आयोजन 14-15 को रवीन्द्र भवन में, जुड़ेंगे देश-विदेश के विशेषज्ञ, The Sootr के ‘Be इंडियन Buy इंडियन’अभियान का होगा शुभारंभ

रवीन्द्र भवन, भोपाल में 14-15 सितंबर को भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान आयोजित होगा, जिसमें भारतीय भाषाओं के विविध पहलुओं पर विचार-विमर्श होगा। सीएम डॉ. मोहन यादव के मार्गदर्शन में इस अनुष्ठान में काव्य गोष्ठी, प्रकाशन लोकार्पण और प्रदर्शनियां भी शामिल होंगी।

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Sanjay Dhiman
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Photograph: (thesootr)

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भारत, एक विविधतापूर्ण देश है, जहां हर राज्य और क्षेत्र की अपनी विशेष भाषा और बोली है। यही भाषाएं न केवल संवाद का माध्यम हैं, बल्कि समाज की सांस्कृतिक पहचान और एकता की नींव भी हैं। इस संदर्भ में 14-15 सितंबर 2025 को रवींद्र भवन भोपाल में भारतीय मातृभाषा अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है।

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री के संस्कृति सलाहकार श्रीराम तिवारी ने कहा कि आयोजन न केवल भारतीय भाषाओं के महत्व को उजागर करेगा, बल्कि राष्ट्र निर्माण में इन भाषाओं की भूमिका को भी स्पष्ट करेगा।

दो दिवसीय आयोजन के मुख्य आकर्षण

इस दो दिवसीय अनुष्ठान में कई विषयों पर विचार-विमर्श होगा, जैसे:

  • हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं का संबंध: खड़ी बोली हिंदी के साथ अवधी, ब्रज, भोजपुरी, मैथिली, बुंदेली, मालवी, छत्तीसगढ़ी, बघेली और अन्य भाषाओं का परस्पर संबंध।

  • भाषा और संचार प्रौद्योगिकी: भाषाओं का तकनीकी विकास और उनकी डिजिटल उपस्थिति।

  • हिंदी साहित्य और तकनीकी विकास: साहित्यिक काव्य गोष्ठियों और प्रकाशन लोकार्पण के माध्यम से साहित्यिक योगदान को समझना।

  • नाटक और सिनेमा की भाषा: किस प्रकार भारतीय भाषाएं नाट्य और सिनेमा के विकास में योगदान दे रही हैं।

  • जनजातीय एवं धूमंतु भाषा-संचार: जनजातीय भाषाओं का संरक्षण और प्रसार।

इस आयोजन के मुख्य वक्ता देश-विदेश से आए भाषाओं के विशेषज्ञ, विद्वान, और लेखक होंगे, जो भारतीय भाषाओं के महत्व और उनके संरक्षण पर गहरी चर्चा करेंगे।

The Sootr अभियान का भी होगा शुभारंभ

आयोजन में गोष्ठियां, प्रकाशन लोकार्पण, प्रदर्शनियों के शुभारंभ के साथ स्वदेशी जागरण अंतर्गत देशहित में The Sootr का अभियान ‘Be इंडियन Buy इंडियन’ ‘हमारी लक्ष्मी, हमारे पास’ का शुभारंभ होगा।  इसके साथ ही विक्रमोत्सव 2025 को लांगस्टैंडिंग आईपी ऑफ द ईयर का अवार्ड ईमैक्स ग्लोबल टीम द्वारा मुख्यमंत्री को दिया जाएगा।

संस्कृति संचालनालय के संचालक एनपी नामदेव ने बताया कि मध्यप्रदेश संस्कृति विभाग द्वारा विज्ञान एवं अन्य क्षेत्रों में हिंदी भाषा के विकास के लिए पांच राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मानों की स्थापना की गई है। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव 15 सितंबर को शाम 5 बजे देश-विदेश के विद्वानों को हिन्दी भाषा सम्मान से सम्मानित करेंगे। 

भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन: एक राष्ट्र की आवश्यकता

वीर भारत न्यास के न्यासी सचिव श्रीराम तिवारी के अनुसार, भारतीय भाषाएं किसी भी राष्ट्र की आत्मा होती हैं। भाषाएं केवल संवाद का माध्यम नहीं हैं, बल्कि ये हमारी संस्कृति, परंपरा और ज्ञान की धरोहर भी हैं।

