदेन कर रहे हैं। इन किसानों के सामने अब राष्ट्रीयकृत और सहकारी बैंकों में खाते खुलवाने की बाध्यता खड़ी हो गई है। कई किसानों ने सरकार से इस बाध्यता को खत्म करने की भी गुहार लगाई है।
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प्रदेश में बढ़ रहा मूंग का उत्पादन
किसान अपनी पैदावार बढ़ाकर आय में इजाफा कर रहे हैं। रबी सीजन की फसल की कटाई के बाद प्रदेश के 36 जिलों में ग्रीष्मकालीन मूंग की बोवनी की जा रही है। अब प्रदेश में मूंग की पैदावार का रकबा बढ़कर 14 लाख 35 हजार हैक्टेयर हो गया है।
वहीं उत्पादन भी 20.23 लाख मीट्रिक टन तक पहुंच गया है। यानी प्रदेश में लाखों किसान अब मूंग उत्पादन कर रहे हैं। इसी वजह से समर्थन मूल्य पर मूंग की खरीदी को लेकर किसान लगातार सरकार से मांग कर रहे थे।
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