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Photograph: (the sootr)
BHOPAL.मध्यप्रदेश के नर्मदापुरम जिले में सबसे अधिक गधे पाए जाते हैं। यह हम नहीं कह रहे, यह आंकड़ा राज्य में की गई पशुगणना के बाद सामने आया है। राज्य में नौ जिले ऐसे भी हैं जहां एक भी गधा नहीं है। पिछले साल 25 अक्टूबर 2024 से शुरू हुई इस गणना की रिपोर्ट अब जारी हो चुकी है।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि प्रदेश में कुल 3 करोड़ 75 लाख 92 हजार 771 पशु हैं। इसमें गाय- बैल जैसे गौवंश, भैंस, भेड़, बकरियां, घोड़े, गधे, खच्चर, ऊंट और सूअर शामिल हैं।
रिपोर्ट यह भी बताती है कि किस जिले में कौन सा पशु सबसे ज्यादा है। यह जानकारी सरकार को ग्रामीण इलाकों की आर्थिक योजना बनाने और पशुपालन से जुड़ी नीतियों पर काम करने में मदद करती है।
एमपी में अलग-अलग प्रकार के पशुओं की संख्या
| पशु का प्रकार (Animal Type) | संख्या (Total Count) |
|---|---|
| गौ वंशीय (Cattle) | 1,57,48,498 |
| भैंस वंशीय (Buffaloes) | 1,02,48,915 |
| भेड़ (Sheep) | 5,58,324 |
| बकरी (Goats) | 1,09,30,750 |
| घोड़ा (Horses) | 9,971 |
| टट्टू (Ponies) | 216 |
| खच्चर (Mules) | 972 |
| गधा (Donkeys) | 3,052 |
| ऊंट (Camels) | 2,896 |
| सुअर (Pigs) | 89,177 |
| कुल (Total Livestock) | 3,75,92,771 |
नर्मदापुरम जिले में मिले सबसे ज्यादा गधे
मध्यप्रदेश में कुल 3,052गधे दर्ज किए गए हैं, और इनमें से सबसे ज्यादा 335 गधे नर्मदापुरम में मिले हैं। इसलिए कहा जा सकता है कि नर्मदापुरम अब गधों का गढ़ बन गया है। गधों और खच्चरों का इस्तेमाल ज्यादातर माल ढुलाई के लिए किया जाता है। नर्मदापुरम जिले के कई इलाकों में अब भी इन पशुओं से माल ढुलाई का काम करवाया जाता है।
सबसे ज्यादा गधों वाले टॉप 5 जिले हैं -
नर्मदापुरम (335), छतरपुर (232), मुरैना (228), दतिया (183) और श्योपुर (176)।
वहीं दूसरी तरफ, 9 जिलों में एक भी गधा नहीं मिला। ये जिले हैं -
अनूपपुर, बालाघाट, दमोह, डिंडोरी, हरदा, मंडला, निवाड़ी, सिवनी और उमरिया।
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सीएम के जिले उज्जैन में सबसे ज्यादा घोड़े
मध्य प्रदेश में घोड़ों की सबसे ज्यादा संख्या मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के गृह जिले उज्जैन में पाई गई है। यहां कुल 618 घोड़े दर्ज किए गए हैं। उज्जैन एक धार्मिक और ऐतिहासिक शहर है। उज्जैन में जुलूस,सांस्कृतिक कार्यक्रम और आवागमन के लिए आज भी घोड़ों का इस्तेमाल होता है। इसी वजह से यहां घोड़े ज्यादा संख्या में मिलते हैं।
सबसे ज्यादा घोड़े वाले टॉप 5 जिले:
उज्जैन - 618
छतरपुर - 592
मंदसौर - 513
इंदौर - 491
सागर - 411
वहीं, कुछ जिलों में घोड़ों की संख्या बहुत कम है।
उमरिया और मऊगंज में सिर्फ 10 घोड़े, सिंगरौली में 12, शहडोल में 13 और अनूपपुर में सिर्फ 14 घोड़े मिले।
छतरपुर में खच्चर और सूअर की भरमार
