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Photograph: (The Sootr)
BHOPAL. भाजपा शीर्ष नेतृत्व ने मध्यप्रदेशइकाई की प्रस्तावित नई कार्यकारिणी वाली सूची को खारिज कर दिया है। इसके चलते पार्टी प्रदेश इकाई की नई टीम के गठन का मामला फिलहाल अटक गया है। माना जा रहा है कि अब बिहार चुनाव बाद ही इस पर कोई फैसला होगा।
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने तीन दिन पहले ही प्रस्तावित नई कार्यकारिणी की सूची को अंतिम रूप दिया था। यह सूची जब दिल्ली पहुंची तो इसमें शामिल कुछ नामों पर पार्टी के दिग्गज नेताओं ने ही आपत्ति जताई। विरोध को देखते हुए पार्टी नेतृत्व ने मध्य प्रदेश इकाई की नई टीम के गठन का काम फिलहाल टाल दिया है।
इन नामों को लेकर हुआ विरोध
प्रस्तावित कार्यकारिणी में जिन नामों को लेकर सर्वाधिक विरोध हुआ। उनमें पन्ना से संजय नगाइच, कैलारस विधायक महेंद्र यादव व रायसेन से प्रभुराम चौधरी। पार्टी सूत्रों के अनुसार नगाइच का नाम सामने आते ही पार्टी के पूर्व प्रदेशाध्यक्ष व सांसद वीडी शर्मा ने इसका ​तीखा विरोध किया।
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नगाइच के विरोध में आए वीडी शर्मा
बुंदेलखंड की राजनीति में नगाइच व शर्मा को एक दूसरे का विरोधी माना जाता है। साल 2019 में खजुराहो संसदीय सीट से वीडी शर्मा की उम्मीदवारी का सर्वाधिक विरोध नगाइच ने किया था। नगाइच केंद्रीय सहकारी बैंक पन्ना के अध्यक्ष रहे हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में वह टिकट के दावेदार रहे, लेकिन शर्मा के प्रदेशाध्यक्ष रहते वह चुनाव नहीं लड़ सके।
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सिंधिया को खल गया यादव का नाम
इसी तरह, कैलारस विधायक महेंद्र यादव के नाम पर केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को आप​त्ति रही। यादव कभी सिंधिया के विश्वस्त सहयोगियों में एक रहे हैं। यहां तक के साल 2018 से पूर्व हुए उपचुनाव में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अन्य नेताओं की दावेदारी ठुकराते हुए कांग्रेस से चुनाव लड़ाया था।
सिंधिया जब बीजेपी में आए तो यादव ने भी उनके साथ बीजेपी का दामन थामा,लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव के दौरान से सिंधिया व यादव के सियासी रिश्तों में खटास आना शुरू हुई।
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प्रभुराम चौधरी की एंट्री पर स्थानीय असंतोष
सांची से विधायक डॉ. प्रभुराम चौधरी बीजेपी से तीसरी बार के एमएलए हैं। चौधरी भी कांग्रेस छोड़ बीजेपी में आए हैं। शिवराज सरकार में मंत्री बने लेकिन मौजूदा मंत्रिमंडल में उन्हें जगह नहीं मिली।
इसे ध्यान में रखते हुए ही संभवतया बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल ने उन्हें प्रस्तावित कार्यकारिणी सूची में शामिल किया,लेकिन रायसेन जिले की सियासत में दखल रखने वाले वरिष्ठ नेताओं को यह रास नहीं आया।
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कुछ और भी नामों पर उभरा विरोध
इनके अलावा भी कुछ अन्य नाम हैं,जिन पर शीर्ष नेतृत्व के समक्ष आपत्ति जताई गई। प्रदेश के पार्टी नेताओं के विरोध के चलते ही प्रस्तावित कार्यकारिणी की सूची को हरी झंडी नहीं मिल सकी।
बताया जाता है,कि पार्टी नेतृत्व ने बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल को सूची यह कहते हुए लौटा दी,कि इस पर बाद में विचार करेंगे। इसके बाद,मध्य प्रदेश बीजेपी इकाई की नई टीम का गठन फिलहाल कुछ और दिनों के लिए टल गया है।
मूल और आयतित के विवाद से नहीं उबरी पार्टी
बीजेपी प्रदेशाध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल अपने कार्यकाल के सौ दिन पूरे कर चुके हैं। अपनी नई टीम बनाने को लेकर तीन दिन पहले ही मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव,संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा के साथ गहन मंथन किया। इसके बाद सूची तैयार कर वह दिल्ली पहुंचे।
यहां शीर्ष नेतृत्व को उन्होंने प्रस्तावित कार्यकारिणी की सूची सौंपी। बताया जाता है कि खंडेलवाल ने प्रस्तावित कार्यकारिणी में जातिगत व क्षेत्रीय समीकरण साधने का पूरा जतन किया,लेकिन मूल और आयतित भाजपाई का विवाद उनकी कवायद पर भारी पड़ा।