मुरैना शहर की महापौर शारदा सोलंकी के लिए ग्वालियर उच्च न्यायालय से बड़ी राहत की खबर आई है। उनकी 10वीं की मार्कशीट को फर्जी बताने वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि इस मामले का आम जनता से कोई लेना-देना नहीं है। कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुईं सोलंकी के लिए यह फैसला एक बड़ी जीत है, जिसने मुरैना की सियासत में नया रंग भर दिया है।
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जानिए क्या था पूरा मामला …
भाजपा की मेयर पद की पूर्व दावेदार मीना जाटव ने शारदा सोलंकी के खिलाफ मुरैना जिला न्यायालय में शिकायत दर्ज की थी। मीना ने दावा किया था कि सोलंकी की 10वीं की मार्कशीट फर्जी है और उनके चुनावी हलफनामे में न्यू हाउसिंग बोर्ड के निवास की जानकारी गलत है। इस शिकायत के आधार पर मुरैना जिला न्यायालय ने कोतवाली पुलिस को सोलंकी को गिरफ्तार करने का आदेश दिया था। इस आदेश ने स्थानीय राजनीति में तूफान ला दिया था, क्योंकि सोलंकी उस समय मुरैना की महापौर थीं।
हाईकोर्ट का फैसला- मामले का जनता से कोई वास्ता नहीं
शारदा सोलंकी ने मुरैना जिला न्यायालय के आदेश के खिलाफ ग्वालियर उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। उन्होंने अपने खिलाफ लगे आरोपों को बेबुनियाद बताया। ग्वालियर उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने मामले की सुनवाई की और मुरैना जिला न्यायालय के आदेश को रद्द कर दिया। कोर्ट ने कहा कि यह मामला व्यक्तिगत आरोपों तक सीमित है और इसका कोई सार्वजनिक महत्व नहीं है। मीना जाटव की याचिका को खारिज करते हुए कोर्ट ने सोलंकी को राहत दी।
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शारदा सोलंकी: हमेशा सुर्खियों में
शारदा सोलंकी का नाम मुरैना में कोई नया नहीं है। महापौर चुनाव लड़ने के बाद से ही वे चर्चा में रही हैं। पहले उनकी मार्कशीट और मेयर पद की उम्मीदवारी को लेकर सवाल उठे, फिर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने की वजह से वे सुर्खियों में आईं।
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मुरैना की सियासत में नया मोड़…
यह केस सिर्फ शारदा सोलंकी तक सीमित नहीं रहा। मुरैना की राजनीति में आरोप-प्रत्यारोप का यह खेल लंबे समय से चल रहा है। मीना जाटव और शारदा सोलंकी के बीच की यह जंग मेयर पद की दावेदारी से शुरू हुई थी, लेकिन कोर्ट के फैसले ने इसे नया आयाम दिया है।
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