सालभर में 520 करोड़ से ज्यादा बोतल शराब गटक जाते हैं एमपी के लोग

मध्य प्रदेश में बीते साल करीब 520 करोड़ से ज्यादा बोतल शराब की खपत हुई थी। ओवर रेट वसूली की अनगिनत शिकायतें सामने आ रही हैं, लेकिन आबकारी विभाग चुप्पी साधे बैठा है। अफसरों को केवल राजस्व की चिंता है।

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Sanjay Sharma
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MP Bhopal consumed more than 520 crore bottles of liquor last year
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BHOPAL. मध्य प्रदेश के लोग सालभर में 520 करोड़ बोतल शराब (Liquor) गटक जाते हैं। जी हां, सही पढ़ा है आपने। ये तो हुई एक बात, लेकिन दूसरी तरफ प्रदेश में शराब ठेकों पर ओवर रेट वसूली बेधड़क जारी है। तीन दिन पहले उपमुख्यमंत्री जगदीश देवड़ा (Deputy CM Jagdish Deora) आबकारी नीति और शराब की बिक्री में पारदर्शिता का दावा कर रहे थे, तब भी ठेकों पर ज्यादा कीमत वसूली की जा रही थी। शराब ठेकेदारों के इशारे पर हर आकार की बोतल पर 10 रुपए से लेकर 20 रुपए या उससे भी ज्यादा कीमत वसूली जा रही है।

प्रदेश में बीते साल करीब 520 करोड़ से ज्यादा बोतल शराब की खपत हुई थी। यानी हर दिन औसतन 1 करोड़ 42 लाख 46 हजार 575 बोतल लोग हर दिन गटक जाते हैं। ऐसे में 20 रुपए प्रति बोतल के औसत से ओवर रेट वसूली की गणना करें तो हर दिन का आंकड़ा 28 करोड़ 49 लाख 31 हजार 500 रुपए तक पहुंच जाता है। ओवर रेट वसूली की अनगिनत शिकायतें सामने आ रही हैं, लेकिन आबकारी विभाग (Excise Department) चुप्पी साधे बैठा है। अफसरों को केवल शराब की बिक्री से विभाग और खुद को मिलने वाले राजस्व की चिंता है।

अंग्रेजी शराब की 13 करोड़ बोतल खपत

प्रदेश में शराब का कारोबार तेजी से बढ़ा है। वित्त वर्ष 2023-24 में मध्य प्रदेश में 250 करोड़ बोतल देशी शराब की बिक्री हुई थी। वहीं सुराप्रेमी अंग्रेजी शराब की 13 करोड़ बोतल गटक गए। इसी वित्त वर्ष में बीयर की खपत का आंकड़ा भी तेजी से उछला है। बीते साल प्रदेश में 257 करोड़ बीयर बोतलों की खपत रिकॉर्ड की गई थी। सीधे शब्दों में कहें तो वित्त वर्ष में प्रदेश में 520 करोड़ से ज्यादा शराब की बोतलें सुरा प्रेमियों ने खाली कर दीं। प्रदेश में ओवर रेट की जो स्थिति है, उसके आधार पर वसूली की गणना करें तो आप चकरा जाएंगे।

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ओवर रेट से ठेकेदारों ने वसूली 10 हजार करोड़

चलिए, आपको प्रदेश में शराब ठेकों पर हो रही ओवररेट वसूली का गणित समझाते हैं। प्रदेश में बीते वित्त वर्ष में देशी, अंग्रेजी शराब के साथ बीयर की खपत देखें तो यह आंकड़ा 520 करोड़ बोतल तक पहुंच जाता है। यह आंकड़ा शराब की वैराइटी और बोतलों के आकार यानी पैकिंग की मात्रा के औसत के आधार पर है। प्रदेश में वैसे तो अलग-अलग जिलों और समूह के शराब ठेकों पर एक ही वैराइटी की बोतल पर ओवर रेट वसूली कम या ज्यादा होती है। यानी किसी जिले की एक दुकान पर यह राशि 10 रुपए है तो दूसरी पर 20 या 30 भी हो सकती है। पूरे प्रदेश में ओवर रेट वसूली की स्थिति के आंकलन के बाद द सूत्र ने एक अनुमानित औसत निकाला है।  

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आबकारी के सालाना राजस्व के बराबर अवैध वसूली

आबकारी विभाग को इस वित्त वर्ष यानी 2023-24 में प्रदेश की कुल 3600 कम्पोजिट शराब दुकानों की नीलामी से 13 हजार 914 करोड़ रुपए का राजस्व मिला है। बीते वित्त वर्ष में इन्हीं ठेकों की नीलामी से  12 हजार 353 करोड़ रुपए का राजस्व विभाग ने जुटाया था। यानी वित्त वर्ष में केवल नीलामी से हासिल राजस्व में ही 1 हजार 561 करोड़ का इजाफा हुआ है। ये तो बात हुई सरकार या आबकारी विभाग को ठेकों की नीलामी से मिलने वाले राजस्व की। अब उस काली कमाई पर भी चर्चा करते हैं जो शराब की ओवर रेट बिक्री के जरिए ठेकेदार कमाते हैं। बीते वित्त वर्ष में किस्म और वैराइटी के आधार पर शराब की 520 बोतलों की खपत हुई थी। अनुमान के अनुसार हर बोतल पर करीब 20 रुपए ओवर रेट वसूली हुई तो काली कमाई का आंकड़ा 10 हजार 400 करोड़ पहुंच जाता है। यानी साल भर में ठेकों की नीलामी से सरकार को 13 हजार 914 करोड़ रुपए का राजस्व मिला वहीं ठेकेदारों ने ओवर रेट वसूली से ही 10 हजार करोड़ से ज्यादा कमा लिए।

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