50 लाख बच्चों ने 5वीं तक नहीं देखे होंगे सेब, 10वीं तक नहीं खा पाते अंजीर, एमपी की पोषण नीतियों पर बोले धर्मेंद्र प्रधान

केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मध्य प्रदेश में बच्चों के पोषण पर चिंता जताई है। उनका कहना है कि 50 लाख बच्चों ने 5वीं तक सेब नहीं देखा है। इसके साथ ही 10वीं या इसके बाद के बच्चों को शायद ही अंजीर और एक ग्लास दूध नसीब में आई हो...

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Amresh Kushwaha
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BHOPAL. केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मध्य प्रदेश में बच्चों के पोषण (Nutrition) की स्थिति पर गंभीर चिंता जताई है। उन्होंने कहा कि राज्य के करीब 50 लाख बच्चों ने 5वीं कक्षा तक सेब नहीं देखा होगा। यदि देखा भी होगा, तो वे सिर्फ बाजार में उसे देख पाए होंगे, लेकिन उसे खा नहीं सके होंगे।

अंजीर तो उनकी जिंदगी में कक्षा 10वीं के बाद शायद ही आई हो। एक ग्लास दूध भी पीना भी अनेक के नसीब में नहीं है। उनका कहना था कि बच्चों की पोषकता (Nutrition) में कमी का असर उनके शारीरिक और मानसिक विकास पर पड़ता है।

उन्होंने कहा कि यह स्थिति राज्य के भविष्य के लिए खतरनाक हो सकती है। यह बात उन्होंने 7 दिसंबर को भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर एक कार्यक्रम में कहीं है।

अंजीर, काजू और लड्डू से मिलेंगे राज्य को अब्दुल कलाम

प्रधान ने आगे कहा कि बच्चों को अंजीर, काजू और बेसन के लड्डू जैसे पोषक तत्व मिलें। इन्हें खाने से राज्य से बड़े वैज्ञानिक और राष्ट्र निर्माता निकल सकते हैं। उन्होंने एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण दिया। मंत्री ने यह भी कहा कि सही पोषण से बच्चों का मानसिक और शारीरिक विकास बेहतर होगा। इससे वे भविष्य में राष्ट्र निर्माण में योगदान दे सकेंगे।

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गुलदस्ते की जगह फल देने को कहा

धर्मेंद्र प्रधान ने कार्यक्रम में एक नई पहल का जिक्र किया, जो गुजरात में शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि वहां गुलदस्ते की जगह फलों की टोकरी दी जाती है।

गुलदस्ते का जीवन सिर्फ 20 सेकंड होता है। उसकी कीमत 500 रुपए से ज्यादा होती है। फलों की टोकरी बच्चों को बेहतर पोषण दे सकती है। मंत्री ने इस उदाहरण से बताया कि बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए ऐसी पहल जरूरी है।

5 प्वाइंट में समझें क्या है पूरा मामला

  • केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने मध्य प्रदेश में बच्चों के पोषण की स्थिति पर चिंता जताई, कहा कि 50 लाख बच्चों ने 5वीं कक्षा तक सेब नहीं देखा होगा।

  • उन्होंने बताया कि बच्चों की पोषकता की कमी से शारीरिक और मानसिक विकास पर असर पड़ता है, जो राज्य के भविष्य के लिए खतरे की बात है।

  • प्रधान ने बच्चों को पोषक तत्व देने के लिए अंजीर, काजू, और लड्डू जैसे खाद्य पदार्थों की आवश्यकता जताई और एपीजे अब्दुल कलाम का उदाहरण दिया।

  • उन्होंने गुजरात की पहल का उदाहरण दिया, जिसमें गुलदस्ते की जगह बच्चों को फलों की टोकरी दी जाती है, ताकि उनका पोषण सुधरे।

  • कांग्रेस नेता जीतू पटवारी ने मंत्री के बयान पर कटाक्ष करते हुए भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और शिक्षा बजट के बढ़ने पर सवाल उठाए।

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एनसीईआरटी की किताबों को अपनाने की सलाह

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि मध्यप्रदेश में एनसीईआरटी के साथ समझौता हो चुका है। उन्होंने राज्य शिक्षा विभाग से एनसीईआरटी की किताबें जल्द लागू करने की अपील की।

उन्होंने बताया कि विज्ञान और गणित की किताबें तैयार हो चुकी हैं। जल्द ही इतिहास और सामाजिक विज्ञान की किताबें भी तैयार कर ली जाएंगी।

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स्कूल निरीक्षण के दौरान बच्चों से संवाद

कार्यक्रम से पहले, धर्मेंद्र प्रधान ने भोपाल के कमला नेहरू कन्या स्कूल का दौरा किया था। इस दौरान, उन्होंने बच्चों से पूछा कि उन्हें अंग्रेजी (English) में समझना आसान लगता है या हिंदी (Hindi) में। उनका कहना था कि बच्चों को अपनी मातृभाषा में समझने, लिखने और पढ़ने में कोई बुराई नहीं है। अगर बच्चों को सही तरीके से अपनी भाषा समझ में आती है, तो वे आगे चलकर बेहतर प्रदर्शन कर सकते हैं।

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पटवारी ने भाजपा सरकार पर किया कटाक्ष

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी ने धर्मेंद्र प्रधान के बयान पर प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने एक्स पर ट्वीट कर लिखा कि भाजपा सरकार का असली चेहरा जनता के सामने आया है। पटवारी ने बताया कि सात साल पहले मध्य प्रदेश में 1.6 करोड़ विद्यार्थी थे, अब यह घटकर 1.04 करोड़ रह गए हैं। वहीं, शिक्षा का बजट 7 हजार करोड़ से बढ़कर 37 हजार करोड़ हो गया है।

पटवारी ने सवाल किया कि यदि बच्चे सेब और अंजीर नहीं खा पा रहे हैं, तो यह पैसा कहां जा रहा है? उन्होंने भाजपा सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए और कहा कि शिक्षा का चेहरा अब भ्रष्टाचार से भरा हुआ है। अब विभागीय समीक्षा जरूरी है। अंत में, उन्होंने कांग्रेस की सकारात्मक विपक्षी भूमिका का समर्थन किया, क्योंकि यह मुद्दा राजनीति से ऊपर है।

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