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Gwalior. ग्वालियर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के प्रस्तावित कार्यक्रम से पहले भाजपा की अंदरूनी राजनीति गरमा गई है। जिले के प्रभारी मंत्री तुलसीराम सिलावट की बैठक अब संगठनात्मक निर्देश से ज्यादा प्रलोभन की पेशकश के तौर पर देखी जा रही है। सवाल उठ रहे हैं कि क्या समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं को भी अब कांग्रेस-स्टाइल वायदों से साधा जा रहा है?
200-200 लोगों का टारगेट, व्यवस्था की पूरी गारंटी
भाजपा पार्षद दल की बैठक में प्रभारी मंत्री ने साफ निर्देश दिया कि हर पार्षद को 200-200 लोगों के साथ कार्यक्रम में पहुंचना होगा। उन्होंने यह भी कहा कि वाहनों की चिंता न करें, सारी व्यवस्था मंत्री स्तर पर कराई जाएगी। यह बयान संगठनात्मक जिम्मेदारी से ज्यादा भीड़ जुटाने का सौदा नजर आया।
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काम के नाम पर दो-दो करोड़ का वादा
बैठक में सबसे ज्यादा चर्चा उस वक्त हुई, जब प्रभारी मंत्री ने पार्षदों से कहा कि उनके दो-दो करोड़ रुपए के काम कराए जाएंगे। इसके लिए प्रस्ताव तैयार रखने के निर्देश भी दिए गए। मंत्री ने यह भी जोड़ा कि पार्षदों का कार्यकाल अब सिर्फ डेढ़ साल का रह गया है, इसलिए काम जल्द निपटाए जाएंगे।
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वित्तीय वर्ष पर सवाल, जवाब में सिर्फ मुस्कान
जब पार्षदों ने सवाल किया कि ये करोड़ों के काम किस वित्तीय वर्ष में होंगे, तो प्रभारी मंत्री ने स्पष्ट जवाब देने के बजाय मुस्कुराने लगे। उन्होंने कहा कि कार्यकाल खत्म होने से पहले सब काम हो जाएंगे। इस जवाब ने आश्वासन से ज्यादा अनिश्चितता पैदा कर दी।
इंदौर यात्रा और सीएम से मुलाकात का वादा
प्रभारी मंत्री यहीं नहीं रुके। उन्होंने कार्यक्रम के सफल आयोजन के बाद पार्षदों को इंदौर ले जाने, घुमाने और मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव से मुलाकात कराने का भी वादा किया। संगठन के भीतर इसे इनाम की राजनीति के तौर पर देखा जा रहा है।
समर्पित कार्यकर्ता या वोट बैंक?
भाजपा के भीतर ही यह सवाल गूंजने लगा है कि क्या पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को भी अब प्रलोभन देकर साधा जाएगा? कांग्रेस पर हमेशा आरोप लगाने वाली भाजपा के लिए यह स्थिति असहज करने वाली मानी जा रही है।
अटल जयंती की आड़ में राजनीतिक मैसेज?
बैठक की शुरुआत में प्रभारी मंत्री ने अटल बिहारी वाजपेयी को राष्ट्र का गौरव और ग्वालियर का सपूत बताते हुए कार्यक्रम को ऐतिहासिक बनाने की बात कही। लेकिन इसके बाद जो वादे और घोषणाएं सामने आईं, उन्होंने आयोजन की पवित्रता पर ही सवाल खड़े कर दिए।
प्रभारी मंत्री पर ही उठे सवाल
अब यह पूरा मामला प्रभारी मंत्री तुलसी सिलावट के लिए राजनीतिक आफत बनता नजर आ रहा है। भीड़ जुटाने के नाम पर काम, यात्रा और मुलाकात के वादे भाजपा की छवि को नुकसान पहुंचा सकते हैं। सवाल साफ है- क्या संगठन अब विचार से चलेगा या फिर प्रलोभन से?
खबर के संबंध में प्रभारी मंत्री एवं ग्वालियर विधायक तुलसी सिलावट से मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया। कॉल करने पर फोन रिसीव नहीं हुआ और रिकॉर्डेड मैसेज प्राप्त हुआ। समाचार के लिए उनका पक्ष लेने के उद्देश्य से कॉल छोड़ा गया, लेकिन बाद में उनकी ओर से कोई कॉल वापस नहीं आया।
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