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तीन प्वाइंट में समझें पूरा मामला
2025 में मध्य प्रदेश में 55 बाघों की मौत हुई, जो प्रोजेक्ट टाइगर के बाद का सबसे बड़ा आंकड़ा है।
अस्वाभाविक कारणों से हुई इन मौतों में शिकार और करंट से मौतें प्रमुख वजह हैं।
विद्युत बाड़े, शिकार और सड़क दुर्घटनाओं जैसे खतरे बाघों की सुरक्षा के लिए गंभीर समस्या बने हुए हैं।
BHOPAL. 2025 का साल बाघों के लिए काल का साल ही रहा। इस साल मध्य प्रदेश में बाघों की मौत का आंकड़ा 55 तक पहुंच चुका है। यह आंकड़ा 1973 में शुरू हुए प्रोजेक्ट टाइगर के बाद का सबसे दुर्भाग्यजनक रिकॉर्ड है। बाघों की अस्वाभाविक मौतों की मुख्य वजहें साफ हैं - शिकार और विद्युत झटके। इन हादसों ने वन विभाग की बाघ बचाओ योजनाओं को सवालों के घेरे में खड़ा कर दिया है।
बिजली के झटके बने बाघों के लिए सबसे घातक खतरा
ताजा मामला सागर जिले का है। इसी 28 दिसंबर को यहां की धना रेंज में करीब 8 साल के नर बाघ की मौत ने पूरे प्रदेश को झकझोर दिया। शरीर पर कोई बाहरी चोट के निशान नहीं मिले, लेकिन जांच से पता चला कि बाघ का शव पास ही के बिजली के यंत्र के पास पाया गया।
अब तक 55 बाघों की मौत: क्या यह पर्याप्त चेतावनी नहीं है?
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के आंकड़े बताते हैं कि मध्य प्रदेश में 2025 में अब तक 55 बाघों की मौत हो चुकी है। इनमें से 57% मौतें अस्वाभाविक कारणों से हुई हैं। यानी या तो इन बाघों का शिकार हुआ या फिर किसी न किसी तरह के हादसों का शिकार हुए। बता दें कि शिकार से 8 मौतें और फसल सुरक्षा के लिए लगाए गए विद्युत जाल से 6 से अधिक बाघों की मौत हो चुकी है।
यह स्पष्ट है कि बाघों की मौतों का सिलसिला रुकने का नाम नहीं ले रहा है, चाहे वह विद्युत झटका हो, सड़क या रेल दुर्घटनाएं हों या फिर शिकार की घटनाएं। क्या यह मूकदर्शक वन विभाग की असफलता का प्रतीक नहीं है? सवाल ये है कि क्या वन विभाग तब जागेगा, जब सारे बाघ खत्म हो जाएंगे?
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| Tiger mortality for the year 2025 | ||
| State | Count | Percent |
| Madhya Pradesh | 55 | 33.1% |
| Maharashtra | 38 | 22.9% |
| Karnataka | 14 | 8.4% |
| Kerala | 13 | 7.8% |
| Assam | 12 | 7.2% |
| Tamil Nadu | 9 | 5.4% |
| Uttarakhand | 7 | 4.2% |
| Uttar Pradesh | 4 | 2.4% |
| Tamilnadu | 3 | 1.8% |
| Andhra Pradesh | 2 | 1.2% |
| Chhattisgarh | 2 | 1.2% |
| Odisha | 2 | 1.2% |
| Rajasthan | 2 | 1.2% |
| Karnatatka | 1 | 0.6% |
| Telangana | 1 | 0.6% |
| West Bengal | 1 | 0.6% |
बाघों की बढ़ती संख्या के साथ मौतों के आंकड़े भी चढ़े
राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (NTCA) के आंकड़ों से पता चलता है कि मध्य प्रदेश में बाघ संरक्षण और पुनर्स्थापन परियोजनाओं से सकारात्मक परिणाम मिले हैं, जिससे बाघों की संख्या तेजी से बढ़ी। देश में सबसे अधिक बाघ इसी राज्य में हैं, इसलिए इसे 'टाइगर स्टेट' का दर्जा प्राप्त है। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, बाघों की संख्या बढ़ने के साथ उनकी मौतों के आंकड़े भी लगातार बढ़ते जा रहे हैं।
किस साल कितने बाघों की मौत
साल 2021 - 34
साल 2022 - 43
साल 2023 - 45
साल 2024 - 46
साल 2025 - 55
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क्या राज्य वन विभाग और वन अधिकारियों की नींद टूटेगी?
हालांकि मध्य प्रदेश के वन विभाग के प्रमुख, वी एन अंबड़े ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। उन्होंने सभी वरिष्ठ वन अधिकारियों को कड़ी चेतावनी दी है कि अगर लापरवाही पाई गई तो जिम्मेदारों को बख्शा नहीं जाएगा!
बाघों की सुरक्षा: अभी या कभी नहीं!
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मप्र के वरिष्ठ पत्रकार और बाघों पर काम कर रहे अभिलाष खांडेकर लगातार हो रही मौतों से चिंतित हैं। वे कहते हैं - यह साल बाघों के लिए दुखद रहा है। इतनी बड़ी संख्या में बाघों की प्राकृतिक और अप्राकृतिक कारणों से हुई मौतें निश्चित रूप से चिंताजनक हैं। इससे यह भी साबित होता है कि तमाम दावों के बावजूद एमपी में बाघ तस्कर सक्रिय हैं। वन विभाग इनसे ठीक तरीके से निबट नहीं पा रहा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कह रहे हैं कि हम बाघों के लिए खूब काम कर रहे हैं, मगर अभी भी बहुत कसावट लाने की जरूरत है। बता दें कि वरिष्ठ पत्रकार अभिलाष खांडेकर मप्र वन्यप्राणी बोर्ड के पूर्व सदस्य भी रह चुके हैं।
Thesootr View: अभी नहीं तो कभी नहीं!
बाघों की सुरक्षा को लेकर सरकार भले ही तमाम दावे करे, मगर मौतें सारी सच्चाई सामने ला ही देती हैं। मध्य प्रदेश में बाघों की बढ़ती मौतों को देखकर यह साफ है कि अगर अब गंभीर कदम नहीं उठाए गए तो इनके अस्तित्व पर ही संकट के बादल मंडराएंगे। बाघों को बचाने के लिए पर्यावरण सुरक्षा, सही निगरानी, और स्मार्ट तकनीकी उपायों को लागू करना बेहद जरूरी है।
इस लिंक से देखें कहां कितने बाघों की मौत-
https://ntca.gov.in/tiger-mortality/#mortality-details-2025
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