भोपाल बोट क्लब और क्रूज की आड़ में लाखों की हेराफेरी, सुविधाओं के नाम पर अधिकारियों ने भरी जेब

भोपाल बोट क्लब और क्रूज में घोटाले का खुलासा हुआ है। आरोप है कि अधिकारियों ने सैलानियों के नाम पर 80 लाख रुपए से ज्यादा का घोटाला किया है। वहीं, क्राइम ब्रांच मामले की जांच कर रही है।

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Sanjay Sharma
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BHOPAL. राजधानी के बड़े तालाब में चल रहे क्रूज और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट की खरीदारी में घोटाले का मामला सामने आया है। मध्य प्रदेश में पर्यटन विकास निगम के अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे हैं। उन्होंने सैलानियों को आकर्षित करने के नाम पर अपनी जेबें भर लीं। 

आरोप है कि निगम ने इस सामान की खरीद 80 लाख रुपए से अधिक में की थी। पर्यटन निगम के मुख्य महाप्रबंधक ने मामले का खुलासा होने के बाद भोपाल क्राइम ब्रांच को जांच का जिम्मा सौंपा है।

इस मामले में निगम ने दो अधिकारियों पर फर्जीवाड़े और गबन का केस दर्ज कराया है। अब निगम के इस प्रकल्प में की गई सभी खरीददारी और बिलों की भी जांच की जा रही है।

पर्यटन निगम के रेस्टोरेंट की खरीदी में गबन

मध्य प्रदेश पर्यटन विकास निगम के जरिए भोपाल के बड़े तालाब में क्रूज बोट और फ्लोटिंग रेस्टोरेंट का संचालन किया जा रहा है। इस पर आने वाले सैलानियों की सुविधा के लिए लगातार सामान की खरीदी की जाती है। निगम ने क्रूज और रेस्टोरेंट चलाने के लिए प्रबंधक और क्षेत्रीय प्रबंधक नियुक्त किए थे। इन दोनों ने ही सामान की खरीद में गड़बड़ी की थी।

बीते दिनों निगम के मुख्य महाप्रबंधक राजेश गुप्ता ने क्रूज और रेस्टोरेंट का निरीक्षण किया था। इस दौरान उन्हें सामान और बिल में अनियमितताएं मिली थीं। बारीकी से पड़ताल करने पर गुप्ता को रेस्टोरेंट को माल सप्लाई करने वाली फर्म की भूमिका पर भी संदेह हुआ था।

इसके बाद फर्म के संचालक संजय मुखर्जी, उनकी पत्नी देवयानी और बेटे आदित्य के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। इन पर जालसाजी और गबन का आरोप लगे हैं।

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लाखों के बिलों की पड़ताल कर रही क्राइम ब्रांच

मुख्य महाप्रबंधक राजेश गुप्ता 3 सितंबर को बोट क्लब और रेस्टोरेंट का निरीक्षण करने पहुंचे थे। इस दौरान उन्हें खरीदी गई सामग्री गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं मिली।

वहीं जिन बिलों के माध्यम से यह सामान खरीदा गया था, उन पर भी संदेह हुआ है। गुप्ता के आदेश पर 15 जुलाई से 31 अगस्त के बीच के बिलों की जांच कराई गई थी। जांच में 80 लाख 81 हजार रुपए के बिलों के विरुद्ध केवल 48 लाख रुपए की सप्लाई ही हुई थी।

शेष राशि का भुगतान किया गया लेकिन माल रेस्टोरेंट को नहीं मिला था। बिलों के भौतिक परीक्षण में गड़बड़ी की पुष्टि होने के बाद मुख्य महाप्रबंधक ने गड़बड़झाले की जांच क्राइम ब्रांच को सौंपी है।

क्राइम ब्रांच संदेह के आधार पर 32 बिलों की जांच कर रही है। निगम की जांच कमेटी को अब तक 81 लाख रुपए से ज्यादा के गबन का पता चला है।

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22 लाख के भुगतान पर 1 लाख के माल की सप्लाई

क्षेत्रीय प्रबंधक हरनाथ सिंह की शिकायत पर निगम ने अरविंद शर्मा और अनिल कुरूप के खिलाफ केस दर्ज किया गया है। इन दोनों पर गबन का आरोप है। बोट क्लब के लिए कॉफी मशीन की सप्लाई का काम तीन फर्मों को दिया गया था।

इसका ट्रेडर्स गणेश ट्रेडर्स, आदित्य इंटरप्राइजेज और सिद्धिविनायक दिया गया था। रेस्टोरेंट पर एक बिल के तहत 22 लाख 37 हजार का भुगतान किया गया था। वहीं, जांच में सिर्फ 1 लाख रुपए के सामान की सप्लाई पाई गई है।

गबन के आरोपी अरविंद शर्मा और अनिल कुरूप दोनों भोपाल नगर निगम के कर्मचारी हैं। दोनों को प्रतिनियुक्ति पर पर्यटन विकास निगम में तैनाती मिली थी। अरविंद शर्मा को अक्टूबर 2024 और अनिल कुरूप को अप्रैल 2023 में तैनात किया गया था। क्राइम ब्रांच अब इस हेराफेरी में अन्य अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रही है।

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आपराधिक और विभागीय स्तर पर कार्रवाई होगी

एक फाइल की जांच की गई है। इसमें आर्थिक गड़बड़ी पाई गई है। क्राइम ब्रांच 32 ऐसी फाइलों की जांच कर रही है। जैसे ही गड़बड़ी सामने आएगी, उस पर कार्रवाई की जाएगी। यह कार्रवाई आपराधिक और विभागीय दोनों स्तर पर की जाएगी।

राजेश गुप्ता, मुख्य महाप्रबंधक, एमपी पर्यटन निगम

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