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मध्य प्रदेश के चीफ सेक्रेटरी अनुराग जैन के आदेश पर सामान्य प्रशासन विभाग ने सभी विभागीय अधिकारियों को निर्देश जारी किए हैं कि अब सीएस ऑफिस में किसी भी फिजिकल फाइल को स्वीकार नहीं किया जाएगा। यह आदेश 1 फरवरी 2025 से प्रभावी हो चुका है।
सभी विभागों के अपर सचिव, प्रमुख सचिव और सचिवों को बार-बार हिदायत देने के बाद भी कुछ विभाग फिजिकल फाइलें भेज रहे थे, जिसके चलते प्रशासन को सख्त आदेश जारी करना पड़ा। अब आदेश के तहत सभी अधिकारियों को ई–फाइलिंग प्रणाली को अपनाने के निर्देश दिए गए हैं।
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कई बार दिए गए आदेश
दिसंबर 2024 में पहली बार आदेश जारी किया गया था कि 1 जनवरी 2025 से सीएस ऑफिस में केवल ई–फाइलें स्वीकार की जाएंगी। लेकिन ई–ऑफिस प्रणाली पूरी तरह लागू न हो पाने के कारण यह डेडलाइन आगे बढ़ानी पड़ी।
6 जनवरी 2025 को फिर से आदेश दिया गया कि 26 जनवरी तक ई–फाइलिंग व्यवस्था को पूरी तरह से लागू करना होगा। हालांकि, तकनीकी दिक्कतों के चलते इस समय सीमा को 31 जनवरी तक बढ़ाना पड़ा। अंततः 4 फरवरी को एक बार फिर आदेश जारी करते हुए यह स्पष्ट कर दिया गया कि अब किसी भी हालत में फिजिकल फाइलें स्वीकार नहीं की जाएंगी।
तकनीकी समस्याओं से था सामना
ई–फाइलिंग व्यवस्था को लागू करने में सर्वर की गति और अन्य तकनीकी समस्याओं के कारण प्रारंभ में रुकावटें आईं। इन समस्याओं को दूर करने के लिए प्रशासन ने डेडलाइन बढ़ाई। चीफ सेक्रेटरी ने धीमी प्रगति पर नाराजगी जाहिर की और अधिकारियों को समय सीमा के भीतर व्यवस्था को सुचारु रूप से लागू करने के निर्देश दिए।
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31 मार्च तक सभी कार्यालयों में ई–फाइलिंग लागू करने की योजना
अब सरकार का लक्ष्य है कि 31 मार्च 2025 तक मध्य प्रदेश के सभी जिला स्तरीय सरकारी कार्यालयों में ई–फाइलिंग प्रणाली लागू हो जाए। इसके तहत मंत्रालय, वल्लभ भवन, विंध्याचल भवन और सभी डायरेक्टोरेट कार्यालयों में इस प्रक्रिया को तेजी से लागू किया जा रहा है। प्रशासन का मानना है कि यह कदम सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और दक्षता बढ़ाने में सहायक होगा।
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ऐसा क्यों किया जा रहा है
ई–फाइलिंग प्रणाली का उद्देश्य प्रशासनिक कार्यों में पारदर्शिता और गति को बढ़ाना है। इस नई प्रणाली से कागज रहित (पेपरलेस) कार्यप्रणाली को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा, फाइलों के ट्रैकिंग सिस्टम को भी बेहतर बनाया जाएगा, जिससे किसी भी प्रकार की देरी या गड़बड़ी पर नजर रखी जा सकेगी।
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