कैडर संशोधन के आदेश की गुत्थी में फंसे आउटसोर्स कर्मचारी संगठन

मध्य प्रदेश सरकार के अस्थायी, संविदा और आउटसोर्स कर्मचारियों के कैडर खत्म करने के आदेश के बाद विरोध बढ़ा। वित्त विभाग ने स्थिति स्पष्ट करने नया आदेश जारी किया।

author-image
Sanjay Sharma
New Update
employee protests

Photograph: (thesootr)

Listen to this article
0.75x1x1.5x
00:00/ 00:00

BHOPAL. अस्थायी, संविदा और आउटसोर्स कैडर खत्म करने के आदेश के बाद प्रदेश भर में सरकार की भारी किरकिरी हो रही है। दस लाख से ज्यादा संविदा कर्मचारी, अस्थायी और आउटसोर्सकर्मी कर्मचारी कैडर खत्म करने और छंटनी के सरकारी निर्णय का विरोध पर उतर आए हैं। 

कर्मचारी संगठनों के विरोध को देखते हुए वित्त विभाग ने नया आदेश जारी किया है। हालांकि, यह आदेश कुछ दिन पहले जारी किया गया था लेकिन सामने अब आया है। पुराने आदेश में जहां कर्मचारी कैडर खत्म करते हुए कर्मचारियों की छंटनी का सीधा उल्लेख किया गया था।

वहीं नए आदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के संबंध में कुछ भी नहीं लिखा गया है। यानी सरकार कर्मचारियों के विरोध को टालने के प्रयासों में जुट गई है। वहीं आउटसोर्स कर्मचारी नए और पुराने आदेश को सरकार का दोहरा रवैया बता रहे हैं। 

सरकारी आदेशों पर बढ़ी नाराजगी

मध्य प्रदेश सरकार ने पिछले महीने ही कर्मचारी कैडरों की व्यवस्था को एकरूप करने का हवाला देकर बड़ा संशोधन किया है। इसमें अब कर्मचारी तीन कैडर में ही नियुक्त होंगे।

वहीं अब प्रदेश में अस्थायी, संविदा और आउटसोर्स जैसे श्रेणियां पूरी तरह खत्म कर दी गई हैं। इसको लेकर सरकार द्वारा जो आदेश जारी किया गया था उसका अस्थायी, संविदा और आउटसोर्स पदों पर काम करने वाले लाखों कर्मचारी विरोध कर रहे हैं।

कर्मचारी संगठन इसे कैडर संशोधन के नाम पर अस्थायी कर्मचारियों को बेरोजगार करने की साजिश भी बता रहे हैं। वहीं आउटसोर्स और संविदा कर्मचारियों के संगठन ने तो 5 जनवरी को भोपाल में विकास भवन के सामने धरना प्रदर्शन की चेतावनी भी दे दी है। 

ये खबर भी पढ़ें...

ED ने जबलपुर RTO संतोष पाल की 3.38 करोड़ की संपत्ति कुर्क की

स्थिति स्पष्ट करने आया नया आदेश

प्रदेश में सरकार के निर्णय को लेकर कर्मचारी जगत में बढ़ती नाराजगी की खबरों के बाद वित्त विभाग ने स्थिति संभालने के प्रयास शुरू कर दिए हैं। हाल ही में विभाग ने नया आदेश जारी किया है। इस आदेश में कर्मचारी कैडर को लेकर स्थिति को स्पष्ट करने का प्रयास किया गया है।

वित्त विभाग के इस आदेश में चार बिंदु हैं। पहले बिंदु में कहा गया है कि सरकार ने कर्मचारियों के पदों में जो अंतर थे उन्हें खत्म किया है। यानी स्वीकृत स्थायी और अस्थायी पद अब समान होंगे। हाल ही में स्वीकृत अस्थायी पदों को अब स्थायी पद में परिवर्तित माना जाएगा। इसके लिए भर्ती नियमों में जरूरी प्रावधान किए जा रहे हैं। वहीं राज्य कैडर के पदों पर अध्यापक संवर्ग जैसे कर्मचारी भी शामिल होंगे। 

ये खबर भी पढ़ें...

