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मध्य प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब 10वीं और 12वीं की बोर्ड परीक्षा में छात्रों को पहले से ज्यादा कठिनाई का सामना करना पड़ेगा। शिक्षा मंत्रालय ने हाल ही में घोषणा की कि 2026 से परीक्षा पैटर्न में बदलाव होगा। और सवालों का स्तर बढ़ाया जाएगा। यह बदलाव सीबीएसई जैसी अन्य राज्य बोर्डों के समान होगा।
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत सुधार
राष्ट्रीय शिक्षा नीति के तहत, सभी राज्यों में समान शिक्षा और परीक्षा स्तर सुनिश्चित करने के लिए यह कदम उठाया जा रहा है। हाल ही में एनसीईआरटी द्वारा किए गए सर्वेक्षण में पाया गया कि राज्य की बोर्ड परीक्षा अन्य राज्यों के मुकाबले आसान थी। इससे राज्य के स्टूडेंट को अन्य राज्यों के विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में प्रवेश में कठिनाई होती थी। इस मुद्दे को सुलझाने के लिए बोर्ड ने निर्णय लिया है कि परीक्षा पैटर्न को बदलकर कठिनाई स्तर बढ़ाया जाए।
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नए पैटर्न के तहत परीक्षा कैसे होगी?
अब तक, छात्रों को परीक्षा में रटने वाले सवालों का सामना करना पड़ता था, लेकिन अब सवालों का स्तर बदल जाएगा। 2026 से, 10वीं और 12वीं की परीक्षा में 20 प्रतिशत सवाल ऐसे होंगे, जिनका उत्तर रटने से नहीं, बल्कि सोचने, समझने और रचनात्मकता के आधार पर दिया जाएगा। इन सवालों को हल करने के लिए स्टूडेंट को अपने ज्ञान और समझ का सही तरीके से उपयोग करना होगा।
सोचने की क्षमता के इस्तेमाल पर जोर
अब तक स्टूडेंट से रटकर परिभाषाएं पूछी जाती थीं, लेकिन नए पैटर्न में उन परिभाषाओं के अनुप्रयोग पर जोर दिया जाएगा। उदाहरण के लिए, यदि एक किलोमीटर पैदल जाने में 10 मिनट का समय लगता है, तो स्टूडेंट से यह पूछा जाएगा कि एक घंटे में कितनी दूरी तय की जा सकती है। इसके लिए छात्रों को परिभाषा के अलावा गणना और सोचने की क्षमता का उपयोग करना होगा।
टीचर्स की ट्रेनिंग
प्रश्नपत्रों की गुणवत्ता को सुधारने के लिए माशिम (मध्य प्रदेश माध्यमिक शिक्षा मंडल) ने शिक्षकों के समूह को प्रशिक्षित करना शुरू किया है। फिलहाल, विज्ञान विषय के शिक्षकों का प्रशिक्षण चल रहा है। प्रश्नपत्र तैयार करने, चयन और प्रिंटिंग की प्रक्रिया दिसंबर तक पूरी हो जाएगी। इसके बाद, 10वीं और 12वीं की परीक्षा 7 फरवरी 2026 से शुरू होगी।
परीक्षा के फॉर्मेट में बदलाव
नई परीक्षा प्रणाली के तहत, 100 में से 20 प्रतिशत सवाल कठिन होंगे, 40 प्रतिशत सामान्य होंगे, और 40 प्रतिशत आसान। यह बदलाव छात्रों के सोचने की क्षमता और समझ को बढ़ावा देगा, ताकि वे परीक्षा में रटने के बजाय ज्ञान का सही उपयोग कर सकें।
रटने की बजाय सोचने की क्षमता पर जोर
मास्टर ट्रेनर पवन द्विवेदी का कहना है कि अब स्टूडेंट की रटने की आदत को कम किया जाएगा और उन्हें सोचने की क्षमता को बढ़ावा दिया जाएगा। इससे स्टूडेंट को न केवल परीक्षा में बेहतर प्रदर्शन करने का मौका मिलेगा, बल्कि उनका समग्र विकास भी होगा।
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