अफसरों की पदोन्नति: 2006 बैच की वरिष्ठता पर HC में नई सुनवाई तय

एमपी प्रशासनिक अफसरों की पदोन्नति को लेकर हाई कोर्ट में फिर से सुनवाई होगी। 2006 बैच की वरिष्ठता पर विवाद बढ़ गया है। कोर्ट ने फैसले को रिव्यू किया है।

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Ramanand Tiwari
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Promotion of officers in MP

Photograph: (the sootr)

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BHOPAL. मध्य प्रदेश के राज्य प्रशासनिक सेवा अधिकारियों की पदोन्नति एक बार फिर अधर में लटक गई है। एमपी लोक सेवा आयोग (PSC) के वर्ष 2006 बैच के डिप्टी कलेक्टरों की वरिष्ठता को लेकर चल रहे विवाद में हाई कोर्ट ने अहम फैसला दिया है। कोर्ट ने अपने पहले आदेश को रिव्यू याचिकाओं पर सुनवाई के बाद वापस ले लिया है। अब इस पूरे मामले की दोबारा सुनवाई होगी।

2006 बैच का विवाद कैसे शुरू हुआ?

एडीएम शालिनी श्रीवास्तव, भरतभूषण गांगले सहित वर्ष 2006 में पीएससी से चयनित कई अधिकारियों ने वर्ष 2019 में हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। इन अधिकारियों का तर्क था कि वरिष्ठता ज्वॉइनिंग की तारीख से तय होनी चाहिए। जबकि राज्य सरकार विभागीय परीक्षा पास न होने के आधार पर वरिष्ठता वर्ष 2010 से मान रही थी।

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2024 का फैसला और बढ़ता विवाद

लगभग पांच साल तक चली सुनवाई के बाद हाई कोर्ट ने वर्ष 2024 में फैसला सुनाया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को निर्देश दिए थे कि 2006 बैच की वरिष्ठता एमपी सिविल सेवा (सामान्य सेवा शर्तें) नियम, 1961 के तहत तय की जाए। इस आदेश से कई अन्य अधिकारियों की वरिष्ठता प्रभावित होने लगी। .                                     

प्रभावित अफसरों ने दायर की रिव्यू याचिका

जिन अधिकारियों की वरिष्ठता पर असर पड़ रहा था, उन्होंने इस फैसले के खिलाफ रिव्यू याचिकाएं दाखिल कीं। याचिकाकर्ताओं का कहना था कि उन्हें इस मामले में पक्षकार ही नहीं बनाया गया,बिना सुने वरिष्ठता तय करना न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ है।

एक साल चली सुनवाई के बाद आया नया आदेश

रिव्यू याचिकाओं पर एक साल से ज्यादा समय तक सुनवाई चली। सभी पक्षों की दलीलें सुनने के बाद हाई कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था, जो अब जारी कर दिया गया है।

हाई कोर्ट की सख्त टिप्पणी

कोर्ट ने अपने फैसले में स्पष्ट कहा कि-वरिष्ठता एक नागरिक अधिकार है, प्रभावित पक्षों को सुने बिना कोई फैसला नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने माना कि पहले दिए गए आदेश में आवश्यक पक्षकारों की अनुपस्थिति थी, जो एक स्पष्ट कानूनी त्रुटि है।

सभी रिव्यू याचिकाएं स्वीकार

हाई कोर्ट ने इस आधार पर सभी रिव्यू याचिकाओं को स्वीकार कर लिया और अपने पहले आदेश को वापस ले लिया है।

अब होगी पूरे मामले की नई सुनवाई

कोर्ट ने वर्ष 2019 में दायर वे सभी याचिकाएं, जिन्हें पहले समाप्त कर दिया गया था, दोबारा बहाल कर दिया है। स्पष्ट किया गया है कि मामले की अब पूरी और विस्तृत सुनवाई होगी।

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30 से ज्यादा अधिकारियों पर पड़ेगा असर

इस फैसले का असर केवल वरिष्ठता तक सीमित नहीं रहेगा। 30 से अधिक अधिकारी, जो भविष्य में आईएएस अवॉर्ड की दौड़ में हैं, उनकी संभावनाएं भी इस निर्णय से प्रभावित होंगी।

2006 बैच की वरिष्ठता पर नया मोड़ आने से मध्य प्रदेश प्रशासनिक सेवा में पदोन्नति और कैडर संतुलन फिर से सवालों में आ गया है। अब सभी की निगाहें हाई कोर्ट की दोबारा होने वाली सुनवाई पर टिकी हैं, जो तय करेगी कि अधिकारियों का भविष्य किस दिशा में जाएगा।

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