इन भाषाओं का संरक्षण और संवर्धन हमें अपनी सांस्कृतिक पहचान को बनाए रखने में मदद करता है। उन्होंने यह भी कहा कि आज के समय में यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि हम भारतीय भाषाओं के अध्ययन, शोध और व्यवहार को प्रोत्साहित करें ताकि आने वाली पीढ़ियां अपनी सांस्कृतिक अस्मिता को गर्व से आगे बढ़ा सकें। 

भाषा की शक्ति से जुड़ता है समाज

इस अवसर पर माधवराव सप्रे स्मृति समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान के संस्थापक विजयदत्त श्रीधर ने कहा- आज भारतीय भाषाओं के संरक्षण का काम राष्ट्र निर्माण की नई चुनौती है।

नई पीढ़ी को भाषा और बोली से जोड़े बिना आत्मनिर्भर के बारे में सोचना अधूरा है। भाषा ऐसी शक्ति है जो समाज को जोड़ती है। संस्कार देती है और राष्ट्र को दिशा दिशा देती है। भारत में सौहार्द, सम्मान और सामंजस्य का सूत्र मातृभाषा है। 

पत्रकारिता में भाषा का योगदान महत्वपूर्ण

माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरू विजय मनोहर तिवारी ने कहा- पत्रकारिता में भाषा का योगदान महत्त्वपूर्ण है। भाषा केवल संवाद का साधन नहीं समाज की चेतना, संस्कृति है। पत्रकारिता के माध्यम से जब विचार और तथ्य जनता तक पहुंचते हैं तो उनकी विश्वसनीयता, प्रभावशीलता और सार्थकता भाषा की सटीकता और सहजता पर निर्भर करती है।

राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मान: भारतीय भाषाओं की ओर बढ़ता कदम

इस आयोजन के दूसरे दिन, 15 सितंबर को, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा विज्ञान और अन्य क्षेत्रों में हिंदी के योगदान के लिए स्थापित पांच राष्ट्रीय हिंदी भाषा सम्मानों का वितरण किया जाएगा। यह सम्मान हिंदी भाषा और इसके विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत व्यक्तियों को दिया जाएगा। सम्मान प्राप्त करने वालों में-

  • प्रशांत पोळ (राष्ट्रीय सूचना प्रौद्योगिकी सम्मान)

  • रीता कौशल (राष्ट्रीय निर्मल वर्मा सम्मान)

  • डॉ. इंदिरा गाजिएवा (राष्ट्रीय फादर कामिल बुल्के सम्मान)

  • डॉ. राधेश्याम नापित (राष्ट्रीय गुणाकर मुले सम्मान)

  • डॉ. केसी अजय कुमार (राष्ट्रीय हिंदी सेवा सम्मान)

इन सम्मानों का उद्देश्य हिंदी भाषा के योगदान को सम्मानित करना और इस भाषा को वैश्विक मंच पर एक नई पहचान देना है। 

इन संस्थाओं की सहभागिता से हो रहा आयोजन

यह आयोजन संस्कृति संचालनालय, वीर भारत न्यास, स्वराज संस्थान संचालनालय, द सूत्र मीडिया संस्थान, माधवराव सप्रे समाचारपत्र संग्रहालय एवं शोध संस्थान, दत्तोपंत ठेंगडी शोध संस्थान द्वारा भारत भवन, साहित्य अकादमी, मराठी साहित्य अकादमी, सिन्धी अकादमी, भोजपुरी अकादमी, उर्दू अकादमी, पंजाबी अकादमी, जनजातीय लोक कला एवं बोली विकास अकादमी, निराला सृजनपीठ, माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, एलएनसीटी विश्वविद्यालय, जागरण लेकसिटी विश्वविद्यालय, सेज विश्वविद्यालय, सैम ग्लोबल विश्वविद्यालय, मानसरोवर ग्लोबल विश्वविद्यालय, रबीन्द्रनाथ टैगोर विश्वविद्यालय की सहभागिता में आयोजित किया जा रहा है।

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