जीतू पटवारी बोले- महापौर, निगमायुक्त मौतों के जिम्मेदार, कांग्रेस कराएगी FIR

स्थानीय स्तर पर अब नहीं होगी भर्ती

वित्त विभाग के आदेश में दूसरा बिंदु कार्यभारित एवं आकस्मिकता स्थापना के पदों के संबंध में है। यानी अब जरूरत की स्थित में पहले की तरह विभाग या निकाय अपने स्तर पर कर्मचारी नहीं रख पाएंगे। ऐसे सभी पद पूरी तरह खत्म कर दिए गए हैं। इन पर अधिकारी अपने स्तर पर नियुक्ति नहीं कर पाएंगे।

2003 में तत्कालीन कांग्रेस सरकार द्वारा करीब 28000 दैनिक वेतनभागी जैसे अस्थायी कर्मचारियों को बाहर करने का फैसला लिया था। ये वे कर्मचारी थे जो नगरीय निकाय, वन विभाग या दूसरे विभागों में दैनिक वेतन पर काम करते थे और उनके लिए पद स्थानीय स्तर पर स्वीकृत किए गए थे। बीजेपी सरकार ने कांग्रेस सरकार के आदेश को अनदेखा कर दिया था, इस वजह से ये कर्मचारी अपने काम पर बने रहे। 

ये खबर भी पढ़ें...

अफसरों की पदोन्नति: 2006 बैच की वरिष्ठता पर HC में नई सुनवाई तय

सीएम से पुर्नविचार करने की मांग

दैनिक वेतनभोगी श्रेणी के कर्मचारियों के लिए बीजेपी सरकार द्वारा अस्थायी कैडर के रूप में नया कैडर बनाया गया था। तब से इस श्रेणी के कर्मचारी अस्थायी के रूप् में काम करते आ रहे हैं। इन्हें सरकार से वेतन के अलावा अन्य सुविधाएं तो मिलती हैं, लेकिन वे नियमित श्रेणी में नहीं गिने जाते। ऐसे सभी पदों को भी अब सरकार ने बाहर करने की तैयारी की है। इसके लिए ऐसे सभी पदों को खत्म किया गया है।

ऑल डिपार्टमेंट आउटसोर्स कर्मचारी संघ के प्रदेश महामंत्री आशीष सिंह सिसौदिया का कहना है कि सरकार को स्थिति स्पष्ट करनी चाहिए। आउटसोर्सकर्मियों को अब कंपनियों के हाथ में सौंपने के निर्णय पर मुख्यमंत्री को भी संवेदनशीलता के साथ विचार करने की जरूरत है।

ये खबर भी पढ़ें...

भोपाल में 1.16 लाख वोटर्स नो मैपिंग कैटेगरी में, 5 जनवरी से होगी जांच

नया आदेश प्रशासनिक शब्दों का जाल

अब वित्त विभाग के नए और पुराने आदेश में अंतर की बात करते हैं। दरअसल पुराने आदेश में सरकार की ओर से सीधे सीधे तौर पर अस्थायी, संविदा और आउटसोर्स कर्मियों को बाहर करने की बात कही गई थी। जबकि नए आदेश का आशय पुराना ही है बस इसे प्रशासनिक शब्दों में संतुलित किया गया है। प्रदेश में सबसे ज्यादा 10 लाख से अधिक संख्या आउटसोर्सकर्मियों की है। इस वजह से उनका विरोध भी बड़े स्तर पर सामने आ सकता है। 

आंदोलन की तैयारी में आउटसोर्सकर्मी

आउटसोर्सकर्मी संघ के प्रदेश अध्यक्ष वासुदेव शर्मा के अनुसार आउटसोर्सकर्मियों के विरोध को ठंडा करने के लिए वित्त विभाग ने नया आदेश जारी किया है। इसमें आउटसोर्स का कोई उल्लेख नहीं किया गया है। इससे प्रदेश में काम कर रहे इस श्रेणी के कर्मियों में भ्रम फैलाने की तैयारी है। हांलाकि कर्मचारी संगठन इस आदेश के बाद भोपाल में बड़े आंदोलन की रूपरेखा बना चुके हैं। वहीं जिला स्तर पर भी विरोध प्रदर्शन किए जा रहे हैं।

वित्त विभाग संविदा कर्मचारी सरकारी आदेश आउटसोर्स कर्मचारी दैनिक वेतनभोगी कैडर संशोधन
Advertisment