MP कृषि विपणन बोर्ड ने बिना NPS खाता खोले हजारों कर्मचारियों को किया रिटायर

पेंशन से जुड़े मामलों की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट में मध्य प्रदेश कृषि विपणन बोर्ड की बड़ी गफलत सामने आई है जिसमें हजारों रिटायर कर्मचारियों के साथ मंडी बोर्ड ने छल किया है। 

author-image
Neel Tiwari
New Update
mp-agriculture-marketing-board-pension-scam-high-court-order-2025
Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने पेंशन से जुड़े एक बेहद अहम मामले में बड़ा आदेश सुनाया है। यह याचिकाएं शहाना खान सहित अन्य चार याचिकाकर्ताओं द्वारा दायर की गई थीं। जस्टिस विवेक जैन की सिंगल बेंच ने सुनवाई करते हुए साफ कहा कि मंडी बोर्ड ने कर्मचारियों को नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) से जोड़े बिना ही सेवानिवृत्त कर दिया, जो कि पूरी तरह गैरकानूनी और गंभीर लापरवाही है।

कभी खोला ही नहीं गया कर्मचारियों का NPS खाता 

याचिकाकर्ता 1 जनवरी 2005 के बाद नियमित सेवा में आए थे। उन्हें पुरानी पेंशन योजना (OPS) का लाभ नहीं मिला। प्रतिवादियों का तर्क था कि उन्हें NPS के तहत पेंशन मिलनी चाहिए। लेकिन अदालत के सामने यह सच्चाई उजागर हुई कि वास्तव में NPS का खाता ही कभी नहीं खोला गया। कर्मचारियों और नियोक्ता के अंशदान की रकम को NPS अथॉरिटी (PFRDA) को भेजने की बजाय मंडी बोर्ड ने अपने पास ही रखा।

हाईकोर्ट में हुआ गड़बड़झाले का खुलासा

22 जुलाई 2025 को हाईकोर्ट ने प्रतिवादियों से पूछा था कि कर्मचारियों को NPS में कवर करने के लिए क्या कदम उठाए गए। इसके बाद दाखिल हलफनामे में सामने आया कि याचिकाकर्ताओं को NPS सदस्य दिखाने का दावा गलत था। वास्तव में उन्हें Contributory Provident Fund (CPF) का सदस्य बनाया गया था और रिटायरमेंट के समय करीब 14.70 लाख रुपये बतौर बकाया चुकाए गए।

खबर यह भी..सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 14 हाईकोर्ट के जजों के तबादले किए प्रस्तावित

हाईकोर्ट में पेश किए गए झूठे तथ्य

कोर्ट ने कहा कि मध्य प्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड ने झूठे तथ्य पेश किए। कर्मचारियों की राशि बोर्ड ने अपने पास रखकर केवल कुछ मनमाना ब्याज जोड़कर लौटाया है। कर्मचारियों से ली गई रकम से न तो PFRDA को योगदान भेजा गया और न ही यह स्पष्ट है कि कर्मचारियों को उतना रिटर्न दिया गया जितना NPS से मिलता।

हजारों कर्मचारियों से हुई धोखाधड़ी 

जस्टिस विवेक जैन ने कहा कि यह पूरी प्रणाली ही अवैध है। हजारों कर्मचारियों को NPS का लाभ दिए बिना रिटायर कर दिया गया। अब जबकि वे सेवानिवृत्त हो चुके हैं, उन्हें NPS में शामिल करना संभव नहीं है, लेकिन कोर्ट ने इसकी भरपाई के कदम उठाने की ज़रूरत बताई है।

पूरा PDF यहां से डाउनलोड करें

हाईकोर्ट ने दिए जांच के आदेश

हाईकोर्ट ने मध्यप्रदेश शासन के पेंशन और प्रॉविडेंट फंड डायरेक्टर को जांच की जिम्मेदारी सौंपी है। जांच में डायरेक्टर यह भी देखेंगे कि अगर कर्मचारियों को समय पर NPS से जोड़ा जाता तो उन्हें कितना लाभ मिलता। क्या नियोक्ता का अंशदान सही अनुपात में किया गया था और क्या उन्हें वही रिटर्न मिला जो PFRDA समय-समय पर देता है।

खबर यह भी...हाईकोर्ट का अहम फैसला: आपसी सहमति से तलाक, हर सुनवाई में पति-पत्नी की मौजूदगी जरूरी

30 दिनों में पेश करनी होगी जांच रिपोर्ट

याचिकाकर्ताओं को आदेश की प्रति 15 दिन में पेंशन एवं प्रॉविडेंट फंड डायरेक्टर को सौंपनी होगी। PF डायरेक्टर को 30 दिन में यह जांच पूरी कर रिपोर्ट देना होगी। यह रिपोर्ट 7 अक्टूबर 2025 को हाईकोर्ट में पेश की जाएगी। कोर्ट ने आदेश में यह भी लिखा है कि रिपोर्ट समय पर न देने पर डायरेक्टर के अधीन वरिष्ठ अधिकारी को व्यक्तिगत रूप से कोर्ट में उपस्थित होना पड़ेगा।

रिटायर हो चुके कर्मचारियों के लिए अहम है फैसला

यह मामला सिर्फ कुछ याचिकाकर्ताओं तक सीमित नहीं है। प्रदेश के हजारों मंडी कर्मचारियों को भी बिना NPS खाता खोले रिटायर किया गया है। अगर जांच में यह गड़बड़ी साबित होती है, तो यह आदेश हजारों परिवारों के लिए राहत का कारण बन सकता है और पेंशन से वंचित कर्मचारियों को न्याय दिला सकता है।

thesootr links

सूत्र की खबरें आपको कैसी लगती हैं? Google my Business पर हमें कमेंट केसाथ रिव्यू दें। कमेंट करने के लिए इसी लिंक पर क्लिक करें

अगर आपको ये खबर अच्छी लगी हो तो 👉 दूसरे ग्रुप्स, 🤝दोस्तों, परिवारजनों के साथ शेयर करें📢

🔃🤝💬👩‍👦👨‍👩‍👧‍👧

मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड | एमपी राज्य कृषि विपणन बोर्ड‍

एमपी राज्य कृषि विपणन बोर्ड मध्यप्रदेश राज्य कृषि विपणन बोर्ड NPS PFRDA पुरानी पेंशन योजना मध्यप्रदेश शासन मध्यप्रदेश हाईकोर्ट