अंदर से बाहर तक बदलाव की लहर, भाजपा में बड़े फेरबदल की पटकथा तैयार

बिहार विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा में फेरबदल की तैयारी है। पार्टी नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनेगी। संगठन और केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी बदलाव होगा। इस पुनर्गठन से मध्यप्रदेश के नेताओं का कद बढ़ सकता है। इससे प्रदेश भाजपा में हलचल बढ़ गई है।

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Ramanand Tiwari
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BHOPAL. बिहार विधानसभा चुनाव के बाद भाजपा में बड़े पैमाने पर फेरबदल की तैयारी शुरू हो गई है। पार्टी न केवल नया राष्ट्रीय अध्यक्ष चुनने जा रही है, बल्कि संगठन और केंद्रीय मंत्रिमंडल में भी बदलाव तय माना जा रहा है। इस पुनर्गठन से मध्यप्रदेश के नेताओं का कद बढ़ने की पूरी संभावना है, जिससे प्रदेश भाजपा में हलचल बढ़ गई है।

आरएसएस-भाजपा में बदलाव पर सहमति

उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के साथ ही आरएसएस और भाजपा के शीर्ष नेतृत्व के बीच संगठन में व्यापक बदलाव को लेकर सहमति बन चुकी है। सूत्र बताते हैं कि सात संगठन मंत्रियों की पहचान की गई है, जिन्हें नए राज्यों में जिम्मेदारी दी जाएगी। वहीं, भाजपा के केंद्रीय संगठन में भी कई नेताओं के दायित्व बदले जाएंगे। यदि मंत्रिमंडल विस्तार हुआ, तो नए चेहरे शामिल किए जा सकते हैं और कुछ मौजूदा मंत्रियों की छुट्टी भी संभव है।

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मप्र के नेताओं में बढ़ी सक्रियता

भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा के उत्तराधिकारी को लेकर चर्चाएं तेज हैं। इस रेस में मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री और मौजूदा केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान का नाम सबसे आगे बताया जा रहा है। नए अध्यक्ष की नियुक्ति के बाद राष्ट्रीय संगठन में भी फेरबदल होगा। साथ ही मोदी-3 सरकार के पहले मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता। 

ऐसे में मप्र के कई नेताओं की किस्मत बदल सकती है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा भी इस फेरबदल में अपनी भूमिका को लेकर उत्साहित हैं। वहीं, कुछ नेता चिंतित हैं जो प्रदेश की राजनीति में ही टिके रहना चाहते हैं।

बीते कुछ वर्षों में केंद्रीय संगठन में मप्र के नेताओं का प्रभाव बढ़ा है। कैलाश विजयवर्गीय और प्रह्लाद पटेल जैसे नेताओं ने अपनी कार्यशैली से राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाई है। अब कई अन्य नेता भी संगठन में अपनी जगह बनाने के लिए सक्रिय हो गए हैं।

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मध्यप्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की चर्चा

भाजपा सूत्रों के मुताबिक, राष्ट्रीय संगठन में बदलाव के साथ ही मप्र मंत्रिमंडल में भी विस्तार की संभावना है। गुजरात और छत्तीसगढ़ में हालिया बदलावों के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या मप्र में भी वही फॉर्मूला लागू होगा? अंदरखाने चर्चा है कि संभावित विस्तार से कुछ मंत्रियों की चिंता बढ़ गई है। 

कुछ को अपने विभाग बदलने की आशंका है, जबकि कुछ अपनी कुर्सी बचाने में जुटे हैं। वहीं, कई नेता मंत्रिमंडल में जगह पाने की कोशिशें तेज कर चुके हैं। खबर तो यह भी है कि एक वरिष्ठ नेता ने स्वेच्छा से पद छोड़ने की इच्छा जताई है।

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संघ-भाजपा मिलकर मजबूत करेंगे संवाद

भाजपा के संगठन मंत्री आरएसएस के पूर्णकालिक प्रचारक होते हैं, जिन्हें स्वयंसेवक और भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच पुल के रूप में देखा जाता है। बीते वर्षों में भाजपा के तेजी से विस्तार और बाहरी नेताओं के आने के कारण संगठन और संघ के बीच संवाद कमजोर होने की आशंका जताई जाती रही है।

 यह भी माना गया कि लोकसभा चुनाव में अपेक्षित सीटें न मिलने के पीछे यह एक प्रमुख कारण था। अब आरएसएस और भाजपा दोनों इस कमजोरी को दूर करने में जुट गए हैं। इसके तहत संघ नए संगठन मंत्रियों को भाजपा में भेजने पर सहमत हो गया है, ताकि संगठनात्मक तालमेल और मजबूती सुनिश्चित की जा सके।

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राष्ट्रीय राजनीति की दिशा ओगी होगी तय 

भाजपा में आगामी संगठनात्मक और मंत्रिमंडलीय फेरबदल न केवल राष्ट्रीय राजनीति की दिशा तय करेगा, बल्कि मध्यप्रदेश के कई वरिष्ठ नेताओं के राजनीतिक भविष्य का भी फैसला करेगा। अब सबकी निगाहें इस पर टिकी हैं कि नया समीकरण किसके पक्ष में जाता है।

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