बिना टीचर-बिल्डिंग वाले कॉलेजों पर मोहन सरकार का तगड़ा एक्शन, 42 कॉलेजों की मान्यता रद्द

मध्य प्रदेश के ग्वालियर-चंबल अंचल में बिना टीचर और बिल्डिंग के संचालित हो रहे 42 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी गई है। तीन महीने चली जांच में 45 कॉलेजों की जांच हुई थी।

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Rohit Sahu
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ग्वालियर-चंबल अंचल में बिना शिक्षक और इमारत के ही कई कॉलेज चल रहे हैं। मोहन सरकार ने ऐसे कॉलेजों के खिलाफ सख्त एक्शन लेते हुए जीवाजी यूनिवर्सिटी से एफिलिएटेड 42 कॉलेजों की मान्यता रद्द कर दी है। उच्च शिक्षा विभाग ने इसका आदेश जारी किया है। अब इन कॉलेजों की मान्यता रद्द कर रिपोर्ट को जीवाजी यूनिवर्सिटी को सौंपा गया है।

45 कॉलेजों की हुई थी जांच

दरअसल विभाग को  4 अस्पताल और 2 कॉलेज चलने की जानकारी मिली थी इसके बाद 13 जांच समितियां गठित की गईं, जिनमें 26 सदस्य शामिल थे। अप्रैल से जून तक तीन महीने तक चली जांच में 45 कॉलेजों की जांच की गई। इनमें से 19 कॉलेजों में गंभीर गड़बड़ियां सामने आईं।

तीन महीने चली जांच, 19 कॉलेजों में पाई गईं अनियमितताएं

साइंस कॉलेज ग्वालियर के प्राचार्य डॉ. वीपीएस जादौन के नेतृत्व में जांच की गई। जांच में सामने आया कि अधिकतर कॉलेजों में स्थायी भवन नहीं थे, स्टाफ नहीं था या भूमि संबंधी डॉक्यूमेंट ही अधूरे थे। कई कॉलेजों को पूर्व में अस्थायी छूट दी गई थी, लेकिन वे तय मानकों को पूरा नहीं कर पाए।

2025-26 सत्र से 11 कॉलेजों की मान्यता समाप्त

हाल में 12 और कॉलेजों की सूची जारी की गई थी जिनमें से 11 की मान्यता सत्र 2025-26 के लिए खत्म कर दी गई।सिर्फ जय श्रीकृष्णा कॉलेज, महाराजपुर, मुरैना को ही मान्यता दी गई है। जिन 11 कॉलेजों की मान्यता रद्द हुई, उनके सभी पाठ्यक्रम अमान्य कर दिए गए हैं। विभाग ने कुल अबतक 42 कॉलेजों की मान्यता रद्द की है।

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जांच में खुली पोल, किराए की बिल्डिंग में चल रहे थे कॉलेज

जिन कॉलेजों को मान्यता नहीं मिली, वहां डॉक्यूमेंट में गड़बड़ियां, किराए पर भवन संचालन, निर्माण अनुमति और कृषि भूमि डायवर्जन प्रमाणपत्र जैसी कमियां पाई गईं। कई कॉलेजों ने खुद ही मान्यता सरेंडर कर दी, जबकि अन्य की मान्यता जांच में फेल होने पर रद्द कर दी गई।

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42 कॉलेजों की रिपोर्ट यूनिवर्सिटी भेजी

उच्च शिक्षा विभाग के अतिरिक्त संचालक ने बताया कि लीड कॉलेज के माध्यम से सभी कॉलेजों का फिजिकल वेरिफिकेशन कराया गया। जिन कॉलेजों ने यूनिवर्सिटी के तय मानकों का पालन नहीं किया, उन्हें सम्बद्धता सूची से बाहर कर दिया गया। यह पूरी रिपोर्ट जीवाजी विश्वविद्यालय को सौंप दी गई है।

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