पांच दिन तक भटकती रही फाइल, विधायक निकल गए… हाईकोर्ट का नोटिस थमा ना पाया विधानसभा सचिवालय

मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया। इस दौरान विधायक संजय सत्येंद्र पाठक को हाईकोर्ट का नोटिस नहीं तामील कराया जा सका। विधानसभा सचिवालय ने पांच दिन तक नोटिस भेजने की कोशिश की।

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Ravi Awasthi
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Photograph: (THESOOTR)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुक्रवार को अनिश्चित काल के लिए स्थगित हो गया। पांच दिवसीय सत्र में विजय राघवगढ़,कटनी के बीजेपी विधायक संजय सत्येंद्र पाठक भी शामिल हुए,लेकिन मध्य प्रदेश विधानसभा सचिवालय उन्हें हाईकोर्ट का नोटिस तामील नहीं करा सका। न्यायालय ने यह जिम्मेदारी विधानसभा प्रमुख सचिव को सौंपी थी।

..और हाथ मलता रह गया विस सचिवालय

स़ूत्रों के मुताबिक, न्यायालय के नोटिस को तामील कराए जाने को लेकर विधानसभा सचिवालय शुक्रवार को सक्रिय हुआ। दोपहर बाद करीब साढ़े तीन बजे संचालक सुरक्षा परीक्षित पांडे को इसका जिम्मा सौंपा गया, लेकिन पांडे जब तक पाठक को तलाश्ते वह सदन से जा चुके थे। 

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पांचवे दिन तय हो सकी जिम्मेदारी

बताया जाता है नोटिस तामीली की जवाबदेही तय करने में ही काफी विलंब किया गया। अध्यक्ष व प्रमुख सचिव की अनुमति हासिल करने संबंधित नस्ती चार दिन तक सचिवालय में इधर से उधर घूमती रही।

शुक्रवार को सत्र का अंतिम दिन देख नस्ती को पंख लगे,लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। शाम 4बजकर 1 मिनट पर अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने सत्र अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा की। इस तरह,शीतकालीन सत्र का अवसान हुआ।

इस दौरान,विधानसभा सुरक्षा कर्मियों ने पाठक की खोजबीन भी की,लेकिन इस मामले में उन्हें निराशा ही हाथ लगी। इस पर,संचालक सुरक्षा परीक्षित पांडे ने कहा कि अब क्या बताएं? देखते हैं,नोटिस कैसे तामील हो पाएगा।

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पुलिस असफल रही, इसलिए विधानसभा को चुना

दरअसल, पाठक को नोटिस तामीली कराने में कटनी पुलिस भी असफल रही है। बीते माह प्रकरण की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अब्दुल रज्जाक के वकील ने कोर्ट को बताया था कि विधायक के घर पर नोटिस भेजा गया था,पर उसे तामील (रिसीव) करने वाला कोई नहीं था। इससे पहले 31 अक्टूबर को जारी नोटिस भी तामील नहीं हो सका।

इसके बाद हाईकोर्ट के जस्टिस विवेक अग्रवाल और जस्टिस रामकुमार चौबे की बेंच ने विधानसभा सचिव के जरिए विधायक को नोटिस तामील कराने के निर्देश दिए थे। प्रकरण में अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होनी है। 

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कैदी रज्जाक जेल में,इधर दर्ज होते रहे केस

दरअसल,याचिकाकर्ता रज्जाक एक आपराधिक मामले में साल 2021 से जेल में बंद है,लेकिन इस दौरान उसके खिलाफ अलग—अलग थानों में आपराधिक मामले दर्ज हुए। इस पर संज्ञान लेते हुए न्यायालय ने पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए। अब्दुल रज्जाक की ओर से वरिष्ठ वकील मोहम्मद अली, शारिक अकील फारूकी और अमित रायजादा ने बताया कि विधायक के दबाव में उनके मुवक्किल को लगातार परेशान किया जा रहा है।

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एक केस में जमानत मिलते ही, दूसरे में गिरफ्तारी

वकीलों की ओर से दलील दी गई कि रज्जाक के खिलाफ दर्ज कई मामलों में अभी तक चालान पेश नहीं किया गया। जैसे ही एक मामले में उसे जमानत मिलती है, उसी समय दूसरे केस में उसकी गिरफ्तारी दिखा दी जाती है। यह न्यायिक प्रक्रिया के साथ छलावा है। इसके बाद,कोर्ट के सवाल पर रज्जाक की ओर से पाठक को प्रकरण में पक्षकार बनाया गया। इस पर,कोर्ट ने पाठक के खिलाफ नोटिस जारी किया।

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