मध्यप्रदेश में सत्ता और संगठन मंत्रियों-नेताओं के ओवर रिएक्ट व बड़बोले बयानों से नाराज

मध्यप्रदेश में भाजपा अपने मंत्रियों और नेताओं के विवादित बयानों से नाराज है। हाल ही में हुई बैठक में सार्वजनिक बयानों पर संयम रखने पर जोर दिया गया।

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Sourabh Bhatnagar
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मध्यप्रदेश में भारतीय जनता पार्टी अपने ही मंत्रियों और नेताओं के बयानों से नाराज है। पार्टी नेतृत्व का मानना है कि बार-बार होने वाले ओवर रिएक्ट और बड़बोले बयान सत्ता-संगठन की छवि को नुकसान पहुंचा रहे हैं। इसी मुद्दे पर हाल ही में सीएम हाउस में अहम बैठक हुई, जिसमें नेताओं को साफ संदेश दिया गया कि बोलने में संयम जरूरी है। विवाद से दूरी रखनी होगी।

इस बैठक के बाद मीडिया में यह चर्चा तेज हो गई कि मोहन यादव मंत्रिमंडल में जल्द बदलाव हो सकता है। हालांकि पार्टी के शीर्ष सूत्रों ने ऐसी खबरों को गलत बताया है। फिलहाल मंत्रिमंडल में कोई फेरबदल नहीं हो रहा। मौजूदा टीम ही सरकार का कामकाज संभालेगी।

हिदायत का असर नहीं

दरअसल, साल 2025 मध्यप्रदेश की राजनीति में मंत्रियों और नेताओं के विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहा है। सबसे बड़ा मामला कैबिनेट मंत्री विजय शाह के बयान से जुड़ा, जब उन्होंने पहलगाम हमले के बाद भारतीय सेना की कर्नल सोफिया कुरैशी को लेकर विवादित टिप्पणी की। इस बयान के बाद देशभर में बीजेपी की आलोचना हुई। पार्टी ने तभी अपने नेताओं को संयम बरतने की हिदायत दी थी, लेकिन इसके बाद भी विवाद थमते नजर नहीं आए।

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शाह के बयान से किरकिरी

हाल ही में मंत्री विजय शाह का एक और बयान चर्चा में आया, जिसमें उन्होंने कहा कि जो लाड़ली बहनें मुख्यमंत्री का सम्मान नहीं करेंगी, उनकी जांच कराई जाएगी। ऐसे ही बयानों को लेकर संगठन के भीतर नाराजगी बढ़ी है। पार्टी का मानना है कि इस तरह की बातें विपक्ष को मुद्दा देती हैं और सरकार की योजनाओं पर पानी फेरती हैं।

इन नेताओं ने किया मंथन

सीएम हाउस में हुई बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के साथ बीजेपी के राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, क्षेत्रीय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष हेमंत खंडेलवाल और प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा मौजूद रहे। बैठक में सबसे ज्यादा जोर मंत्रियों और नेताओं के सार्वजनिक बयानों पर कंट्रोल को लेकर रहा। संगठन ने साफ कहा कि अब हर स्तर पर अनुशासन दिखना चाहिए।

निगम-मंडलों में होगी नियुक्ति

इस बैठक के बाद यह भी कहा जाने लगा कि कुछ विवादित और कमजोर प्रदर्शन करने वाले मंत्रियों की कुर्सी खतरे में है। आधा दर्जन मंत्रियों से इस्तीफा लिया जा सकता है।

हालांकि पार्टी के एक शीर्ष नेता ने साफ किया कि ऐसी कोई योजना अभी नहीं है। उन्होंने माना कि भविष्य में बदलाव की संभावना से इनकार नहीं किया जा सकता, लेकिन फिलहाल मंत्रिमंडल में कोई परिवर्तन नहीं होगा।

हां, एक अहम संकेत जरूर दिया गया है। निगम-मंडलों में लंबे समय से खाली पड़े पदों पर राजनीतिक नियुक्तियां (निगम-मंडलों की नियुक्ति) जल्द की जाएंगी। पार्टी के भीतर आम सहमति से नाम तय कर लिए गए हैं। पहले चरण में 10 से 12 नामों की घोषणा हो सकती है। यानी मंत्रिमंडल यथावत रहेगा, लेकिन संगठनात्मक संतुलन साधने के लिए निगम-मंडलों में नियुक्तियों का रास्ता साफ हो गया है।

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