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बिलासपुर। तलाक के संबंध में हाई कोर्ट का महत्वपूर्ण फैसला आया है। आपसी सहमति के आधार पर विवाह विच्छेद की सुनवाई के दौरान हर स्तर पर पति-पत्नी दोनों की मौजूदगी ना केवल जरुरी है साथ ही हर स्तर पर दोनों ही सहमति भी आवश्यक है। इसी शर्त के आधार पर आपसी सहमति के जरिए तलाक की अर्जी मंजूर की जाती है और कोर्ट का डिक्री भी इसी आधार पर पारित किया जाता है।
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पति-पत्नी को देगा 20 लाख रुपए
पति पत्नी की आपसी सहमति के आधार पर विवाह विच्छेद के मामले की सुनवाई के दौरान पत्नी की अनुपस्थिति के चलते परिवार न्यायालय ने आपसी सहमति के आधार पर पति द्वारा दायर तलाक की याचिका को खारिज कर दिया। फैमिली कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए पति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की। दुर्ग निवासी दंपती की वर्ष 2000 में शादी हुई थी। शादी के कुछ समय बाद विवाद के चलते दोनों अलग-अलग रहने लगे। इसी बीच फैमिली कोर्ट में आपसी सहमति के आधार पर तला की अर्जी लगाई। आपसी सहमति से विवाह विच्छेद के लिए शर्त रखी गई कि पति अपनी पत्नी को इसके एवज में 20 लाख रुपये देगा।
परिवार न्यायालय ने रद्द की अर्जी
याचिकाकर्ता पति ने अपनी याचिका में इस बात का जिक्र करते हुए बताया कि शर्त के अनुसार उसने पत्नी को 20 लाख रुपये दे दिया है। रुपये लेने के बाद भी वह बयान दर्ज कराने और तलाक पर अपनी सहमति दर्ज कराने परिवार न्यायालय नहीं पहुंची। आपसी सहमति ना बनने और पत्नी के कोर्ट के पहुंचकर बयान दर्ज ना करने व सहमति ना देने की स्थिति में परिवार न्यायालय ने तलाक की अर्जी को रद्द कर दिया है। परिवार न्यायालय ने अपने फैसले में पति-पत्नी दोनों को यह छूट भी दी है कि अगर दोनों के बीच सहमति बनती है तो भविष्य में वे दोबारा तलाक के लिए अर्जी लगा सकते हैं।
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परिवार न्यायालय के फैसले को ठहराया सही
मामले की सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने परिवार न्यायालय के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। कोर्ट ने अपने फैसले में लिखा है कि अदालत में सुनवाई के दौरान हर एक मौके पर पति-पत्नी की उपस्थिति और सहमति अनिवार्य है। दोनों में से एक भी पक्ष अगर अनुपस्थित रहता है तो इसे आपसी सहमति के आधार पर विवाह विच्छेद नहीं माना जाएगा और इस आधार पर अनुमति नहीं दी सकती।
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एक साल से अलग रह रहे पति-पत्नी
पति-पत्नी के बीच अनबन है और एक साल से ज्यादा समय से दोनों अलग-अलग रहे हैं तो इस स्थिति में दोनों आपसी सहमति के आधार पर तलाक ले सकते हैं। अदालत में सुनवाई के दौरान हर एक मौके पर दाेनों की उपस्थिति और सहमति भी जरुरी है। सुनवाई के दौरान अदालत को ऐसा लगता है कि वास्तव में दोनों का साथ रहना संभव नहीं है, तभी तलाक की डिक्री पारित करता है।
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