मध्य प्रदेश में कुल 972 खच्चर दर्ज किए गए हैं, और इनमें से सबसे ज्यादा 409 खच्चर छतरपुर में पाए गए हैं। यानी खच्चरों के मामले में छतरपुर पूरे प्रदेश में पहले नंबर पर है।
दूसरी तरफ, 26 जिलों में एक भी खच्चर नहीं मिला, यानी वहां इनका इस्तेमाल न के बराबर है।
इसी तरह सूअर पालने में भी छतरपुर सबसे आगे है। यहां 9,113 सूअर मिले हैं, जो राज्य में सबसे ज्यादा हैं। यह दिखाता है कि इस इलाके के लोग सूअर पालन से अपनी आजीविका चलाते हैं। झाबुआ जिले में सिर्फ 4 सूअर मिले है, जो प्रदेश में सबसे कम हैं।
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गौवंश (Cattle) की संख्या: कहां सबसे ज्यादा
मध्य प्रदेश में गौवंशीय पशु, यानी गाय और बैल, ज्यादातर उन जिलों में पाए जाते हैं जहां खेती बड़ी संख्या में होती है। लोग दूध के लिए भी इन्हें पालते हैं।
इस मामले में धार जिला सबसे आगे है। यहां 6,52,253 गौवंश दर्ज किए गए हैं। इससे साफ होता है कि यहा मवेशी पालन का चलन काफी मजबूत है।
सबसे ज्यादा गौवंश वाले जिले:
धार - 6,52,253
सागर - 5,62,282
खरगोन - 5,01,941
बालाघाट - 4,98,971
बैतूल - 4,95,188
वहीं दूसरी ओर कुछ जिले ऐसे भी हैं जहां गौवंश की संख्या काफी कम है।
उदाहरण के तौर पर, निवाड़ी में सिर्फ 52,657 गौवंश मिले हैं।
भोपाल जैसे बड़े शहर में भी संख्या कम (81,777) है, क्योंकि यहां खेती और पशुपालन की बजाए शहरी जीवन ज्यादा है।
सबसे कम गौवंश वाले जिले:
निवाड़ी - 52,657
दतिया - 77,998
भोपाल - 81,777
पांढुर्णा - 93,701
बुरहानपुर - 1,05,109
भेड़ पालन: शिवपुरी सबसे आगे
पूरे मध्यप्रदेश में सबसे ज्यादा भेड़ें शिवपुरी जिले में मिली हैं। यहां 53,962 भेड़ें दर्ज की गईं। इसके बाद टीकमगढ़ और खरगोन का नंबर आता है। कुछ जिलों में भेड़ें लगभग न के बराबर हैं। अनूपपुर, सिवनी और बालाघाट जिलों में भेड़ों की संख्या सबसे कम मिली है। इसका कारण है कि इन जगहों पर जलवायु और वातावरण भेड़ पालन के लिए उतना अनुकूल नहीं है।
मध्यप्रदेश में पशुगणना का महत्व
मध्यप्रदेश में जो पशुगणना की गई है, उससे मध्यप्रदेश सरकार को पता चल गया है कि किस जिले में कौन-सा जानवर सबसे ज्यादा है। अब इन जानवरों की संख्या के हिसाब से योजनाएं बनाई जाएगी।
जहां पर गाय और भैंस ज्यादा हैं, वहां की अर्थव्यवस्था दूध और खेती पर ज्यादा टिकी हुई है। वहीं दूसरी तरफ गधे, खच्चर और ऊंट जैसे खास जानवर सिर्फ कुछ चुनिंदा जिलों में ज्यादा मिलते हैं। इसका मतलब यह है कि अलग-अलग इलाकों में पशुपालकों का तरीका और जरूरतें भी अलग-अलग हैं। अब सरकार इस डेटा के आधार पर हर जिले के लिए अलग-अलग योजनाएं बनाने की तैयारी कर रही है।
जैसे-
नर्मदापुरम में गधों की संख्या सबसे ज्यादा है, तो वहां इनकी देखभाल, इलाज और चारे की सुविधा बढ़ाई जाएगी।
उज्जैन और छतरपुर जैसे जिलों में घोड़े और खच्चर ज्यादा पाए गए हैं, इसलिए वहां पशु-चिकित्सालय, ट्रेनिंग प्रोग्राम और रहने-देखभाल जैसी सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी।
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